उद्यम में महिलाएं

इस बात से शायद ही किसी को इनकार हो कि सेवा क्षेत्र में बढ़त के दौर में निजी उद्यमियों और स्टार्टअप्स का चलन है. नौकरी करनेवाला नहीं, नौकरी देनेवाला बनकर दिखाना है- ऐसा आत्मविश्वास भरा मुहावरा अगर आज युवा मानस में जगह बना रहा है, तो उसकी वजह सूचना-प्रौद्योगिकी के सहारे निरंतर बढ़ता सेवा-क्षेत्र, उसमें […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 29, 2017 8:44 AM

इस बात से शायद ही किसी को इनकार हो कि सेवा क्षेत्र में बढ़त के दौर में निजी उद्यमियों और स्टार्टअप्स का चलन है. नौकरी करनेवाला नहीं, नौकरी देनेवाला बनकर दिखाना है- ऐसा आत्मविश्वास भरा मुहावरा अगर आज युवा मानस में जगह बना रहा है, तो उसकी वजह सूचना-प्रौद्योगिकी के सहारे निरंतर बढ़ता सेवा-क्षेत्र, उसमें अपरिमित अवसर, इन अवसरों को एक उद्यम के रूप में तब्दील करने में काबिल नौजवान आबादी तथा सरकार से मिलनेवाले प्रोत्साहन जैसी कई बातों में खोजी जा सकती है.

महत्वपूर्ण यह है कि निजी उद्यम के रूप में स्टार्टअप्स विदेशों में भारतीय उद्यमिता की धाक जमाने में कामयाब हुए हैं. बात धन जुटाने की हो और साझेदारी की या फिर व्यावसायिक हित की, स्टार्टअप्स के मामले में भारतीय उद्यमियों ने सफलता की कहानी लिखी है.

अकारण नहीं कि 2016 की ग्लोबल-107 की सूची में भारत के आठ स्टार्टअप्स यूनिकाॅर्न के रूप में शामिल थे. स्टार्टअप्स बिजनेस में जो कंपनियां मोल के हिसाब से एक अरब डॉलर की सीमा तक पहुंच जाती हैं, उन्हें यूनिकाॅर्न का नाम हासिल होता है. भारतीय स्टार्टअप्स की वैश्विक फलक पर कामयाबी का ही एक संकेत है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी एवं सलाहकार तथा सफल कारोबारी इवांका ट्रंप हैदराबाद में आयोजित वैश्विक उद्यमिता शिखर सम्मेलन में शिरकत कर रही हैं.

इस संदर्भ में उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात को रेखांकित किया है. सम्मेलन के आठ साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि भागीदारों में 50 फीसदी से अधिक संख्या महिला उद्यमियों की है. लेकिन, महिला उद्यमियों की संख्या के लिहाज से भारत की स्थिति कुछ भिन्न है. नॉसकॉम की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के 5,000 स्टार्टअप्स में महिला उद्यमियों की संख्या मात्र 11 प्रतिशत है और पिछले साल के मुकाबले कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है.

अहम बात यह भी है कि महिला उद्यमियों के केवल तीन फीसदी स्टार्टअप्स को बाहरी निवेश (वेंचर कैपिटल) मिला है. यह इस बात का संकेतक है कि टिकाऊपन, लगातार मुनाफा कमाने की क्षमता या फिर विस्तार के मामले में महिला उद्यमियों के स्टार्टअप्स को निवेशक ज्यादा जोखिम भरा मानकर चल रहे हैं. उद्यम के साथ देश की कार्य-क्षमता में भी महिलाएं बहुत कम हैं. तमाम बाधाओं के बावजूद आज महिलाएं सार्वजनिक जीवन के हर क्षेत्र में तेजी से आगे आ रही हैं. ऐसे में उद्यमों तथा नये तौर-तरीकों के व्यवसाय में उनकी समुचित उपस्थिति को सुनिश्चित करने के प्रयास होने चाहिए. देश की आधी आबादी की आमद अगर अर्थव्यवस्था के नये दरवाजों में नहीं होगी, तो हम आर्थिक विकास की संभावनाओं व आकांक्षाओं को वास्तविकता में बदलने से चूक जायेंगे. सरकारों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा महिलाओं में उद्यमिता के लिए उत्साह बढ़ाने और सहयोग करने की दिशा में ठोस पहल करने की जरूरत है.

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