किचन में मौजूद हैं कई सारे हेल्थ और ब्यूटी फ्रेंड्स, ऐसे बचें सर्दी की समस्याओं से

सर्दी का मौसम अपने साथ कई समस्याएं लेकर आता है. इस दौरान नाक बहना, लगातार छींकें आना, गले में खराश, सीने में जकड़न जैसी तकलीफें होना आम हैं. दूसरी ओर, सौंदर्य और सेहत की दृष्टि से यह मौसम बेजोड़ माना जाता है. इस मौसम में फल, सब्जियों और कई अन्य तरह के खाद्य पदार्थों की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 15, 2019 11:57 AM

सर्दी का मौसम अपने साथ कई समस्याएं लेकर आता है. इस दौरान नाक बहना, लगातार छींकें आना, गले में खराश, सीने में जकड़न जैसी तकलीफें होना आम हैं. दूसरी ओर, सौंदर्य और सेहत की दृष्टि से यह मौसम बेजोड़ माना जाता है. इस मौसम में फल, सब्जियों और कई अन्य तरह के खाद्य पदार्थों की भरमार होती है, जिनका सेवन करके हम इस मौसम का बेहतर लुत्फ उठा सकते हैं.

सरसों तेल : सरसों का तेल ठंड के मौसम में सेहत और सौंदर्य दोनों के लिए बेहद लाभदायक माना जाता है. सरसों के तेल एंटी-फंगल गुण होते हैं. इसी वजह से पुराने जमाने में दादी-नानी छोटे बच्चों की सरसों के तेल से मालिश करने पर जोर दिया करती थीं. यही नहीं, इसमें बीटा कैरोटिन, प्रोटीन, विटामिन, आयरन, फैटी एसिड, कैल्शियम एवं मैंग्नीशियम आदि शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व पाये जाते हैं. सरसों के तेल से स्कैल्प की मालिश करने से रक्त के संचार में वृद्धि होती है. फंगल संक्रमण (रूसी) एवं खुजली की समस्या से बचाव होता है. नियमित प्रयोग से बालों का झड़ना रुक जाता है तथा बाल काले व घने होते हैं. यह प्राकृतिक सनस्क्रीन लोशन का काम करता है. त्वचा को बैक्टीरियल संक्रमण, खुजली तथा सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणों का प्रभाव से बचाता है. सरसों के तेल को रात में सोने से पूर्व नाभि पर लगाने से होंठ गुलाबी और मुलायम बने रहते हैं.
देसी घी : अगर आप मोटापे के डर से घी से परहेज करती हैं, तो जान लें कि यह पारंपरिक सुपर फूड न केवल पोषक तत्वों से समृद्ध होता है बल्कि खूबसूरती को बनाये रखने में भी बेहद कारगर है. घी में पोषक तत्व, एंटी ऑक्सीडेंट और विटामिन ए तथा इ पाये जाते हैं. यह शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाता है. त्वचा की नमी को बनाये रखता है. उसे शुष्क और खुरदरा होने से रोकता है. नियमित तालुओं पर देसी से मालिश करने पर आंखों की रोशनी बढ़ती है. आंखों के नीच का कालापन दूर होता है. बालों में देसी घी की मालिश करने से रूसी, दोमुंहे बाल और बाल झड़ने की समस्या से छुटकारा मिलता है.
बथुआ साग : जाड़े के मौसम में बथुआ, सरसों, पालक, चना, मेथी, मूली सहित कई तरह साग-सब्जियों की प्रचुर उपलब्धता होती है. वैसे तो ये सभी स्वास्थवर्द्धक हैं, लेकिन बथुआ शरीर को निरोग रखने में रामबाण का काम करता है. विटामिन ए, विटामिन डी, कैल्शियम, फॉस्फोरस और पोटैशियम से भरपूर यह साग खून को साफ करके शरीर को निरोगी और त्वचा को खूबसूरत बनाता है. बथुआ पेट के कीड़ों को खत्म करने, चर्म रोगों को दूर करने, अनियमित माहवारी तथा दांतों की समस्या से छुटकारा दिलाने सहित पाचन शक्ति को बढ़ाने में भी बेहद मददगार है. जिन लोगों को पथरी की शिकायत हो, वे अगर नियमित कच्चे बथुए के रस का सेवन करें. इससे पथरी पेट में ही गल जाती है.
तिल : ठंड के मौसम में सेहत और सौंदर्य, दोनों के लिए तिल का सेवन भी बेहद लाभकारी है. तिल के सेवन से कब्ज और गैस की समस्या नहीं होती. काले तिल को चबा कर खाने और उसके बाद ठंडा पानी पीने से पुराने से पुराना बवासीर ठीक हो जाता है. सर्दियों में तिल का सेवन शरीर में उर्जा का संचार करता है, और इसके तेल की मालिश से जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है. इसमें मौजूद मैग्निशियम सांस संबंधी तकलीफों में आराम पहुंचाता है. सफेद तिल को दूध में भिगो कर पीस लें और उसके पेस्ट को 10-15 मिनट के लिए चेहरे पर लगाएं. इससे त्वचा में प्राकृतिक चमक आती है. तिल का तेल बालों में लगाने से बालों के असमय पकने और झड़ने की समस्या नहीं होती.

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