ऑस्टियोपोरोसिस में होमियोपैथी दवा चलवायें, होगा लाभ

प्रो (डॉ) राजीव वर्मा डीएचएमएस, त्रिवेणी होमियो क्लिनिक, चितकोहरा, पटना ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियों का घनत्व, जिसे बोन मिनरल डेंसिटी भी कहा जाता है, कम हो जाता है. इस कारण हड्डियाें के हल्की ठेस से भी टूटने की आशंका होती है. यदि लगातार किसी हड्डी में दर्द रहता है, तो इसके टूटने का खतरा अधिक […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 19, 2018 5:45 AM
प्रो (डॉ) राजीव वर्मा
डीएचएमएस, त्रिवेणी होमियो क्लिनिक, चितकोहरा, पटना
ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियों का घनत्व, जिसे बोन मिनरल डेंसिटी भी कहा जाता है, कम हो जाता है. इस कारण हड्डियाें के हल्की ठेस से भी टूटने की आशंका होती है. यदि लगातार किसी हड्डी में दर्द रहता है, तो इसके टूटने का खतरा अधिक होता है.
एक स्वस्थ व्यक्ति में करीब-करीब 35 वर्ष तक कैल्शियम जमा होता है. इसे पीक बोन मास कहते हैं. 35 वर्ष के बाद उम्र भर यही पीक ब्रोन मास खर्च होता है. पुरुषों में 50 के बाद और महिलाओं में 40 के बाद इसकी मात्रा में कमी आने लगती है, जिससे आर्थराइटिस व ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है. कमर दर्द इस रोग का प्रमुख लक्षण है. यदि कमर दर्द 40 के बाद हो, तो बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट करा लेना चाहिए. यदि महिला दो साल से अधिक समय तक बच्चे को दूध पिलाती है, तो उसे भी कमर दर्द हो सकता है. इसलिए उसे अधिक कैल्शियम और विटामिन-डी की जरूरत पड़ती है. साथ ही उसको पौष्टिक आहार भी लेने की जरूरत पड़ती है. बुजुर्गों को भी इस बीमारी में खास ख्याल रखने की जरूरत होती है. इसके कारण उनकी कूल्हे की हड्डी के फ्रैक्चर खतरा रहता है, जो काफी कष्टकारी होता है. बुढ़ापे में हड्डियों के नहीं जुड़ पाने पर हड्डी को निकालकर स्टील रॉड लगाना पड़ सकता है.
सबसिडेस ऑस्टियोपोरोसिस क्या है?
आजकल मोटापा भी एक परेशानी का सबब बनकर उभरा है. यह न सिर्फ डायबिटीज, हृदय रोग और पीसीआएस का प्रमुख कारण है, बल्कि इससे घुटनों पर भी अधिक दबाव पड़ता है और घुटनों के जोड़ घिसने लगते हैं.
इसे सबसिडेस ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं. इस अवस्था में यदि रोगी का इलाज शुरू हो जाये, तो हड्डियों को बचाया जा सकता है. अत: रोग शुरू होने से पहले हड्डियों को सभी पोषक तत्व दे देने से रोग की गति रूक जाती है. यदि रोगी या प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन आधा घंटे सुबह में धूप में रहे, तो उसके शरीर के लिए जरूरी विटामिन ‘डी’ की पूर्ति हो जाती है.
कुछ लोगों में यह भ्रम होता है कि एब बार राेग हो गया, तो वह दूर नहीं होगा. जबकि ऐसा नहीं है. समय पर इसका पता चल जाये, तो इस रोग को दवाइयों से ठीक किया जा सकता है. यदि रोग बढ़ती उम्र के कारण होता है, तो उसे दवाइयों से उसी स्तर पर रोका जा सकता है, जहां तक वह पहुंच चुका है.
इससे हड्डियां और अधिक कमजोर नहीं होती हैं. ऑस्टियोपोरोसिस को अपने शरीर पर हावी न होने दें. इसके लिए नियमित एक्ससाइज करें और दवाइयों का सेवन करें. एक्सरसाइज करने से शरीर में मसल्स की स्ट्रेंथ बढ़ती है. दर्द से राहत मिलती है. हड्डियों में मूवमेंट बना रहता है.
नोट : उपरोक्त दवाइयां अनुभव के आधार पर लिखी गयी हैं. होमियोपैथिक सिद्धांत के अनुसार इसमें कोई भी रोग की विशेष औषधि नहीं होती. इसमें लक्षण के आधार पर उचित दवा का चयन किया जाता है.
बुजुर्ग बरतें ये सावधानियां
नियमित एक्सरसाइज करते रहें, – ज्यादा फैटवाला भोजन न लें, संतुलित और पौष्टिक आहार लें,- दर्द होने पर खुद से पेनकिलर का इस्तेमाल न करें, – जीवनशैली में बदलाव लाएं, – सुबह जल्दी उठें और सनबाथ यानी धूप का सेवन करें .
होमियोपैथिक उपचार
Calcarea phos 200x, Thyroidinum 3x, Osteoarth nosode -200 लक्षणों के अनुसार चिकित्सक के परामर्श से ली जा सकती है. इससे यह रोग में काफी लाभ मिलता है.

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