भारत के खिलाफ जहर उगरने वाला तुर्की भी पाकिस्तान के साथ FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल, टूटेगी आतंक की कमर

पाकिस्तान खुद को ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए तुर्की से मदद मांग रहा था. तुर्की ने पाकिस्तान की कई मोरचों पर मदद की है और पाकिस्तान को उम्मीद थी कि वह तुर्की की मदद से ग्रे लिस्ट से बाहर आ जायेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2021 12:20 PM

पाकिस्तान को वैश्विक वित्‍तीय निगरानी संस्‍था फाइनैंशल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने एक बार फिर तगड़ा झटका दिया है. इस बार ना सिर्फ पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा गया है बल्कि उसके लंबे समय से सहयोगी रहे तुर्की को भी आतंकियों को पालने के लिए ग्रे लिस्ट में डाल दिया है.

पाकिस्तान खुद को ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए तुर्की से मदद मांग रहा था. तुर्की ने पाकिस्तान की कई मोरचों पर मदद की है और पाकिस्तान को उम्मीद थी कि वह तुर्की की मदद से ग्रे लिस्ट से बाहर आ जायेगा. अब तुर्की भी पाकिस्तान के साथ ग्रे लिस्ट की सूची में शामिल हो गया है. तुर्की और पाकिस्तान दोनों की ग्रे लिस्ट में आना भारत की एक बड़ी रणनीतिक सफलता मानी जा रही है. भारत आतंकी गतिविधियों के बढ़ते मामलों से परेशान रहा है. ऐसे में यह भारत के लिए बड़ी जीत है कि उन्हें आर्थिक मोरचे पर बड़ी चोट लगी है.

पाकिस्तान खुद को ग्रे लिस्ट में डाले जाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को जिम्मेदार ठहराता रहा है. पाकिस्तान का कहना है कि भारत के दबाव के कारण यह हो रहा है. एफएटीएफ के अध्यक्ष डॉ मार्कस प्लेयर ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्‍तान को गंभीरतापूर्वक यह दिखाने की जरूरत है कि प्रतिबंधित आतंकियों और आतंकी संगठनों के खिलाफ जांच और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई ठोस तरीके से चल रही है. उन्‍होंने कहा कि एफएटीएफ एक तकनीकी निकाय है और हम अपना फैसला आम सहमति से लेते हैं.

Also Read: मास्को में पहली बार आमने-सामने होंगे भारत-तालिबान, आतंकियों के लिए दुनिया से पाकिस्तान मांग रहा समर्थन की भीख

एफएटीएफ ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्‍तान तब तक इस सूची में शामिल रहेगा जब तक कि वह साबित नहीं कर देता कि जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर के खिलाफ तड़ी कार्रवाई कर रहा है.

पाकिस्तान को जून, 2018 में एफएटीएफ ने निगरानी सूची में रखा था. उसे अक्टूबर, 2019 तक पूरा करने के लिये कार्य योजना सौंपी गयी थी. पाकिस्तान इसे पूरा करने में असफल रहा जिसके बाद उसे एफएटीएफ की निगरानी सूची में रखा गया है. इस वैश्विक नेटवर्क के 205 सदस्यों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा संयुक्त राष्ट्र सहित कई पर्यवेक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था जिसमें यह फैसला लिया गया कि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखा जायेगा. तुर्की पर आरोप है कि वह मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा दे रहा है. इसी वजह से आतंकी गतिविधियां बढ़ रही है.

पाकिस्‍तान और तुर्की दोनों ही भारत के खिलाफ वैश्विक मंचों पर जहर उगलते रहे हैं. ऐसे में इन दोनों को आर्थिक मोरचे पर कमजोर होना भारत के लिए एक बड़ी जीत है. तुर्की को पाकिस्‍तान की तरह से अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्‍व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना मुश्किल होगा.

Also Read: FATF की ग्रे लिस्ट में बना रहेगा पाकिस्तान, मनी लाॅड्रिंग से जुड़े मामलों में यह है भागीदारी…

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में इसे मोदी सरकार के प्रयासों का नतीजा बताया है. ‘FATF आतंकवाद के लिए फंडिंग पर नजर रखता है और आतंकवाद का समर्थन करने वाले काले धन से निपटता है

Next Article

Exit mobile version