भारत में COVID-19 के कौन-कौन से टीके पर चल रहा है काम, कहां तक मिली है सफलता, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

7 Indian pharmaceutical companies, involved in making Corona virus vaccine, Bharat Biotech, Serum Institute, Zydus Cadila, Panacea Biotech, Indian Immunologics, Minwax and Biological E देश में कोरोना वायरस रोजाना नये-नये रिकॉर्ड बना रहा है. पिछले 24 घंटे में 40 हजार से अधिक कोविड-19 के नये मामले सामने आये हैं. इसके साथ ही संक्रमितों का आंकड़ा 11 लाख के पार पहुंच चुका है और 27 हजार से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच वैक्सीन की कवायद भी तेज हो गयी है. देश-दुनिया की कई बड़ी दवा कंपनियां कोरोना वैक्सीन बनाने में जुट गयी हैं. इस अभियान में भारतीय भी पीछे नहीं हैं. बल्कि कई मामलों में आगे भी हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 20, 2020 6:19 PM

नयी दिल्ली : देश में कोरोना वायरस रोजाना नये-नये रिकॉर्ड बना रहा है. पिछले 24 घंटे में 40 हजार से अधिक कोविड-19 के नये मामले सामने आये हैं. इसके साथ ही संक्रमितों का आंकड़ा 11 लाख के पार पहुंच चुका है और 27 हजार से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच वैक्सीन की कवायद भी तेज हो गयी है. देश-दुनिया की कई बड़ी दवा कंपनियां कोरोना वैक्सीन बनाने में जुट गयी हैं. इस अभियान में भारतीय भी पीछे नहीं हैं. बल्कि कई मामलों में आगे भी हैं.

कोरोना टीका बनाने में जुटे भारतीय

मालूम हो कम से कम सात भारतीय दवा कंपनियां कोरोना वायरस संक्रमण का टीका तैयार करने में जुटी हैं. घरेलू फार्मा कंपनियों की बात की जाए, तो भारत बायोटेक, सीरम इंस्टिट्यूट, जायडस कैडिला, पैनेशिया बायोटेक, इंडियन इम्यूनोलॉजिकस, मायनवैक्स और बायोलॉजिकल ई कोविड-19 का टीका तैयार करने का प्रयास कर रही है.

कहां तक मिली सफलता

भारत बायोटेक को वैक्सीन ‘कैंडिडेट’ कोवैक्सीन के पहले और दूसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण की अनुमति मिली है. इसका विनिर्माण कंपनी के हैदराबाद कारखाने में किया जाएगा. कंपनी ने पिछले सप्ताह मानव क्लिनिकल परीक्षण शुरू किया है.

Also Read: एम्स( AIIMS) के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा देश में मृत्यु दर काफी, कम्युनिटी ट्रांसफर पर कही ये बात…

एक अन्य कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया को उम्मीद है कि वह इस साल के अंत तक कोविड-19 का टीका तैयार कर लेगी. सीरम इंस्टिट्यूट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अदर पूनावाला ने कहा, फिलहाल हम एस्ट्रजेनेका ऑक्सफोर्ड वैक्सीन पर काम कर रहे हैं, जिसका तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण चल रहा है. हम अगस्त, 2020 में भारत में मानव परीक्षण शुरू करेंगे. अभी तक क्लिनिकल परीक्षण को लेकर जो सूचना उपलब्ध है उसके आधार पर हमें उम्मीद है कि एस्ट्राजेनेका ऑक्सफोर्ड वैक्सीन इस साल के अंत तक उपलब्ध होगी.

इस बीच, फार्मा क्षेत्र की एक अन्य कंपनी जायडस कैडिला ने कहा कि वह कोविड-19 के वैक्सीन ‘कैंडिडेट’ जाइकोव-डी का क्लिनिकल परीक्षण सात माह में पूरा करने की उम्मीद कर रही है. जायडस कैडिला के चेयरमैन पंकज आर पटेल ने बयान में कहा, अध्ययन के नतीजों के बाद यदि डाटा उत्साहवर्धक रहता है और परीक्षण के दौरान टीका प्रभावी साबित होता है तो परीक्षण पूरा करने और टीका उतारने में सात माह लगेंगे.

हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने पिछले सप्ताह रोहतक के परास्नातक चिकित्सा विज्ञान संस्थान में अपने टीके कोवैक्सीन का मानव परीक्षण शुरू कर दिया है.

भारतीय औषधि नियामक से कंपनी को सार्स-कोव-2 वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण क्लिनिकल परीक्षण की मंजूरी मिली है. कंपनी ने यह टीका भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थन (एनआईवी) के साथ सहयोग से विकसित किया है.

पैनेशिया बायोटेक ने जून में कहा था कि वह कोविड-19 का टीका विकसित करने के लिए अमेरिका की रेफैना के साथ मिलकर आयरलैंड में संयुक्त उद्यम लगा रही है.

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की अनुषंगी इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स ने कोरोना वायरस का टीका विकसित करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफिथ विश्वविद्यालय के साथ करार किया है. इसके अलावा मायनवैक्स और बायोलॉजिकल ई भी कोविड-19 का टीका तैयार करने के लिए काम कर रही हैं.

टीका या वैक्सीन बनाने में लगते हैं कई साल

वैज्ञानिकों के अनुसार कोई टीका या वैक्सीन बनाने के लिए कई साल परीक्षण और उसके बाद उत्पादन के लिए अतिरिक्त समय की जरूरत होती है. लेकिन इस महामारी की वजह से वैज्ञानिक कुछ महीनों में इसका टीका बनाने की उम्मीद कर रहे हैं.

टीका को लेकर वैज्ञानिकों ने सतर्क रहने को कहा

भारतीय कोविड-19 टीका कार्यक्रम में अचानक रूचि बढ़ी है, लेकिन अनेक वैज्ञानिकों ने कहा कि इसे उच्च प्राथमिकता देने और महीनों, यहां तक वर्षों तक चलने वाली प्रक्रिया में जल्दबाजी बरतने के बीच एक संतुलन बनाना अनिवार्य है एवं टीका विकसित होने में कई महीना यहां तक सालों लग सकते हैं.

वैज्ञानिकों की यह सलाह आईसीएमआर द्वारा अगले महीने टीके के उत्पादन की शुरुआत करने की घोषणा के एक दिन बाद आई है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19 के खिलाफ दुनिया का पहला टीका 15 अगस्त तक बाजार में उतारने की घोषणा की जिसे लेकर उम्मीद के साथ आशंकाए भी हैं. इसी दिन गुजरात की कंपनी ज़ायडस कैडिला ने घोषणा की कि उसे भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से उसके संभावित टीके को इंसानों पर चिकित्सीय परीक्षण की अनुमति मिल गई है.

विषाणु रोग विशेषज्ञ और वेलकम न्यास/ डीबीटी इंडिया अलायंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शाहिद जमील ने कहा, अगर चीजें दोषमुक्त तरीके से की जा जाए तो टीके का परीक्षण खासतौर पर प्रतिरक्षाजनत्व और प्रभाव जांचने के लिए चार हफ्ते में यह संभव नहीं है.

विषाणु वैज्ञानिक उपासना राय ने कहा कोरोनो वायरस के खिलाफ टीका लांच की प्रक्रिया को गति देना या जल्द लांच करने का वादा करना प्रशंसा के योग्य है, लेकिन यह सवाल महत्वपूर्ण है कि क्या ‘हम बहुत ज्यादा जल्दबाजी कर रहे हैं’. सीआईएसआर-आईआईसीबी कोलकाता में वरिष्ठ वैज्ञानिक रे ने कहा, हमें सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए. इस परियोजना को उच्च प्राथमिकता देना नितांत आवश्यक है. हालांकि, अतिरिक्त दबाव जरूरी नहीं कि जनता के लिए सकारात्मक उत्पाद दे.

Posted By – Arbind Kumar Mishra

Next Article

Exit mobile version