शीत सत्र : अध्यादेश संबंधी विधेयक सरकार की प्राथमिकता सूची में टॉप पर

नयी दिल्ली : भूमि अध्यादेश विधेयक की समयावधि बीत जाने के साथ राजग सरकार अब प्राथमिकता के आधार पर संसद के 26 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में अध्यादेश संबंधी तीन विधेयकों को पारित कराएगी. ऐसे ही तीन विधेयकों में चेक बाउंस मामलों से निपटने के लिए ‘द निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट (एमेंडमेंट) बिल 2015 […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 22, 2015 1:39 PM

नयी दिल्ली : भूमि अध्यादेश विधेयक की समयावधि बीत जाने के साथ राजग सरकार अब प्राथमिकता के आधार पर संसद के 26 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में अध्यादेश संबंधी तीन विधेयकों को पारित कराएगी. ऐसे ही तीन विधेयकों में चेक बाउंस मामलों से निपटने के लिए ‘द निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट (एमेंडमेंट) बिल 2015 और उच्च न्यायालयों के वाणिज्यिक प्रभाग तथा वाणिज्यिक अपील प्रभाग एवं वाणिज्यिक विधेयक 2015 शामिल हैं जो उच्च न्यायालयों में वाणिज्यिक प्रभागों के गठन का मार्ग प्रशस्त करेगा.

एक अन्य महत्वपूर्ण विधेयक भी एजेंडे में है जो सुलह समझौते के जरिए विवादों के तेजी से निपटान के लक्ष्य को हासिल करने के लिए लाया गया था. इसे ‘मध्यस्थता और सुलह समझौता (संशोधन) अध्यादेश 2015 को कानून का रुप देने के लिए लाया जाएगा. मानसून सत्र का लगभग पूरा समय बेकार चले जाने के बाद शीत सत्र में भी विपक्ष लोकसभा और राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में है. ऐसे में सदन के भीतर कामकाज की व्यवस्था संभालने वाले सरकार के वरिष्ठ प्रबंधक कम विवादास्पद विधेयकों को पारित कराने की रणनीति बनाने में जुटे हैं.

वे महत्वपूर्ण जीएसटी विधेयक को भी पारित कराने पर विचार विमर्श में जुटे हैं जिसके बारे में कांग्रेस ने संकेत दिए हैं कि वह हो सकता है कोई बडी बाधा खड़ी नहीं करे. संसदीय मामलों के मंत्री एम वेंकैया नायडू मंगलवार को दोनों सदनों के राजग नेताओं से मुलाकात करेंगे और इसके एक दिन बाद 25 नवंबर को महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में सरकार की मदद के लिए सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया जाएगा.

लोकसभा में आठ और राज्यसभा में 11 विधेयक लंबित हैं. महत्वपूर्ण विधेयकों में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) तथा भूमि विधेयक शामिल हैं जो इस समय संसद की संयुक्त समिति के समक्ष लंबित हैं.

‘‘भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्बसाहट (दूसरा संशोधन) विधेयक 2015 में उचित मुआवजा एवं पारदर्शिता के अधिकार” पर सरकार के तेजी से आगे बढने की संभावना नहीं है क्योंकि वह संकेत दे चुकी है कि वह राज्य सरकारों को इस संबंध में अपने अपने विधेयक तैयार करने को तरजीह देगी. अन्य महत्वपूर्ण लंबित विधेयकों में ‘ सचेतक संरक्षण (संशोधन) विधेयक , निरसन और संशोधन (तीसरा) विधेयक, बेनामी लेनदेन (निषेध) (संशोधन) विधेयक , उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश (वेतन एवं सेवा शर्ते) संशोधन विधेयक तथा माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम विकास (संशोधन) विधेयक शामिल हैं.

राजग सहयोगियों के साथ बैठक में सरकार सदनों में उचित प्रबंधन के साथ महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने के लिए अपने विधायी कामकाज को आगे बढाने के मकसद से सत्तारुढ गठबंधन की रणनीति पर विचार विमर्श करेगी. सरकार 25 नवंबर को पारपंरिक रुप से लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा बुलायी जाने वाली सर्वदलीय बैठक के जरिए भी विपक्ष से संपर्क साधने का एक और प्रयास करेगी. बिहार विधानसभा चुनाव में राजग के औंधे मुंह गिरने के बाद संसद का यह पहला सत्र होगा. विपक्षी पार्टियां पहले ही ‘‘असहिष्णुता” समेत विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने की अपनी मंशा घोषित कर चुकी हैं.

लंबित विधेयकों के संबंध में संसदीय सचिव अफजल अमानुल्लाह ने पिछले सप्ताह विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों के साथ एक बैठक की थी. 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को अंगीकार किए जाने की याद में तथा इसके रचियता दलित महानायक बी आर अम्बेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सत्र के पहले दो दिन संसद की दो दिवसीय विशेष बैठक बुलायी गयी है.

ऐसा माना जा रहा है कि अम्बेडकर के संबंध में संवेदनशीलता और मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए विपक्ष पहले दो दिन संभवत: संसद को बाधित नहीं करेगा. लेकिन विपक्ष द्वारा 30 नवंबर से संसद का विधायी कामकाज शुरू होने पर असहिष्णुता, पुरस्कार वापसी, दादरी कांड , महंगाई तथा केंद्र राज्य संबंधों के मुद्दे को जोरशोर से उठाए जाने की संभावना है.

Next Article

Exit mobile version