Good News : समय से किस्त देनेवालों को भी सरकार से मिल सकती है राहत, सभी कर्जदारों को समान लाभ देने की कोशिश

केंद्र सरकार उन कर्जधारकों को कैशबैक दे सकती है जिन्होंने छह महीने के मोराटोरियम का लाभ नहीं उठाया था और समय पर ईएमआइ का भुगतान कर रहे थे.

By Prabhat Khabar | October 5, 2020 8:42 AM

केंद्र सरकार उन कर्जधारकों को कैशबैक दे सकती है जिन्होंने छह महीने के मोराटोरियम का लाभ नहीं उठाया था और समय पर ईएमआइ का भुगतान कर रहे थे. यही नहीं दो करोड़ रुपये तक कर्ज वाली उन एमएसएमई को भी मुआवजा मिल सकता है, जिन्होंने लॉकडाउन के समय में अपनी किस्त वक्त पर जमा की है. मालूम हो कि लोन मोराटोरियम की अवधि में ब्याज पर ब्याज की छूट देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रख दिया है.

वित्त मंत्रालय की बनायी गयी कमेटी इस बात का आकलन कर रही है कि लोन मोराटोरियम का लाभ उठाने वाले लोगों को कितना फायदा हुआ है. माना जा रहा है कि इसी फायदे के बराबर की राशि उन लोगों को कैशबैक के रूप में दी जा सकती है, जिन्होंने समय पर किस्त जमा की है. वहीं, समय पर भुगतान करने वालों को राहत देने का एक तरीका यह भी हो सकता है कि सरकार उनके मूल बकाये में से ‘ब्याज पर ब्याजØ’ का एक हिस्सा कम कर दे.

एक सरकारी सूत्र ने बताया कि लोन मोराटोरियम की सुविधा नहीं लेनेवाले अगर इस सुविधा का लाभ उठाते तो उन्हें कितना फायदा होता, इसकी गणना हो सकती है. सूत्र ने बताया कि अपनी परेशानियों के बावजूद किस्त चुकानेवालों को फायदा नहीं देना, उनके साथ अन्याय होगा.

5000-7000 करोड़ रुपये की आयेगी लागत : रेटिंग एजेंसी इक्रा के उपाध्यक्ष अनिल गुप्ता के अनुसार, सरकार को इस राहत की लागत 5,000 या 7,000 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं आयेगी. उन्होंने आगे कहा, बैंकों और एनबीएफसी के कुल कर्जो में से 30-40 प्रतिशत से अधिक राहत के पात्र होंगे. ऐसे में सरकार को इसकी लागत 5,000-7,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं आयेगी.

पहले कर्ज चुकानेवालों को नहीं होता था फायदा : इससे पहले कई बार तमाम सरकारों ने किसानों के कर्ज माफ किये हैं. ऐसे कदमों की केंद्र और रिजर्व बैंक ने भी आलोचना की है क्योंकि उन लोगों को तो फायदा हो जाता है जो अपना कर्ज नहीं चुकाते या नहीं चुका पाते, लेकिन जो किसान ईमानदारी से समय से अपना कर्ज चुका देते हैं, उन्हें कोई फायदा नहीं मिलता. उल्टा देखा जाये तो उनका तो नुकसान ही हो जाता है. अगर वह कर्ज नहीं चुकाते, तो सरकार उनका भी कर्ज माफ कर देती. इस तरह डिफॉल्ट को बढ़ावा भी मिलता है.

Posted by : Pritish sahay

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