सबरीमाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की नौ न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ ने बृहस्पतिवार को इस विधिक मुद्दे पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया कि क्या शीर्ष अदालत अपने पुनरीक्षा के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कानून के सवालों को एक वृहद पीठ को भेज सकती है. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे के नेतृत्व वाली […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 6, 2020 5:21 PM

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की नौ न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ ने बृहस्पतिवार को इस विधिक मुद्दे पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया कि क्या शीर्ष अदालत अपने पुनरीक्षा के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कानून के सवालों को एक वृहद पीठ को भेज सकती है. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि वह अपना आदेश 10 फरवरी को सुनाएगी और 12 फरवरी से दिन प्रतिदिन सुनवायी करेगी.

पीठ सबरीमाला मंदिर सहित विभिन्न धार्मिक स्थलों पर महिलाओं के भेदभाव संबंधी मुद्दे पर सुनवाई कर रही है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि शीर्ष अदालत विधिक सवालों को वृहद पीठ के पास भेजने को लेकर सही है.‘‘मौलिक अधिकारों के संरक्षक के रूप में, कानून के इन सवालों पर एक प्राधिकृत फैसला देना न्यायालय का कर्तव्य था.”

वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन ने इस दलील का विरोध किया और कहा कि केवल राष्ट्रपति ही राष्ट्रीय महत्व के सवाल पूछ सकते हैं, अदालत नहीं. पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति एम एम शांतानागौदर, न्यायमूर्ति एस ए नजीर, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत हैं.

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