हिमाचल प्रदेश चुनाव 2022: इन तीन वहज से भाजपा की बढ़ी टेंशन, जानें चुनाव का क्या रहा है इतिहास

Himachal Pradesh 2022: ऐसे तो भाजपा फिर से सरकार बनाने का दावा कर रही है, लेकिन ऐसी तीन वजहें है जिसने पार्टी को मतदान से पूर्व टेंशन दे दिया है. पहला पहाड़ी हिमाचल प्रदेश के पिछले तीन दशक का चुनावी इतिहास है, जानें और दो वजह

By Amitabh Kumar | November 10, 2022 1:40 PM

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए जहां आज चुनाव प्रचार खत्म होने जा रहा है, वहीं कुछ ऐसी बातें हैं जो भाजपा को मतदान के पहले परेशान कर रहीं हैं. हिमाचल प्रदेश में सभी दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है. एक चुनावी रैली में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता से हिमाचल में मौजूदा सत्तारूढ़ पार्टी को सत्ता से बाहर कर देने की परिपाटी को तोड़ने के लिए कह चुके है. इस बीच आइए जानते हैं कि आखिर कौन से ऐसे कारक हैं जिसकी वजह से भाजपा की प्रदेश में परेशानी बढ़ी हुई है.

ऐसे तो भाजपा फिर से सरकार बनाने का दावा कर रही है, लेकिन ऐसी तीन वजहें है जिसने पार्टी को मतदान से पूर्व टेंशन दे दिया है. पहला पहाड़ी हिमाचल प्रदेश के पिछले तीन दशक का चुनावी इतिहास है जो सत्ता बदलने के संकेत दे रहा है. दूसरा चुनावी मैदान में उतरने वाले भाजपा के बागी नेता हैं वहीं तीसरी वजह ओल्ड पेंशन स्कीम है जो चुनावी मुद्दा बना हुआ है.

भाजपा के बागी नेता

भाजपा ने टिकट बंटवारे के दौरान, पिछला विधानसभा चुनाव जीतने वाले कई विधायकों और मंत्रियों का टिकट काट दिया है जो उसके लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. भाजपा जहां कुछ बागी नेताओं को तो मनाने में सफल रही है, वहीं लगभग 20 बागी चुनावी मैदान में अभी भी डटे हुए हैं. खबरों की मानें तो इन सीटों पर इन बागी नेताओं की काफी पकड़ है और वे कहीं न कहीं भाजपा को ही नुकसान पहुंचा सकते हैं.

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पुरानी पेंशन स्कीम

हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम चुनावी मुद्दा बना हुआ है जिसे कांग्रेस इस चुनाव में भंजाना चाहती है. कांग्रेस ने वादा किया है कि यदि प्रदेश में उनकी सरकार बनती है तो फिर कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने का काम किया जाएगा, जैसाकि अन्य कांग्रेस शासित राज्यों में किया गया है. कांग्रेस के शीर्ष नेता राजस्थान और छत्तीसगढ़ का उदाहरण देकर लोगों के बीच अपनी बात भी चुनावी रैलियों में रखते नजर आ चुके हैं. जानकारों की मानें तो हिमाचल प्रदेश में रिटायर्ड कर्मचारियों की बड़ी संख्या है जिस वजह से भाजपा के लिए चुनाव में परेशानी बढ़ सकती है.

चुनावी इतिहास

हिमाचल प्रदेश के चुनावी इतिहास को यदि आप उठाकर देखेंगे तो भाजपा की परेशानी का कारण आप समझ जाएंगे. जी हां…प्रदेश में हर पांच साल के बाद सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड चला आ रहा है. पिछले तीन दशक से एक पार्टी की सरकार के बाद दूसरी पार्टी की सरकार यहां की जनता बना देती है. पहाड़ी राज्य हिमाचल के इतिहास पर नजर डालें तो यहां मध्य 80 के दशक से ही एक बार कांग्रेस तो अगली बार भाजपा सत्ता में आती है.

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