सितंबर में आ जायेगी बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन! कई टीकों का क्लिनिकल ट्रायल अंतिम चरण में

सितंबर के दूसरे सप्ताह या अंत तक बच्चों के टीके का क्लिनिकल ट्रायल पूरा हो जायेगा. कई कंपनियों का वैक्सीन पाइपलाइन में है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 19, 2021 8:11 AM

नयी दिल्ली : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) की निदेशक प्रिया अब्राहम ने कहा है कि सितंबर तक बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) उपलब्ध हो सकते हैं. 2 से 18 साल के बच्चों के लिए वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक ओटीटी प्लेटफॉर्म इंडिया साइंस को दिये एक साक्षात्कार में अब्राहम ने कहा कि चरण 2 और 3 नैदानिक परीक्षण 2 से 18 वर्ष की आयु के लोगों के लिए प्रक्रिया में हैं.

उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि परिणाम जल्द ही उपलब्ध होंगे और उन्हें नियामकों के सामने प्रस्तुत किया जायेगा. शायद सितंबर तक या सितंबर के ठीक बाद हमारे पास बच्चों के लिए एक टीका हो सकता है, यह कोवैक्सीन है. जाइडस कैडिला का भी परीक्षण जारी है और टीका लगाने वाले बच्चों के लिए टीका उपलब्ध कराया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन के साथ-साथ Zydus Cadila वैक्सीन भी उपलब्ध होगा.

एनआईवी स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के तहत एक निकाय है. पिछले महीने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भाजपा सांसदों से कहा था कि बच्चों के लिए कोविड टीकाकरण जल्द शुरू होने की संभावना है. मौजूदा समय में केवल 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोग ही कोरोनावायरस के खिलाफ टीकाकरण के पात्र हैं.

Also Read: वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके यात्रियों के लिए मुंबई में शुरू हुई लोकल ट्रेन, लोगों ने फैसले का किया स्वागत

अन्य वैक्सीन उम्मीदवारों के बारे में अब्राहम ने कहा कि जाइडस कैडिला पहला डीएनए वैक्सीन होगा. इसके अलावा जेनोवा का एक और वैक्सीन, जो एक एमआरएनए वैक्सीन है, ये भी आयेगा और बायोलॉजिकल ई का नोवावैक्स वैक्सीन है जिसे भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित किया जायेगा. ये सभी पाइपलाइन में हैं.

डेल्टा प्लस वेरिएंट के फैलने की कितनी संभावना

डेल्टा-प्लस वेरिएंट के एक सवाल के जवाब में अब्राहम ने कहा कि इस वेरिएंट के डेल्टा वेरिएंट की तुलना में फैलने की संभावना कम है. उन्होंने कहा कि टीका लगाये गये लोगों के शरीर में बने एंटीबॉडी को इस वेरिएंट के खिलाफ जांचा गया और यह पाया गया कि एंटीबॉडी की प्रभावकारिता दो से तीन गुना कम हो गयी थी. फिर भी, टीके अभी भी वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षात्मक हैं.

टीके थोड़ा कम प्रभाव दिखा सकते हैं, लेकिन वे गंभीर बीमारियों को रोकने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. इससे रोगी के अस्पताल में भर्ती होने और मौत की संभावना को कम किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कोरोना के जो भी वेरिएंट है, टीका अब तक डेल्टा वेरिएंट सहित सभी के खिलाफ सुरक्षात्मक है. इसलिए, कोई झिझक नहीं होनी चाहिए.

Posted By: Amlesh Nandan.

Next Article

Exit mobile version