पार्कों की अहमियत

रांची शहर में अब बहुत कम खुले स्थान बचे हैं. आज रांची शहर के लोगों को खुले में सांस लेने की खुली जगह की जरूरत है, पर सरकार पार्कों के व्यवसायीकरण में व्यस्त है. किसी भी नगर में पार्क में बैठने के लिए बेंच और शेड होते हैं. पार्क का मुख्य उद्देश्य होता है सार्वजनिक […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 17, 2018 7:03 AM

रांची शहर में अब बहुत कम खुले स्थान बचे हैं. आज रांची शहर के लोगों को खुले में सांस लेने की खुली जगह की जरूरत है, पर सरकार पार्कों के व्यवसायीकरण में व्यस्त है. किसी भी नगर में पार्क में बैठने के लिए बेंच और शेड होते हैं. पार्क का मुख्य उद्देश्य होता है सार्वजनिक रूप से खुला स्थान उपलब्ध कराना, ताकि लोग घूम-फिर सकें और बच्चे वहां खेल सकें. पार्क के चारों ओर पेड़ लगाये जाने चाहिए तथा बीच में बगीचा और फब्बारे हों. यह व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी होती है.

इन स्थानों पर जनता का प्रवेश निःशुल्क होने चाहिए. आज रांची को ऐसे ही खुले स्थानों की जरूरत है, पार्क के नाम पर कंक्रीट के व्यावसायिक जंगलों की नहीं, मगर रांची में यही हो रहा है. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए और राजनीतिक पहुंच रखने वाले बुद्धिजीवियों को इसके लिए पहल करनी चाहिए.

सौमेंद्र मल्लिक, रांची.

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