मानववादी बनें

औरतों को हमेशा दोयम दर्जें का और पिछड़ा माना जाता है. तमाम वादों के बावजूद उन्हें न तो बराबरी का हक मिल पाया है और न ही जिंदगी खुल कर जीने की आजादी. बावजूद इसके, महिलाएं समाज से लड़कर आगे आ रहीं हैं और अपनी एक अलग पहचान बना रहीं हैं. महिलाओं के समर्थन करनेवाले […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 15, 2017 6:57 AM

औरतों को हमेशा दोयम दर्जें का और पिछड़ा माना जाता है. तमाम वादों के बावजूद उन्हें न तो बराबरी का हक मिल पाया है और न ही जिंदगी खुल कर जीने की आजादी. बावजूद इसके, महिलाएं समाज से लड़कर आगे आ रहीं हैं और अपनी एक अलग पहचान बना रहीं हैं. महिलाओं के समर्थन करनेवाले लोगों को अक्सर नारीवादी कहकर पुकारा जाता है.

ये लोग औरतों के हक के लिए लड़ते हैं और उनके लिए आवाज उठाते हैं. समाज सिर्फ मर्दों या सिर्फ औरतों से नहीं बना है, बल्कि इसमें दोनों का समान योगदान है. फेमिनिस्ट होकर हम कहीं-न -कहीं औरतों को मर्दों से ऊपर दिखाना चाहते हैं, जबकि हमारा मकसद होना चाहिए औरतों ओर मर्दों को एक समान दिखाना. दोनों को समान अधिकार मिले. यह सबके हित में है.

शेखर महतो, तुलिन, इमेल से

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