दुर्व्यवहार पर बोलीं अरुणिमा, महाकाल मंदिर में दर्शन से आसान था एवरेस्ट पर चढ़ना, पढ़ें पूरी कहानी

उज्जैन (मध्यप्रदेश) : उज्जैन स्थित प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में दिव्यांग पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा के साथ हुए दुर्व्यवहार मामले में प्रदेश की मंत्री अर्चना चिटनिस ने अफसोस जताया है और कहा है कि वह खुद अरुणिमा को मनाने जायेंगी और उन्हें मध्यप्रदेश आने का निमंत्रण देंगी. मंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आयुक्त […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 27, 2017 11:47 AM


उज्जैन (मध्यप्रदेश) :
उज्जैन स्थित प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में दिव्यांग पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा के साथ हुए दुर्व्यवहार मामले में प्रदेश की मंत्री अर्चना चिटनिस ने अफसोस जताया है और कहा है कि वह खुद अरुणिमा को मनाने जायेंगी और उन्हें मध्यप्रदेश आने का निमंत्रण देंगी. मंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आयुक्त से रिपोर्ट मांगी है.

गौरतलब है कि कल ही प्रशासन ने इस मसल पर सफाई देते हुए कहा कि दो दिन पहले मंदिर में दर्शन करने आयीं अरुणिमा सिन्हा को भस्मारती के दौरान मंदिर के गर्भगृह में जाने से इसलिए मना किया गया, क्योंकि वह साडी पहने हुई नहीं थीं.
भस्मारती में प्रवेश हेतु गणवेश का नियम बनाया गया है, जिसके तहत महिलाओं को साडी पहनकर और पुरुषों को धोती पहनकर आना जरूरी है, तभी गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति मिलेगी.
राष्ट्रीय स्तर की पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी अरुणिमा ने उज्जैन महाकाल मंदिर में अव्यवस्थओं का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ट्विटर पर लिखा था, मुझे एवरेस्ट पर चढ़ने में इतनी दिक्कत नहीं आयी, जितना महाकाल मंदिर के दर्शन करने में आयी इसके साथ-साथ उन्होंने कहा था कि इस मंदिर के सुरक्षा कर्मचारियों एवं मंदिर प्रशासन ने मेरी दिव्यांगता का मजाक बनाया.
जानें कौन हैं अरुणिमा
अरुणिमा सिन्हा पहली ऐसी दिव्यांग महिला हैं, जिन्होंने एवरेस्ट को फतह किया है. वह राष्ट्रीय स्तर की फुटबॉल खिलाड़ी भी रहीं हैं. वर्ष 2011 में लूटपाट की एक घटना में उन्हें चलती ट्रेन से धकेल दिया गया था. इस दुर्घटना में वह कई घंटों तक पटरी के किनारे पड़ी रहीं थीं. अत्यधिक चोट लगने के कारण अरुणिमा का एक पैर काटना पड़ गया था. इस दुर्घटना के बाद भी अरुणिमा ने एवरेस्ट फतह करने का मन बनाया और सफल रहीं. अरुणिमा ने विश्व के कई पर्वतों को फतह किया है, जिसमें एवरेस्ट के अलावा किलीमंजरो एवं कोस्किउस्ज़्को भी शामिल है. अरुणिमा के अंदर अद्‌भुत इच्छाशक्ति है, जिसके बल पर वह एवरेस्ट फतह कर पायीं. अरुणिमा को पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है.

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