जब टीएन शेषन पर लगा कांग्रेसी होने का ठप्पा तो…

नयी दिल्ली : चुनावों में सुधार और ज्यादा पारदर्शिता लाने के लिए पूरा चुनावी सिस्टम बदलने वाले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन आज ट्रेंड कर रहे हैं, इसका कारण उनका ओल्ड एज होम जाना है. इसी बीच हम आपको उनसे जुड़ी कुछ पुरानी बातें याद कराते हैं. जानकार बताते हैं कि शेषन पर कांग्रेसी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 10, 2018 12:51 PM

नयी दिल्ली : चुनावों में सुधार और ज्यादा पारदर्शिता लाने के लिए पूरा चुनावी सिस्टम बदलने वाले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन आज ट्रेंड कर रहे हैं, इसका कारण उनका ओल्ड एज होम जाना है. इसी बीच हम आपको उनसे जुड़ी कुछ पुरानी बातें याद कराते हैं. जानकार बताते हैं कि शेषन पर कांग्रेसी होने का ठप्पा लगा था लेकिन जल्दी ही उन्होंने यह साबित कर दिया कि वे किसी पार्टी विशेष के लिए काम नहीं करते हैं.

दरअसल, मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन.शेषन ने कुछ ऐसे काम किये जिससे कांग्रेस को समझ में आ गया कि उनको न तो पिछला उपकार याद दिलाकर रोका जा सकता है, न ही लालच दिखाकर डिगाया जा सकता है. इसके लिए आप कांग्रेस के विजय भास्कर रेड्डी और संतोष मोहन देब के साथ शेषन के बर्ताव को याद कर सकते हैं.

यदि आपको याद हो तो विजय भास्कर रेड्डी (केंद्रीय मंत्री) को आंध्रप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था और पद पर बने रहने के लिए नियम के अनुसार उनके लिए छह महीने के भीतर चुनाव में निर्वाचित होना जरूरी था. लेकिन, शेषन ने उपचुनाव कराने से साफ इनकार कर दिया. उन्होंने तर्क दिया था कि विजय भास्कर रेड्डी की जरूरत के हिसाब से उपचुनाव नहीं कराये जायेंगे. जब अन्य जगहों के उपचुनाव होंगे तो ही आंध्रप्रदेश में उपचुनाव कराये जाएंगे.

एक बात यहां हम आपको और स्मरण कराना चाहेंगे. बात त्रिपुरा की है. यहां विधानसभा चुनाव (1988) में कांग्रेस को जीत दिलाने वाले संतोष मोहन देब (केंद्रीय मंत्री) भी एक दफे टी.एन.शेषन का निशाना बने. 1993 के त्रिपुरा विधानसभा के चुनाव फरवरी महीने में होने वाले थे, लेकिन शेषन ने चुनाव स्थगित कर दिये. उन्होंने सख्‍ती दिखायी और कहा जबतक उन पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हो जाती जिनकी संतोष मोहनदेब के साथ चुनाव-प्रचार के दौरान मिलीभगत की खबरें आयी हैं, तब तक त्रिपुरा में चुनाव नहीं कराये जायेंगे. त्रिपुरा में चुनाव अप्रैल(1993) में हुए, पुलिस अधिकारियों पर सरकार को कार्रवाई करनी पड़ी.

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