दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल की शक्तियों पर आज होगा फैसला, लोकसभा में पेश होगा GNCTD विधेयक-2021

Delhi Government, Lieutenant governor, Lok Sabha, GNCTD Bill 2021 : नयी दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की राजनीति में उपराज्यपाल की शक्तियों को बढ़ानेवाला विधेयक आज लोकसभा में पेश होगा. विधेयक को लेकर छिड़ी सियासत के बीच दिल्ली एनसीटी (संशोधन) विधेयक-2021 को गृहमंत्री अमित शाह आज पेश करेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 22, 2021 10:27 AM

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की राजनीति में उपराज्यपाल की शक्तियों को बढ़ानेवाला विधेयक आज लोकसभा में पेश होगा. विधेयक को लेकर छिड़ी सियासत के बीच दिल्ली एनसीटी (संशोधन) विधेयक-2021 को गृहमंत्री अमित शाह आज पेश करेंगे.

इधर, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर विधेयक के जरिये दिल्ली में शासन करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार दिल्ली सरकार की ताकतों को छीनना चाहती है. वहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि यह विधेयक सिर्फ उपराज्यपाल की शक्तियों को परिभाषित करेगा. इससे दिल्ली और केंद्र के बीच विवाद खत्म हो जायेंगे.

दिल्ली एनसीटी (संशोधन) विधेयक-2021 के मुताबिक, दिल्ली सरकार को राजधानी में कानून पास कराने के 15 दिन पहले और प्रशासनिक मामलों में सात दिन पहले उपराज्यपाल की सहमति लेना अनिवार्य हो जायेगा. इस बिल के पास होने से दिल्ली में उपराज्यपाल की शक्तियों में बढ़ोतरी हो जायेगी.

मालूम हो कि इस विधेयक के विरोध में दिल्ली सरकार के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा कराये जा रहे विकास कार्यों को रोका जा सके.

जबकि, केंद्र सरकार का कहना है कि विधेयक के जरिये वह उपराज्यपाल की शक्तियों को परिभाषित करना चाहता है. जिससे केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच के मतभेदों को सुलझाया जा सके. मालूम हो कि दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता हरीश खुराना ने कोर्ट के हवाले से कहा दिल्ली का असली मालिक उपराज्यपाल ही है.

वहीं, दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने गृह मंत्रालय द्वारा लोकसभा में पेश किये गये विधेयक का स्वागत करते हुए कहा है कि दिल्ली देश की राजधानी है. यह सभी को मालूम है कि दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश है. आम आदमी पार्टी के सरकार मे आने पर समझती है कि उसे पूर्ण राज्य से भी अधिक अधिकार मिले हैं, जो संवैधानिक रूप से संभव नहीं है. इससे भ्रांतियां उत्पन्न हो रही हैं. साथ ही दिल्ली का विकास भी प्रभावित हो रहा है.

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