सूखे को लेकर इच्छाशक्ति दिखाये सरकार: सुप्रीम कोर्ट

!!विनय तिवारी !! नयी दिल्ली : सूखे की समस्या को लेकर संवेदनशील रवैया नहीं अपनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार की सख्त आलोचना की है. शीर्ष अदालत ने सूखे को लेकर राष्ट्रीय नीति बनाने, मौजूदा सूखा प्रबंधन के दिशानिर्देश में बदलाव करने और सूखे की घोषणा करने के लिए एक तय […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 11, 2016 8:15 PM

!!विनय तिवारी !!

नयी दिल्ली : सूखे की समस्या को लेकर संवेदनशील रवैया नहीं अपनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार की सख्त आलोचना की है. शीर्ष अदालत ने सूखे को लेकर राष्ट्रीय नीति बनाने, मौजूदा सूखा प्रबंधन के दिशानिर्देश में बदलाव करने और सूखे की घोषणा करने के लिए एक तय मानक बनाने का आदेश दिया है. न्यायाधीश मदन बी लोकुर और न्यायाधीश एनवी रमन्ना की खंडपीठ ने केंद्र सरकार ने सूखे का पता लगाने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग करने इससे संबंधित नीति बनाने के लिए मानवीय पहलुओं जैसे पलायन, आत्महत्या और महिलाओं एवं बच्चों पर होने वाले असर को प्राथमिकता देने की बात कही. खंडपीठ ने लोकमान्य तिलक के कथन का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि समस्या संसाधनों या क्षमता का नहीं, बल्कि इच्छाशक्ति की कमी का है.

स्वराज अभियान की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बिहार, हरियाणा और गुजरात ने सूखे को स्वीकार करने में देरी की और जमीनी हकीकत की सही जानकारी नहीं दी. सूखे का समाधान निकालने की बात तो दूर इन राज्यों ने सही आंकड़े देने में भी आनाकानी की. यह स्थिति इसलिए हैरान करने वाली है क्योंकि सूखे से समाज के कमजोर वर्ग के लोग सबसे अधिक प्रभावित हैं. आदेश में कहा गया कि सूखे पर इन राज्यों की चुप्पी से कमजोर वर्ग पर काफी बुरा असर पड़ा. गुजरात ने सुनवाई के अंतिम दौर में सूखे की बात स्वीकार की, जबकि बिहार और हरियाणा लगातार इंकार करते रहे. अदालत ने केंद्र से सूखे के निबटारे में सक्रिय भूमिका अदा करने संघवाद की आड़ लेकर सिर्फ इस मामले में वित्तीय मदद मुहैया कराने की अपनी जिम्मेदारी से आगे बढ़कर काम करने को कहा है. यह सही है कि राज्य सरकार इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं और ऐसी आपादा से निबटने के लिए केंद्र को सक्रिय भूमिका निभानी होगी.
एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप से काम नहीं होने वाला है. गौरतलब है कि स्वराज अभियान ने सूखे की गंभीर स्थिति को देखते हुए अदालत से हस्तक्षेप की मांग की थी. याचिका में दलील दी गयी कि सूखे के कारण कई राज्यों में हालात काफी गंभीर हो गये हैं और सरकारें इसे लेकर गंभीर नहीं है. सरकार के मुताबिक 11 राज्यों के 226 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है और 33 करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून को प्रावधानों को लागू करने के साथ ही सूखे को लेकर इसके दायरे में राष्ट्रीय नीति बनाने का आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि इस कानून के 10 साल होने के बावजूद राष्ट्रीय नीति नहीं बन पायी है और केंद्र को इस दिशा में सख्त कदम उठाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर राष्ट्रीय आपादा मिटिगेशन फंड बनाने का आदेश दिया है. अपने आदेश में शीर्ष अदालत ने केंद्रीय कृषि सचिव को बिहार, हरियाणा और गुजरात के मुख्य सचिव से मुलाकात कर राज्य में सूखे की घोषणा करने काे कहा है. अदालत ने कहा कि यह उसके आदेश का पहला भाग है और दूसरा भाग इस सप्ताह के अंत में जारी किया जायेगा.

Next Article

Exit mobile version