जानें क्यों बढ रहे हैं युवाओं में तलाक के मामले

आज के समय में रिश्तों की डोर कहीं ढीली पड़ गई है तलाक के बढते मामले चिंता का सबब बने हुए हैं. पिछले एक दशक में तलाक के मामलों में 56 फीसदी की बढोतरी हुई है. यह समस्या महानगरों में ज्यादा भयानक तरीके से उभरी है. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे शहरों में हर रोज करीब […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 24, 2014 2:19 PM

आज के समय में रिश्तों की डोर कहीं ढीली पड़ गई है तलाक के बढते मामले चिंता का सबब बने हुए हैं. पिछले एक दशक में तलाक के मामलों में 56 फीसदी की बढोतरी हुई है. यह समस्या महानगरों में ज्यादा भयानक तरीके से उभरी है. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे शहरों में हर रोज करीब 10 हजार से ज्यादा तलाक के मामले सामने आते हैं. अगर बात करें देश की तो देश भर में हर 100वीं शादी का अंत तलाक होता है.

तलाक के मामले सिर्फ महानगर में ही नहीं बल्कि छोटे शहरों और कस्बे में भी बढ रहे हैं. जरूरी नहीं है कि तलाक लेने वाले जोड़ों में कोई बहुत बड़ी समस्या हो. आजकल छोटी-छोटी बातों पर भी तलाक हो रहे हैं.

जानें युवा पीढी मेंतलाक के बढने के पांच कारण

1. प्रोफेशनल रुख

देखने में आ रहा है कि अधिकांश युवा पीढ़ी ज्यादा प्रोफेशनल हो गई है. प्रोफेशनल रूख के कारणरिश्ते दरकने लगे हैं. इससे पहले ये होता आया है कि महिलाओं की भूमिका ज्यादातर घर में ही थी लेकिन ये सीमाएं बहुत तेजी के साथ टूट रही हैं. पहले महिलाएं पार्टनर के हिसाब से एडजस्ट कर लेती थीं लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब उनकी प्राथमिकता भी करियर हो गया है. अब जरूरत इसकी है कि पुरुष भी महिलाओं को और उनकी प्राथमिकताओं को समझें. अपनी मां या दादी से अपने पार्टनर की तुलना ना करें.

2 .महिलाओं का आत्मनिर्भर होना

महानगरों से लेकर छोटे शहरों तक में महिलाएं आत्मनिर्भर हुई हैं. पति पर उनकी आत्मनिर्भरता कम या खत्म हुई है. इसलिए अब वो छोटी-छोटी बातों पर भी तलाक लेने से नहीं हिचकती है. जब इसके पहले की पीढी पति या किसी अन्य पुरुष पर निर्भर होने के कारण तलाक नहीं ले पाती थी.

इसके दो पहलू हैं. पहला ये कि महिलाएं सशक्त हुई हैं और रिश्तों को जबरदस्ती ढोने के बजाए अलग हो जाना पसंद कर रही हैं. देश में बढती घरेलू हिंसा को देखते हुए कहा जाए तो यह तो होना ही चाहिए.

लेकिन एक और समस्या खडी़ हो गई है वो ये है कि अनावश्यक तलाक के मामले सामने आ रहे हैं. जहां रिश्तों को बचाया जा सकता है वहां भी रिश्ते बिखरने के लिए अभिशप्त हैं.

3. मतभेद

युवा पीढी में मेें आपसी मतभेद हो जाने से भी कहीं न कहीं रिश्ते खराब हो रहे हैं. कई बारमतभेद इतने ज्यादा बढ जाते हैं किऐसे मामले तलाक में भी बदल जाते हैं.

4. ऑफिस अफेयर

ऑफिस में अफेयर होना एक बहुत सामान्य बात हो गई है. युवा पीढी में इस तरह के मामलों की संख्या खूब बढ रही. पहले जहां पुरुष ही विवाहेतर संबंध बनाते थे आज महिलाओं में भी इसका चलन बढ़ता जा रहा है. इस तरह के अफेयर से तलाक घर टूटने की संभावनाएं बहुत बढ जाती है.

5. आजाद रहने की चाह

युवा पीढ़ी जोश में आकर शादी तो कर लेती है लेकिन धीरे-धीरे उसे लगने लगता है कि उसकी जिंदगी में उसके पार्टनर का दखल बढ रहा है. ऐसे युवाओं में बड़ी संख्या में उनकी है जिन्होंने अपनी अब तक की जिंदगी हॉस्टल या घर से बाहर गुजारी है. अपने फैसले अपने तरीके से लेने के कारण वो जीवन में किसी का दखल बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं चाहे वो उनका लाइफ पार्टनर ही क्यों ना हो.

*क्या हो सकता है उपाय

आधुनिक जीवन शैली के कार कारण बिखरते रिश्तों को संभालने की जिम्मेदारी हमारी ही बनती है. आज हमारा समाज जिस दो राहे पर खड़ा है वहां ना तो पारंपिरकता बच पाई है ना हम पूरे आधुनिक हो पाएं. रिश्तों का टूटना बराबर अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता है. आप तलाक तो ले लेते हैं लेकिन कहीं न कहीं एसे आप समाज की नजरों से बचाते भी हैं.

आप अपने पार्टनर को समझने की कोशिश करें. बात-बात पर झगड़ने के बजाय एक दूसरे की बात को आराम से सुनें और हल निकालने की कोशिश करें. रिश्ते तोड़ देना और फिर अगले रिश्ते के लिए भटकना समस्या का हल नहीं हो सकता. इसलिए जिस रिश्ते में हों उसको न सिर्फ को बचाने की कोशिश करें बल्कि साथ ही उसे खुशहाल भी बनाए रखें.

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