पाकिस्तान में धर्म और राजनीति

पाकिस्तान में सेना का जितना दबदबा है, उससे कहीं ज्यादा अधिकार धार्मिक कट्टरपंथियों के हाथ में है. अगर ऐसा नहीं होता, तो वहां के कानून मंत्री जाहिद हामिद को इस्तीफा नहीं देना पड़ता. पिछले 11 दिनों से धार्मिक संगठनों ने राजधानी में अराजकता फैला रखा है. हिंसा में छह लोग मारे गये. कानून मंत्री चुनाव […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 28, 2017 8:56 AM
पाकिस्तान में सेना का जितना दबदबा है, उससे कहीं ज्यादा अधिकार धार्मिक कट्टरपंथियों के हाथ में है. अगर ऐसा नहीं होता, तो वहां के कानून मंत्री जाहिद हामिद को इस्तीफा नहीं देना पड़ता. पिछले 11 दिनों से धार्मिक संगठनों ने राजधानी में अराजकता फैला रखा है. हिंसा में छह लोग मारे गये. कानून मंत्री चुनाव सुधार लागू करने के लिए एक संशोधन लेकर आये थे.

इसमें उस प्रावधान को हटाया जाना था, जिसके तहत वहां चुनाव लड़ने वाले सभी लोगों को यह हलफनामा देना पड़ता, जिसे ‘खत्म-ए-नबुव्वत’ कहा जाता है. इसके तहत पैगंबर मोहम्मद मुसलमानों के अंतिम पैगंबर थे, उनके बाद और कोई नहीं होगा, यह लिख कर देना होता है. ऐसा लगता है कि धर्म एवं राजनीति को अलग करने की ख्वाहिश, कुछ देशों में कभी पूरी नहीं होगी. सिर्फ इस्लाम ही नहीं, हर धर्म का कट्टरपंथ का एक ही उद्देश्य है, भाड़ में जाये खाता बही, वह जो बोले, वही सही.

जंग बहादुर सिंह, इमेल से

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