Swami Vivekananda Jayanti 2019: युवाओं में आज भी ऊर्जा भरते हैं स्वामी विवेकानंद के ये प्रेरक वचन

आज स्वामी विवेकानंद की 156वीं जयंती है. 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के कायस्‍थ परिवार में जन्मे नरेंद्रनाथ दत्त के पिता व‍िश्‍वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील थे और मां भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों वाली महिला थीं. सन् 1871 में नरेंद्रनाथ आठ साल की उम्र में स्कूल गये. 1879 में उन्‍होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज की प्रवेश […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 11, 2019 11:01 PM

आज स्वामी विवेकानंद की 156वीं जयंती है. 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के कायस्‍थ परिवार में जन्मे नरेंद्रनाथ दत्त के पिता व‍िश्‍वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील थे और मां भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों वाली महिला थीं.

सन् 1871 में नरेंद्रनाथ आठ साल की उम्र में स्कूल गये. 1879 में उन्‍होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में पहला स्‍थान हास‍िल क‍िया. 1881 में कलकत्ता के दक्षिणेश्वर के काली मंदिर में नरेंद्रनाथ दत्त की मुलाकात रामकृष्‍ण परमहंस से हुई.

25 साल की उम्र में नरेंद्रनाथ दत्त घर छोड़कर संन्यासी बन गये थे. इन्हीं नरेंद्रनाथ ने आगेचलकर विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु स्‍वामी विवेकानंद के रूप में अपनी पहचान बनायी.

1893 में अमेरिका के शिकागो में हुई विश्व धर्म परिषद में स्वामी विवेकानंद भारत के प्रतिनिधि के रूप से पहुंचे थे. यहां स्वामी विवेकानंद को बोलने के लिए थोड़ा समय मिला.

इस भाषण में दुनिया भर से अलग-अलग धर्मों के विद्वानों के सामने इन्होंने वेदांत का ऐसा ज्ञान दिया कि पूरा संसद तालियों से गूंज उठा और भारतवासियों का सिर गर्व से ऊंचा उठ गया.

इस भाषण के बाद उन्हें काफी ख्याति मिली. उसके बाद वह तीन वर्ष तक अमेरिका में रहे और लोगों को भारतीय तत्वज्ञान प्रदान करते रहे. भारत लौटकर स्वामी विवेकानन्द ने 1 मई, 1897 को रामकृष्ण मिशन की स्थापना की.

अपने महान विचारों, कर्मों और आचरण से समाज काे कल्याण का संदेश देनेवाले स्वामी विवेकानंद की 156वीं जयंती पर हम आपका परिचय उनके कुछ प्रेरणादायी अनमोल विचारों से कराते हैं, जो आपके जीवन में नयी ऊर्जा भर देंगे-

  • सबसे पहले यह अच्छे से जान-समझ लो कि हर बात के पीछे एक मतलब होता है.
  • उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये.
  • दिल और दिमाग के टकराव के बीच हमेशा दिल की सुनो.
  • सच्चाई के लिए कुछ भी छोड़ देना चाहिए, पर किसी के लिए भी सच्चाई नहीं छोड़ना चाहिए.
  • जब तक तुम खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक तुम भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते.
  • दूसरों की तुलना में स्वयं को कमजोर और छोटा समझना दुनिया का सबसे बड़ा पाप है.
  • जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आये, आप यकीन कर सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर चल रहे हैं.
  • अगर तुम्हें खुद पर भरोसा नहीं है तो तुम सबसे बड़े नास्तिक हो और कभी ईश्वर को प्राप्त नहीं कर सकते.
  • किसी भी कार्य को करने के लिए उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य हासिल न हो जाये.
  • भगवान सिर्फ उन लोगों की मदद करते हैं जो लोग अपनी मदद खुद करते हैं.
  • किसी चीज से डरने की बजाय निडर होकर अपना काम करो तो वही काम हमें परम आनंद का बोध कराता है.
  • एक समय में एक ही काम करो, ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब भूल जाओ.
  • उन चीजों को तुरंत त्याग देना चाहिए जो हमें शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से कमजोर बनाती हैं.
  • तुम गीता पढ़ने के मुकाबले फुटबॉल खेलने से स्वर्ग के ज्यादा करीब होगे.
  • सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होना. स्वयं पर विश्वास करो.
  • विश्व एक व्यायामशाला है जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं.
  • जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं है.
  • बाहर की दुनिया बिलकुल वैसी है, जैसा कि हम अंदर से सोचते हैं. हमारे विचार ही चीजों को सुंदर और बदसूरत बनाते हैं.
  • हम जितना ज्यादा बाहर जायें और दूसरों का भला करें, हमारा हृदय उतना ही शुद्ध होगा और परमात्मा उसमें वास करेंगे.
  • जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोगों कातुम पर से विश्वास उठ जाता है.
  • खड़े हो जाओ, खुद में हिम्मत लाओ और सारी जिम्मेदारियों के लिए खुद जिम्मेदार बनो तो खुद आप अपने भाग्य के रचयिता बन सकते हो.
  • हम वो हैं, जो हमें हमारी सोच ने बनाया है. इस बात का धयान रखें कि आप क्या सोचते हैं. जैसा आप सोचते हैं वैसे बन जाते हैं.
  • सत्य को चाहे जितने भी तरीकों से बताने की कोशिश क्यों न की जाए, लेकिन सत्य हमेशा सत्य ही रहता है.

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