व्यापमं घोटाला: सीबीआई को छह सप्ताह में फोरेंसिक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को आज निर्देश दिया कि वह व्यापमं घोटाले के सिलसिले में सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) द्वारा जांच पडताल किये जा रहे इलेक्ट्रानिक सबूतों के संबंध में एक फोरेंसिक रिपोर्ट छह सप्ताह के भीतर दाखिल करे. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति पी सी पंत की एक पीठ ने […]
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को आज निर्देश दिया कि वह व्यापमं घोटाले के सिलसिले में सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) द्वारा जांच पडताल किये जा रहे इलेक्ट्रानिक सबूतों के संबंध में एक फोरेंसिक रिपोर्ट छह सप्ताह के भीतर दाखिल करे.
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति पी सी पंत की एक पीठ ने कहा कि सीएफएसएल रिपोर्ट एक सीलबंद लिफाफे में दाखिल होने और उस पर गौर किये जाने के बाद सीबीआई की ओर से जांच की निगरानी के पहलू पर वह आदेश पारित कर सकती है. सुनवायी के दौरान सीबीआई की ओर से पेश होने वाले सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने घोटाले को लेकर अभी तक की गई जांच पर एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जिसमें कहा गया है कि 80 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया है. वहीं एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई है जबकि 13 प्राथमिक जांच भी बंद की गई हैं.
कुमार ने कहा कि जांच एजेंसी ने भंडाफोड करने वाले की पेन ड्राइव और एक हार्डडिस्क की जांच पडताल कर रहे सीएफएसएल से अनुरोध किया है कि वह प्रक्रिया में तेजी लाये और रिपोर्ट सौंपे. उन्होंने आरोप लगाया कि कई दूरसंचार सेवा प्रदाता मामले में एजेंसी से सहयोग नहीं कर रहे हैं. पीठ ने जब सीबीआई से पूछा कि वह सीएफएसएल की ओर से मामले में रिपोर्ट कब आने की उम्मीद करती है, कुमार ने कहा कि हैदराबाद स्थित सीएफएसएल के पास कई चीजें हैं और वह अपनी रिपोर्ट दो महीने में दे सकती है. न्यायालय ने कहा कि उसके विचाराधीन दो मुद्दे थे..जांच की निगरानी और उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती.
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पेश होने वाले अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि मुख्य अर्जी सीबीआई जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच के लिए थी जो कि पहले ही मान ली गयी है. शुरु में पीठ ने कहा कि मामले में बहुत कुछ करने की जरुरत नहीं है और याचिकाकर्ता की जो भी शिकायतें हैं उसे उच्च न्यायालय के समक्ष उठाया जा सकता है. एक याचिकाकर्ता के लिए पेश होने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि सीएफएसएल इलेक्ट्रानिक सबूतों की जांच पडताल कर रहा है और अदालत को पहले रिपोर्ट मांगनी चाहिए और उसके बाद उचित आदेश पारित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पेनड्राइव उच्च न्यायालय को दी गई थी लेकिन उस पर गौर नहीं किया गया और वर्षों तक कुछ भी नहीं किया गया.
सिब्बल ने कहा कि सीबीआई ने भी पेनड्राइव पर गौर नहीं किया और उसे जांच पडताल के लिए सीएफएसएल को भेज दिया गया. उच्च न्यायालय विभिन्न याचिकाओं पर सुनवायी कर रहा था जिसमें एक याचिका कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की भी थी जो कि व्यापमं घोटाले से उत्पन्न होने वाले सभी मामलों की जांच की निगरानी की मांग को लेकर थी.