समय पर मिले CPR तो बच सकती है ‘कार्डियक अरेस्ट’ के लाखों मरीजों की जान

‘कार्डियक अरेस्ट’ के कारण होने वाली मौत की संख्या लगातार बढ़ रही है, हालांकि इस बारे में कोई स्पष्ट आंकड़ा मौजूद नहीं है, लेकिन अध्ययनों के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग सात लाख लोगों की मौत सडन ‘कार्डियक अरेस्ट’ या अचानक हृदय गति का बंद होना से होती है. सडन ‘कार्डियक अरेस्ट’ दिल के इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 21, 2019 5:42 PM

‘कार्डियक अरेस्ट’ के कारण होने वाली मौत की संख्या लगातार बढ़ रही है, हालांकि इस बारे में कोई स्पष्ट आंकड़ा मौजूद नहीं है, लेकिन अध्ययनों के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग सात लाख लोगों की मौत सडन ‘कार्डियक अरेस्ट’ या अचानक हृदय गति का बंद होना से होती है. सडन ‘कार्डियक अरेस्ट’ दिल के इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल गतिविधियों के कारण होता है.

तेज हृदय गति (वेंट्रिकुलर टैचीकार्डिया) या अनियमित ताल (वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन), बेहोशी और अनियमित (हांफना) या सांस नहीं ले पाना इसके लक्षण हैं. ‘कार्डियक अरेस्ट’ (एससीए) की घटनाएं अक्सर अस्पतालों के बाहर ही होती है.जानकारों का कहना है कि देश में अचानक हृदय गति रुकने का अनुभव करने वाले 95 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है. इसका कारण यह है कि उन्हें जीवनरक्षक चिकित्सा की सुविधा समय पर नहीं मिल पाती और लगभग चार से छह मिनट के भीतर ही उनकी मौत हो जाती है.

अभिषेक दुबेवार, वरिष्ठ निदेशक – कार्डियक एंड वैस्कुलर ग्रुप, मेडट्रॉनिक इंडियन सब कॉन्टिनेंट का कहना है कि हमारे देश में सडन ‘कार्डियक अरेस्ट’ की उच्च घटनाओं और व्यापकता को देखते हुए, कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन यानी सीपीआर के बारे में जागरूकता की सख्त आवश्यकता है. सीपीआर एक शक्तिशाली जरिया है जिसके जरिये ‘कार्डियक अरेस्ट’ के शिकार व्यक्ति की जान बचायी जा सकती है. सीपीआर को केवल 30 मिनट में सीखा जा सकता है और यह एक पीड़ित के बचने की संभावना को दोगुना या तीन गुना कर सकता है. उक्त बातें कार्यशाला "चिरंजीव हृदय – सीपीआर सीखो दिल धड़कने दो" के दौरान कही गयी. इस कार्यशाला में बताया गया कि सीपीआर एकमात्र ऐसी तकनीक है जो किसी अस्पताल के बाहर सडन ‘कार्डियक अरेस्ट’ (एससीए) से पीड़ित व्यक्ति को बचा सकती है.

इस जीवनरक्षक चिकित्सा प्रक्रिया की मदद से मरीज के शरीर में ऑक्सीजन देकर उसके शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को जीवित रखा जा सकता है.सीपीआर एक मरीज के धड़कन को फिर से शुरू करने में मदद करने के लिए एक बेहतर तकनीक है. हैंड्स-ओनली सीपीआर को तुरंत शुरू किया जा सकता है और इसके लिए आपको मरीज के सीने के केंद्र में केवल 2-2.4 इंच की गहराई तक जोर लगाकर और तेज़ी से धक्का मारकर मरीज को बचाया जा सकता है.इस मौके पर हील फाउंडेशन के डॉ स्वदीप श्रीवास्तव ने कहा कि “लाइब्रेट द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 98 प्रतिशत भारतीयों को कार्डियोपुल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) की जानकारी ही नहीं है जो की सडन ‘कार्डियक अरेस्ट’ के समय करके मरीज़ की हालत में सुधार लाया जा सकता है. यह अभियान मेडट्रॉनिक द्वारा सार्वजनिक हित में शुरू किया गया है.

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