जेपी इंफ्राटेक को दो हजार करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश, कोर्ट की अनुमति के बगैर एमडी के देश से बाहर जाने पर रोक

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने रीयल एस्टेट फर्म जेपी एसोसिएट्स को 27 अक्तूबर तक न्यायालय की रजिस्ट्री में दो हजार करोड़ रुपये जमा कराने का सोमवार को निर्देश दिया. न्यायालय ने इसके साथ ही नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल द्वारा अंतरिम समाधान की व्यवस्था के रूप में नियुक्त पेशेवर (आइआरपी) को इसका प्रबंधन अपने हाथ […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 11, 2017 5:46 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने रीयल एस्टेट फर्म जेपी एसोसिएट्स को 27 अक्तूबर तक न्यायालय की रजिस्ट्री में दो हजार करोड़ रुपये जमा कराने का सोमवार को निर्देश दिया. न्यायालय ने इसके साथ ही नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल द्वारा अंतरिम समाधान की व्यवस्था के रूप में नियुक्त पेशेवर (आइआरपी) को इसका प्रबंधन अपने हाथ में लेने और खरीदारों तथा कर्जदाताओं के हितों के संरक्षण की योजना तैयार करने का भी निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने एक तरह से जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दे दी है, परंतु उपभोक्ता आयोग जैसे दूसरे मंचों पर इसके खिलाफ शुरू की गयी कार्यवाही पर रोक लगा दी है. न्यायालय ने जेपी एसोसिएट्स की सहायक कंपनी जेपी इंफ्राटेक के प्रबंध निदेशक और निदेशकों को शीर्ष अदालत की अनुमति के बगैर देश से बाहर जाने से रोक दिया है.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने आइआरपी से कहा है कि वह 45 दिन के भीतर समाधान योजना न्यायालय में पेश करे जिसमे फ्लैट खरीदारों और कर्जदाताओं के हितों के संरक्षण के बारे में संकेत दिये गये हैं. हालांकि, न्यायालय ने जेपी एसोसिएट्स को आइआरपी की स्वीकृति से अपनी जमीन और दूसरी संपत्ति बेच कर दो हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था करने की अनुमति दे दी है.

शीर्ष अदालत ने चार सितंबर को इस कंपनी को दिवालिया घोषित करने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. न्यायालय ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से अनुरोध किया था कि दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही के खिलाफ और फ्लैट खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए दायर याचिकाओं पर फैसला लेने में सहयोग करें. दिवालिया संहिता 2016 के अंतर्गत फ्लैट खरीदार बैंकों की तरह सुरक्षित देनदारों की श्रेणी में नहीं आते हैं और इसलिए यदि सुरक्षित देनदारों को भुगतान करने के बाद कुछ शेष रहता है तो वहीं फ्लैट खरीदारों को मिल सकता है.

याचिकाकर्ता चित्रा शर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजित सिन्हा ने आरोप लगाया था कि फ्लैट खरीदारों तथा दूसरों के करीब 25,000 करोड़ रुपये इसमें फंसे हुए हैं, लेकिन महज 500 करोड़ रुपये की वसूली के लिए कंपनी को दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही शुरू की गयी है. जेपी इंफ्राटेक की विभिन्न परियोजनाओं में करीब 32,000 व्यक्तियों ने फ्लैट बुक कराये हैं.

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