पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा पर केंद्र ने कहा, भारत संघ को पक्षकार बनाया गया है ये विचारणीय नहीं है

बंगाल में चुनाव बाद हिंसा को लेकर दर्ज मामलों से केंद्र का कोई संबंध नहीं है. केंद्र की तरफ से पक्ष रखते हुे अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा, सीबीआई द्वारा दर्ज मामलों और राज्य सरकार द्वारा दायर उस वाद से कोई लेना-देना नहीं है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 17, 2021 7:49 AM

बंगाल में चुनाव बाद हिंसा को लेकर दर्ज मामलों से केंद्र का कोई संबंध नहीं: केंद्र ने न्यायालय से कहा, पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा को लेकर कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा, सीबीआई द्वारा दर्ज मामलों और राज्य सरकार द्वारा दायर उस वाद से कोई लेना-देना नहीं है. इन मामलों में भारत संघ को पक्षकार बनाया गया है, ऐसे में ये वाद विचारणीय नहीं है.

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ को बताया कि सीबीआई संसद के विशेष अधिनियम के तहत स्थापित एक स्वायत्त निकाय होने के नाते स्वयं मामलों को दर्ज कर रही है और जांच कर रही है और इसमें केंद्र की कोई भूमिका नहीं है.

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उन्होंने कोर्ट में कहा, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) एक “स्वायत्त” निकाय है, जो केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं है, अटॉर्नी जनरल (एजी) केके वेणुगोपाल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया, जबकि सीबीआई को प्रतिबंधित करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका को खारिज करने की मांग की.

राज्य में उनकी सहमति या पूर्वानुमति के बगैर मामला दर्ज करने पर भी उन्होंने सवाल खड़े किये. केंद्र का प्रतिनिधित्व करते हुए वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (डीएसपीई) के तहत काम करती है, और यह उसी कानून के तहत मामले दर्ज करने का अधिकार भी प्राप्त करती है.

“सीबीआई का गठन डीएसपीई अधिनियम के तहत किया गया है और उसके अधिकारी इस अधिनियम के तहत कार्रवाई कर रहे हैं. सीबीआई संसदीय कानून के तहत काम करने वाली एक स्वायत्त संस्था है.

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उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार का मुकदमा केवल सीबीआई के खिलाफ सभी राहत की मांग कर रहा था अपनी याचिका में राज्य की मंजूरी के बिना कोई भी नया मामला दर्ज करने के साथ-साथ सीबीआई द्वारा दर्ज 12 मामलों को रद्द करने के खिलाफ एजेंसी पर संयम बरतने का अनुरोध किया गया. इस साल अगस्त में, ममता बनर्जी सरकार ने सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना सीबीआई को राज्य में जांच करने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया.

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