कर्नाटक उपचुनाव : भाजपा ने 15 में से 12 सीटें जीती, विधानसभा में मिला स्पष्ट बहुमत

बेंगलुरु : सत्तारूढ़ भाजपा ने कर्नाटक में 15 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में सोमवार को 12 सीटों पर जीत दर्ज कर राज्य विधानसभा में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया, जबकि विपक्षी कांग्रेस ने दो और निर्दलीय ने एक सीट पर जीत हासिल की. विपक्षी दल कांग्रेस और जदएस के लिए ये नतीजे एक बड़ा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 9, 2019 5:55 PM

बेंगलुरु : सत्तारूढ़ भाजपा ने कर्नाटक में 15 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में सोमवार को 12 सीटों पर जीत दर्ज कर राज्य विधानसभा में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया, जबकि विपक्षी कांग्रेस ने दो और निर्दलीय ने एक सीट पर जीत हासिल की.

विपक्षी दल कांग्रेस और जदएस के लिए ये नतीजे एक बड़ा झटका हैं. पूर्व के चुनाव में इन 15 सीटों में से 12 सीटें जीतने वाली कांग्रेस केवल दो निर्वाचन क्षेत्रों हुनासुरु और शिवाजीनगर में ही जीत हासिल कर पायी. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व वाली जदएस ने विधानसभा चुनाव के दौरान इन 15 सीटों में तीन निर्वाचन क्षेत्रों केआर पेटे, महालक्ष्मी लेआउट और होंसुर में जीत हासिल की थी. निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि उपचुनाव में भाजपा ने 15 में से 12 सीटों पर, कांग्रेस ने दो और निर्दलीय ने एक सीट पर जीत दर्ज की. होसकोटे से निर्दलीय उम्मीदवार शरथ बच्चेगौड़ा ने जीत हासिल की.

जीत हासिल करने वाले भाजपा के 12 उम्मीदवारों में अरबैल शिवराम हेब्बार (येल्लापुर), नारायण गौड़ा (केआर पेटे), बीसी पाटिल (हीरेकेरूर), श्रीमंत पाटिल (कगवाड), महेश कुमथल्ली (अथानी), के सुधाकर (चिकबल्लापुर), के गोपालैया (महालक्ष्मी ले आउट), आनंद सिंह (विजयनगर), रमेश जारकिहोली (गोकक) और अरुण कुमार गुट्टूर (राणेबेन्नूर), एसटी सोमशेखर (यशवंतपुर) और बेराठी बसवराज (केआर पुरम) हैं. राज्य की 225 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए भाजपा को 15 सीटों में कम से कम छह सीटों पर जीत की जरूरत थी. दो सीटें मास्की और आरके नगर अभी भी रिक्त हैं.

विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिये जाने के बाद विधानसभा में इस समय 208 सदस्य हैं जिनमें भाजपा के पास 105 (एक निर्दलीय सहित), कांग्रेस के 66 और जदएस के 34 विधायक हैं. बसपा का भी एक विधायक है. इसके अलावा एक मनोनीत विधायक और विधानसभा अध्यक्ष हैं. कांग्रेस और जदएस के 17 विधायकों की बगावत के बाद कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार जुलाई में गिर गयी थी और इसके बाद भाजपा सत्ता में आयी थी. बागी विधायकों को अयोग्य करार दिये जाने के कारण ये उपचुनाव कराया गया है.

Next Article

Exit mobile version