ओडिशा: अस्पताल कर्मचारी ने शव का कूल्हा तोड़ा, बनाई गठरी

भुवनेश्‍वर : ओडिशा से दो दिन के भीतर सामने आई दो तस्‍वीरों ने सरकारी व्‍यवस्‍था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. बुधवार को कालाहांडी का एक आदिवासी शख्‍स पत्‍नी की लाश को कंधे पर ले जाता नजर आने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि ऐसी ही दूसरी घटना कल राज्य में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 26, 2016 11:16 AM

भुवनेश्‍वर : ओडिशा से दो दिन के भीतर सामने आई दो तस्‍वीरों ने सरकारी व्‍यवस्‍था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. बुधवार को कालाहांडी का एक आदिवासी शख्‍स पत्‍नी की लाश को कंधे पर ले जाता नजर आने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि ऐसी ही दूसरी घटना कल राज्य में फिर देखने को मिली. घटना बालासोर जिले की है.

यहां गुरूवार को अस्पतालवालों के मोर्चरी वैन देने से इनकार किया जिसके बाद महिला के मृत शरीर की हड्डियां तोड़ी गई और उसकी गठरी बनाकर बांस के डंडे और मजदूरों के जरिये उसे ढोकर स्टेशन पहुंचाया गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार 80 वर्षीया विधवा, सलमानी बेहड़ा की बालासोर जिले में बुधवार सुबह सोरो रेलवे स्‍टेशन के नजदीक मालगाड़ी के नीचे आ जाने के कारण मौत हो गई जिसके बाद उसकी लाश को सोरो कम्‍युनिटी हेल्‍थ सेंटर ले जाया गया.

ऑटो वाले ने मांगा 3,500 लेकिन…

राजकीय रेलवे पुलिस को जब इस संबंध में जानकारी दी गई तो वह करीब 12 घंटे बाद अस्‍पताल पहुंचे. लाश को पोस्‍टमॉर्टम के लिए बालासोर जिला ले जाना जरूरी था, मगर वहां कोई एम्‍बुलेंस उपलब्ध नहीं था. सोरो जीआरपी के असिस्‍टेंट सब-इंस्‍पेक्‍टर प्रताप रुद्र मिश्रा ने बताया कि उन्‍होंने एक ऑटो रिक्‍शा ड्राइवर से लाश रेलवे स्‍टेशन ले जाने का आग्रह किया तो उसने इसके एवज में 3,500 रुपये कि डिमांड की लेकिन हम ऐसे काम के लिए 1,000 से ज्‍यादा खर्च नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि ऐसे में मेरे पास सीएचसी के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के द्वारा लाश ले जाने के सिवा दूसरा कोई रास्‍ता नहीं बचा था.

अकड़ गई थी लाश

बताया जा रहा है कि देरी होने की वजह से, लाश में अकड़न उत्पन्न हो गई थी जिसकी वजह से कामगारों को लाश बांधने में दिक्कत हुई जिसके बाद उन्‍होंने कूल्‍हे के पास से लाश को तोड़ दिया. कामगारों ने उसके बाद लाश को पुरानी चादर में लपेटा और एक बांस से बांध दिया, फिर दो किलोमीटर दूर स्थित रेलवे स्‍टेशन ले गए. उन्होंने कहा कि कामगारों की मदद से लाश को ट्रेन से ले जाया गया.

क्या कहा बेटे ने
बेहड़ा के बेटे ने इस खबर के प्रकाश में आने के बाद कहा कि जब उन्‍होंने अपने मां की लाश के साथ किए गए व्‍यवहार के बारे में सुना तो उन्हें काफी सदमा लगा. उन्‍होंने कहा कि उन्‍हें थोड़ी और मानवता दिखानी चाहिए थी. मैंने शुरू में पुलिसवालों के खिलाफ मुकदमा करने का मन बनाया, लेकिन हमारी शिकायत पर कार्रवाई होगी या नहीं, यह सोचकर मैंने अपना मन बदल लिया.

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