बैंककर्मियों की ईमानदारी कठघरे में

बैंककर्मियों की मिलीभगत से देश को लूटने वाली नीतियों पर सवाल है कि आम आदमी किस भरोसे पर इन बैंकों में अपनी गाढ़ी कमाई जमा करे? आम जनता के कुछ हजार रुपयों के लोन पर सौ तरह की कागजी कार्रवाई की जाती है. ब्याज की दरों का न समझ आनेवाला ब्योरा, नियम-कानून का हवाला, पचासों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 20, 2018 5:56 AM
बैंककर्मियों की मिलीभगत से देश को लूटने वाली नीतियों पर सवाल है कि आम आदमी किस भरोसे पर इन बैंकों में अपनी गाढ़ी कमाई जमा करे? आम जनता के कुछ हजार रुपयों के लोन पर सौ तरह की कागजी कार्रवाई की जाती है.
ब्याज की दरों का न समझ आनेवाला ब्योरा, नियम-कानून का हवाला, पचासों तरह के चोंचले होते हैं और नीरव मोदी जैसे लुटेरे को एक सुनियोजित प्रक्रिया के तहत बैंक में जमा सारे रुपये सौंप दिये जाते हैं. कितनी हास्यास्पद बात है, इन लुटेरों से रुपयों को वापस पाने की उम्मीद की जा रही है. आम जनता के गाढ़े पसीने की कमाई नीरव मोदी जैसे लोग तब तक खाते रहेंगे, जब तक बैंक के लालची कर्मचारियों की संलिप्तता रहेगी. ‎बैंककर्मियों की ईमानदारी अब कटघरे में है. क्या विडंबना है, जहां देश का एक गरीब बैंक के कुछ हजार के कर्ज न चुका पाये, तो कुर्की-जब्ती तक कर दी जाती है और एक अमीर हजारों करोड़ लेकर विदेश में आसानी से ऐशो-आराम की जिंदगी बसर कर रहा है. बेचारी, लाचार और भोली जनता जब तक इस घोटाले को समझेगी, कोई और नया प्रकरण तैयार मिलेगा.
श्वेता सिन्हा, जमशेदपुर

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