चंद्रयान 2: ISRO की सफलता पर सियासत, कांग्रेस ने लिया ”क्रेडिट” तो भाजपा ने ऐेसे दिया जवाब

नयी दिल्लीः चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण से हर भारतीयों का दिल गर्व से भर गया है.इसरो अपने मिशन में कामयाब हुआ तो पूरे देश ने सलाम किया. बधाइयों का तांता लग गया. इसी बीच, इसरो की कामयाबी पर सियासत होने लगी. कांग्रेस ने चंद्रयान 2 के प्रक्षेपण के फौरन बाद ट्वीटर पर याद दिलाया कि […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 23, 2019 9:33 AM

नयी दिल्लीः चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण से हर भारतीयों का दिल गर्व से भर गया है.इसरो अपने मिशन में कामयाब हुआ तो पूरे देश ने सलाम किया. बधाइयों का तांता लग गया. इसी बीच, इसरो की कामयाबी पर सियासत होने लगी. कांग्रेस ने चंद्रयान 2 के प्रक्षेपण के फौरन बाद ट्वीटर पर याद दिलाया कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसरो की नींव रखी थी. भाजपा ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि सभी भारतीय नागरिकों को गौरवान्वित करने वाली इस उपलब्धि पर राजनीति करना दुखद है.

कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा, ‘चंद्रयान2 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो टीम को बधाई.’ कांग्रेस ने आगे लिखा, ‘यह भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के उस दूरदर्शी कदम को याद करने का समय है जिसके तहत 1962 में INCOSPAR के जरिये अंतरिक्ष अनुसंधान का वित्तपोषण हुआ था जो कि बाद में इसरो (ISRO) बना.’
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के मशहूर ‘ट्रिस्ट विथ डेस्टिनी’ भाषण का हवाला देते हुए ट्वीट किया, ‘भारत की ‘ट्रिस्ट विथ डेस्टिनी’ चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के साथ जारी है. ये वो निर्णायक क्षण हैं जो हमें एक महान देश बनाते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘इसरो के सभी वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष इंजीनियरों को बधाई जिन्होंने 130 करोड़ भारतीयों को गौरवान्वित करने के लिए दिन-रात मेहनत की.’
बीजेपी की ओर से इसका जवाब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्विटर पर तंज करके दिया. गिरिराज सिंह ने लिखा, ‘देश को याद दिलाने का सही समय है, चांद की खोज भी कांग्रेस ने ही की थी.’ हालांकि बाद में गिरिराज सिंह ने अपना ट्वीट डिलीट भी कर दिया.
इसके बाद बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, ‘यह बहुद दुखद है. यह हर भारतीय के लिए गौरव का क्षण है और इसे राजनीति दायरे में नहीं लाना चाहिए.’उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जब भविष्य में कोई नेतृत्व नहीं दिखाई देता तो अपने आप को प्रासंगिक रखने के लिए अतीत में झांकने का चलन है. दुखद है कि कांग्रेस के साथ यही हो रहा है.’

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