विमान यात्रियों को राहत

सरकार की कोशिश है कि आम नागरिकों के लिए सस्ती विमान यात्रा सुलभ हो. लेकिन, इसे वास्तविकता में बदलने के लिए बुनियादी ढांचे की मौजूदगी के साथ कई और तत्वों का होना भी आवश्यक है. इसमें गंतव्य तक पहुंचने के लिए नियमित हवाई सेवा का होना जितना जरूरी है, उतना ही अहम यह भी है […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 20, 2017 1:03 AM

सरकार की कोशिश है कि आम नागरिकों के लिए सस्ती विमान यात्रा सुलभ हो. लेकिन, इसे वास्तविकता में बदलने के लिए बुनियादी ढांचे की मौजूदगी के साथ कई और तत्वों का होना भी आवश्यक है.

इसमें गंतव्य तक पहुंचने के लिए नियमित हवाई सेवा का होना जितना जरूरी है, उतना ही अहम यह भी है कि यात्रा का खर्च या फिर पहले से खरीदे गये टिकट को रद्द कराने की स्थिति में वसूला जानेवाला शुल्क यात्री की जेब पर बहुत भारी न पड़े. कुछ समय पहले केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने चिंता जतायी थी कि जहाज के टिकट रद्द कराने के शुल्क अक्सर बहुत ज्यादा होते हैं. इसके बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशक की ओर से हवाई सेवाप्रदाताओं को निर्देश जारी किये गये थे. अब घरेलू हवाई सेवाओं के टिकट रद्द कराने पर लगनेवाले तीन हजार रुपये के नियम को खत्म कर दिया है.

सरकार की सख्ती के बाद एयरलाइन कंपनियों ने शुल्क में कमी की घोषणा की है. नये नियम के मुताबिक सेवाप्रदाता यात्रियों से आधारभूत किराया और ईंधन अधिशेष या तीन हजार रुपये में से जो भी राशि कम होगी, वही बतौर शुल्क वसूल पायेंगी. इससे उन यात्रियों को फायदा पहुंचेगा, जिन्हें तीन हजार रुपये या इससे कम के टिकट को किसी कारणवश रद्द कराना पड़ता है.

इससे अधिक के टिकटधारकों को नये नियम का लाभ नहीं मिल सकेगा, परंतु घरेलू हवाई यात्रियों की एक बड़ी तादाद के लिए नया नियम निश्चित ही राहत पहुंचानेवाला है. पिछले एक साल में हवाई जहाज का टिकट रद्द करने पर देय शुल्क की राशि लगभग दोगुनी हो चुकी है. खबरों के मुताबिक, जनवरी, 2016 में टिकट रद्द कराने पर यात्री को 1800 रुपये का शुल्क देना पड़ता था, यह राशि बाद में बढ़कर 2250 रुपये हो गयी, और अब यह 3000 रुपये तक हो पहुंच गयी है. यह विडंबना ही है कि सस्ता टिकट देने के वादे के साथ घरेलू विमान सेवा के बाजार में उतरी कुछ कंपनियां रद्द कराने के शुल्क को बढ़ाने में सबसे आगे रही हैं.

पिछले साल इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के हवाले से खबर आयी थी कि भारत में घरेलू विमान सेवा का उपयोग करनेवाले यात्रियों की संख्या में तकरीबन 23 फीसद का इजाफा हुआ है, जो कि पड़ोसी चीन की तुलना में दोगुना है. बीते दो सालों से यही रुझान जारी है.

साथ ही, इस साल अप्रैल में खबर आयी थी कि अगस्त, 2016 से फरवरी, 2017 के बीच 12957 यात्रियों को टिकट होने के बावजूद जगह की किल्लत के कारण फ्लाइट पर नहीं चढ़ने दिया गया. ये दोनों तथ्य संकेत करते हैं कि घरेलू हवाई यात्राएं मध्यवर्गीय यात्रियों में लोकप्रिय हो रही हैं.

टिकट रद्द कराने के शुल्क में कमी की घोषणा इस तथ्य को देखते हुए और भी ज्यादा अहम हो जाती है. इससे सरकार को ‘उड़ान’ जैसी महत्वाकांक्षी योजना के उद्देश्य को पूरा करने में मदद मिलेगी. यह भी जरूरी है कि उड्डयन मंत्रालय हवाई सेवा कंपनियों के कामकाज और रवैये पर कड़ी निगरानी रखे.

Next Article

Exit mobile version