झारखंड : क्षेत्रीय भाषा को लेकर आंदोलन तेज, पूर्व संसाद रवीद्र राय पर हमले का पूरा घटनाक्रम
झारखंड में अबुआ राजा की सरकार है. झारखंड मुक्ति मोरचा की पहचान झारखंड के अस्तित्व और इसकी पहचान की लड़ाई लड़ने वाली पार्टी से है. सरकार ने जब से भोजपुरी, मगही, अंगिका को क्षेत्रीय भाषा का दर्जा दिया है तब से झारखंड में भाषा की लड़ाई अब और तेज होने लगी है.
झारखंड में अबुआ राजा की सरकार है. झारखंड मुक्ति मोरचा की पहचान झारखंड के अस्तित्व और इसकी पहचान की लड़ाई लड़ने वाली पार्टी से है. सरकार ने जब से भोजपुरी, मगही, अंगिका को क्षेत्रीय भाषा का दर्जा दिया है तब से झारखंड में भाषा की लड़ाई अब और तेज होने लगी है.
भोजपुरी, मगही और अंगिका क्षेत्रीय भाषा में शामिल करने क विरोध
भोजपुरी, मगही और अंगिका को बोकारो-धनबाद की क्षेत्रीय भाषा में शामिल करने के विरोध में बोकारो के नगेन मोड़ से धनबाद के महुदा तक 40 किमी लंबी मानव शृंखला बनी. बात विरोध प्रदर्शन तक सीमित रहती तो आंदोलन की दिशा सही थी लेकिन बोकारो के तेलमच्चो पुल के पास भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व कोडरमा के पूर्व सांसद डॉ रवींद्र राय की गाड़ी पर भीड़ ने हमला कर दिया.
सोशल नेटवर्किंग साइड पर वीडियो अपलोड कर पूर्व सांसद ने दी जानकारी
उनकी गाड़ी का शीशा तोड़ दिया. वाहन पर लगा नेमप्लेट, पार्टी का बोर्ड व झंडा उखाड़ फेंका. चालक किसी प्रकार वाहन को भगाकर वापस बोकारो ले गया. वाहन में रवींद्र राय बैठे हुए थे. इस मामले में पूर्व सांसद ने चास मुफस्सिल थाना में प्राथमिकी दर्ज करा दी है साथ ही इस पूरे मामले पर एक वीडियो भी अपने सोशल नेटवर्किंग साइड पर अपलोड करते हुए लिखा है, अगर आज ड्राइवर ने सूझबूझ नहीं दिखाई होती तो पता नहीं आज मैं आपके साथ यह साझा कर भी पाता या नहीं.
र्व सांसद को प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करना पड़ा
इस मामले ने तूल पकड़ा और सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक इस आंदोलन और घटना का जिक्र हुआ. सोशल मीडिया के साथ- साथ पूर्व सांसद को प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करना पड़ा सुनिये उन्होंने इसमें क्या कहा.
क्षेत्रीय भाषा को लेकर चल रहा विरोध प्रदर्शन
क्षेत्रीय भाषा को लेकर चल रहा विरोध प्रदर्शन पहले से तय था. प्रशानस को पहले से जानकारी थी विरोध प्रदर्शन के लिए मानव ऋृंखला तैयार होगी. बोकारो के तीन थानों की पुलिस अतिरिक्त फोर्स के साथ सुरक्षा में लगी थी. सड़क पर लोगों की भीड़ इतनी ज्यादा थी कि आइटीआइ मोड़ से लेकर तलगड़िया मोड़ तक वाहन रेंगते रहे. इस दौरान यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी. मानव शृंखला के कारण बोकारो-धनबाद एनएच को वन-वे कर दिया गया था.