PMLA Explainer : पीएमएल एक्ट क्या है, गिरफ्तारी से लेकर कुर्की-जब्ती तक कर सकता है प्रवर्तन निदेशालय?

ईडी ने अरविंद केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग के मामल में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत पकड़ा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 22, 2024 3:54 PM

Delhi Liquor scam से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया है. ED ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत केजरीवाल को गिरफ्तार किया है. क्या आप जानते हैं कि आखिर प्रवर्तन निदेशालय किस कानून के तहत कार्रवाई, जांच, गिरफ्तारी, छापेमारी और जब्ती करता है? ईडी की ओर से मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई, जांच, गिरफ्तारी, छापेमारी और जब्ती की जाती है.

मनी लॉन्ड्रिंग या धनशोधन क्या है?

प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट या धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) को समझने से पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि मनी लॉन्ड्रिंग या धनशोधन क्या है? मनी लॉन्ड्रिंग या धनशोधन से तात्पर्य अवैध तरीके से कमाए गए कालेधन को वैध तरीके से कमाए गए धन के रूप में परिवर्तित करना है. मनी लॉन्ड्रिंग अवैध रूप से प्राप्त धनराशि को छुपाने का एक तरीका होता है. मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से धन ऐसे कार्यों या निवेश में लगाया जाता है कि जांच करने वाली एजेंसियों को भी धन के मुख्य स्रोत का पता लगाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है. जो व्यक्ति इस प्रकार के धन की हेराफेरी करता है, उसे लाउन्डर कहा जाता हैं.

क्या है पीएमएलए और उद्देश्य

धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) को 2002 में अधिसूचित किया गया था और इसे 2005 में लागू किया गया. इस कानून का मुख्य उद्देश्य कालेधन को सफेद में बदलने की प्रक्रिया (मनी लॉन्ड्रिंग) के खिलाफ खड़ा करना है. पीएमएलए का मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को रोकना, अवैध गतिविधियों और आर्थिक अपराधों में कालेधन के उपयोग को रोकना, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे प्राप्त संपत्ति को जब्त करना और मनी लॉन्ड्रिंग के जुड़े अन्य प्रकार के संबंधित अपराधों को रोकने का प्रयास करना है.

कैसे किया जाता है धनशोधन

मनी लॉन्ड्रिंग की प्रक्रिया को तीन चरणों में विभाजित किया गया है. इनमें प्लेसमेंट, लेयरिंग और एकीकरण शामिल हैं. पहले चरण का संबंध नकदी के बाजार में आने से होता है. इसमें लाउंडर अवैध तरीके से कमाए गए धन को वित्तीय संस्थानों जैसे बैंकों या अन्य प्रकार के औपचारिक या अनौपचारिक वित्तीय संस्थानों में नकद रूप से जमा करता है. मनी लॉन्ड्रिंग का दूसरा चरण ‘लेयरिंग’ यानी धन को छुपाने से जुड़ा होता है. इसमें लाउंडर लेखा किताब में गड़बड़ी करके और अन्य संदिग्ध लेन-देन करके अपनी असली आय को छुपा लेता है. लाउंडर धनराशि को निवेश के साधनों जैसे कि बॉन्ड, स्टॉक और ट्रैवेलर्स चेक या विदेशों में अपने बैंक खातों में जमा करा देता है. यह खाता अक्सर ऐसे देशों की बैंकों में खोला जाता है, जो मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी अभियानों में सहयोग नहीं करते. एकीकरण मनी लॉन्ड्रिंग प्रक्रिया का अंतिम चरण होता है, जिसके माध्यम से बाहर भेजा गया पैसा या देश में खपाया गया पैसा वापस लाउन्डर के पास वैध धन के रूप में आ जाता है. ऐसा धन अक्सर किसी कंपनी में निवेश, अचल संपत्ति खरीदने और लक्जरी सामान खरीदने आदि के माध्यम से वापस आता है.

पीएमएलए के अंतर्गत आने वाले अपराध

धनशोधन निवारण अधिनियम की अनुसूची के भाग ‘ए’, भाग ‘बी’ और भाग ‘सी’ में अपराधों की श्रेणी का उल्लेख किया गया है. धनशोधन निवारण अधिनियम के भाग ‘ए’ में भारतीय दंड संहिता, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक पदार्थ अधिनियम, पुरातत्व और कलाकोष अधिनियम, ट्रेडमार्क अधिनियम, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, कॉपीराइट अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम को शामिल किया गया है. इसके अलावा, भाग ‘बी’ में उन सभी अपराधों को शामिल किया गया है, जिनका उल्लेख भाग ‘ए’ में किया गया है, लेकिन वे अपराध एक करोड़ रुपये या उससे अधिक मूल्य के हों. वहीं, भाग ‘सी’ में सीमा पार के अपराध या आतंकी गतिविधियों को शामिल किया गया है.

पीएमएलए के तहत दंड का प्रावधान

मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ पीएमएलए के तहत विभिन्न कार्रवाइयां शुरू की जा सकती है. इसमें अपराध के माध्यम से अर्जित की गई संपत्ति और रिकॉर्ड को आदि को जब्त करना है. इसके साथ ही, धनशोधन (कालेधन को सफेद बनाने की प्रक्रिया) के अपराध के लिए कम से कम 3 साल का कठोर कारावास की प्रावधान है, जिसे बढ़ाकर 7 साल तक किया जा सकता है. इस कानून के तहत सजा के साथ-साथ जुर्माने का भी प्रावधान है. यदि धनशोधन के अपराध के साथ-साथ नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 से जुड़े अपराध भी शामिल हैं, तो इस कानून के तहत जुर्माने के साथ 10 साल तक की सजा भी हो सकती है.

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