एंडोमेट्रियोसिस, युवतियों की बड़ी समस्या

दुनिया भर में आठ करोड़ 90 लाख युवतियां एंडोमेट्रियोसिस की समस्या से जूझ रही हैं.25-30 वर्ष के आयु वर्ग की महिलाओं में पीरियड्स में ज्‍यादा ब्‍लीडिंग, पेट दर्द और गर्भ न धारण कर पाने की यह मुख्य वजह है. एंडोमेट्रियोसिस कामकाजी महिलाओं से जुड़ी एक समस्या है, जो जीवनशैली में बदलाव की वजह से बहुत […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 17, 2017 12:54 PM
दुनिया भर में आठ करोड़ 90 लाख युवतियां एंडोमेट्रियोसिस की समस्या से जूझ रही हैं.25-30 वर्ष के आयु वर्ग की महिलाओं में पीरियड्स में ज्‍यादा ब्‍लीडिंग, पेट दर्द और गर्भ न धारण कर पाने की यह मुख्य वजह है. एंडोमेट्रियोसिस कामकाजी महिलाओं से जुड़ी एक समस्या है, जो जीवनशैली में बदलाव की वजह से बहुत तेजी से फैल रही है.
डॉ रागिनी ज्योति
बीएचएमएस, आदर्श होमियो क्लीनिक, राजीव नगर, पटना
आज दुनिया भर में काफी संख्‍या में युवतियां एंडोमेट्रियोसिस की समस्या से जूझ रही हैं. यह 25-30 आयुवर्ग की महिलाओं में पेट दर्द और गर्भधारण न कर पाने की यही मुख्य वजह भी है.
क्या है एंडोमेट्रियोसिस : एंडोमेट्रियोसिस ऐसी स्थिति है, जिसमें गर्भाशय की आंतरिक परत बनानेवाले एंडोमेट्रियम ऊतक में असामान्य बढ़ोतरी होती है और वह गर्भाशय के बाहर फैलने लगता है.
कभी-कभी तो एंडोमेट्रियम की परत गर्भाशय की बाहरी परत के अलावा अंडाशय, आंतों और अन्य प्रजनन अंगो तक भी फैल जाती है. बढ़ी एंडोमेट्रियम परत की वजह से प्रजनन अंगों, जैसे- फेलोपियन ट्यूब और अंडाशय की क्षमता पर असर पड़ने लगता है. यह इंफर्टिलिटी का कारण बन सकता है.
इस समस्या में वूम्ब के आस-पास लेयर बनानेवाले टिश्यू (एंडोमेट्रियम) की ग्रोथ सही तरीके से नहीं होती. इसमें जब भी महिला को पीरियड्स होते हैं, तो इस टिश्यू के अंदर की तरफ भी ब्लीडिंग होती है. ब्लड ओवरी के अंदर जम जाता है और इसे एंडोमेट्रियॉटिक सिस्ट कहते हैं. इससे बॉडी के पूरे पेल्विक रीजन में ब्लड स्पॉट्स हो जाते हैं, जिससे ओवरी, इंटेस्टाइन और ट्यूब्स आपस में चिपक जाते हैं.
एंडोमेट्रियोसिस पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग और दर्द का कारण है. अगर केस ज्यादा बिगड़ जाये, तो इसकी वजह से पेल्विस ऑर्गंस को नुकसान पहुंच सकता है. इस कंडिशन को ‘फ्रोजन पेल्विस’ कहा जाता है. एंडोमेट्रियोसिस की समस्या के लिए सबसे अधिक‍ जिम्मेदार हार्मोनल बदलाव हैं. किसी अन्य बीमारी के लिए ली जा रही दवाएं, जो पीरियड में रुकावट करें या पहले हुए पेल्विक संक्रमण, अानुवंशिक कारणों और यूटेराइन समस्याओं से भी एंडोमेट्रियोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है.
मेनोपॉज के बाद अगर आप एस्ट्रोजन या किसी अन्य प्रकार की हॉर्मोनल थेरेपी लेती हैं, तो भी एंडोमेट्रियोसिस की समस्या रहती है.
लक्षण : पीरियड्स के दौरान तेज पेल्विक दर्द होना मुख्य लक्षण है. कुछ महिलाओं में पीरियड्स से पहले मांसपेशियों में खिचाव और दर्द शुरू हो सकता है, जो पीरियड्स के बाद भी जारी रहता है और शरीर के निचले हिस्से को जकड़ लेता है.
ऐसी स्थिति में मल-मूत्र त्यागने में समस्या आती है. बहुत अधिक ब्‍लीडिंगवाले पीरियड्स या दो पीरियड्स के बीच ब्‍लीडिंग होना, थकान, कब्ज, चक्कर आना और मितली आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं. कुछ महिलाओं में कोई लक्षण दिखायी नहीं देता, गर्भवती होने में कठिनाई होना पहला लक्षण हो सकता है.
इलाज : केस हिस्ट्री, टेस्ट और सोनोग्राफी से एंडोमेट्रियोसिस की समस्या का पता लगाया जा सकता है.कई बार लैप्रोस्कोपी की मदद से भी इस बीमारी का पता लगता है. इसके लिए आप स्त्रीरोग विशेषज्ञ से परामर्श ले सकती हैं. दवाई, लेजर ट्रीटमेंट या आर्टिफीसियल मेनोपॉज द्वारा एंडोमेट्रिओसिस के लक्षणों से छुटकारा पाया जा सकता है. गंभीर मामलों में हिस्टरेक्टमी इलाज है. डायट में सुधार करें.
हरी सब्जियां, फल, नट्स साबुत अनाज,अदरक, हल्दी और ग्रीन टी और ओमेगा-3 फैटी एसिडवाली चीजों का सेवन ज्यादा करना चाहिए. शुगर, रिफाइंड आटा, सैचुरेटेड फैट युक्त चीजें और डेरी प्रोडक्ट का कम सेवन करें.
केस स्टडी
पुष्पा 27 साल हैं. 2-3 सालों से उन्हें माहवारी के दौरान पेट के निचले हिस्से में इतना तेज दर्द होता था कि वे कई दिनों तक बिस्तर पर पड़ी रहती थीं. कभी-कभी दो पीरियड्स के बीच में अत्यअधिक रक्तस्राव भी होता था.
इसके अलावा थकान, कब्ज चक्कर आना, मितली आदि की समस्या पीरियड्स के समय रहती थी. पुष्पा की सोनोग्राफी से पता चला कि उन्हें एंडोमेट्रिओसिस है. उनकी संपूर्ण हिस्ट्री लेने के बाद मैंने उनको लक्षण के आधार पर होम्योपैथिक दवा एक महीने के लिए दी.
एक महीने में उनके लक्षणों में सुधार देखने को मिला. फिर वही दवा मैंने उनको लगातार छह महीने तक सेवन करने की सलाह दी. धीरे-धीरे उनकी स्थिति में सुधार हो रहा है.

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