सूरज में विस्फोट से धरती पर मोबाइल सिग्नल बंद, सैटेलाइट टीवी पर भी असर? पढ़िए आपके लिए क्या है खास…

Solar Storm 2021: 2 जनवरी को सूरज में जोरदार विस्फोट हुआ था. माना जा रहा है कि बुधवार से धरती पर विस्फोट का असर दिखना शुरू हो जाएगा. अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा की सोलर डायनमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने विस्फोट के दौरान निकले पार्टिकल्स की वीडियो बनाई है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 6, 2021 4:36 PM

सूरज हमेशा से वैज्ञानिकों के लिए एक दिलचस्प विषय रहा है. सूरज की हर हलचल पर दुनियाभर के वैज्ञानिकों की नजरें टिकी रहती है. इस बार नए साल की शुरुआत में सूरज पर धमाके से वैज्ञानिकों की जिज्ञासा बढ़ गई है. 2 जनवरी को सूरज में जोरदार विस्फोट हुआ था. माना जा रहा है कि बुधवार से धरती पर विस्फोट का असर दिखना शुरू हो जाएगा. अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा की सोलर डायनमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने विस्फोट के दौरान निकले पार्टिकल्स की वीडियो बनाई है.

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6 जनवरी तक वायुमंडल में सूरज के पार्टिकल  

नासा के वीडियो में पार्टिकल्स सूरज से निकलकर अंतरिक्ष में जाते दिख रहे हैं. सवाल यह है सूरज से निकले पार्टिकल्स धरती पर आएंगे तो क्या होगा? एक्सपर्ट्स की मानें तो सूरज के अंदर मैग्नेटिक फिलामेंट से दक्षिणी गोलार्ध पर विस्फोट हुए हैं. इससे सोलर सिस्टम में दो कोरोनल मास इजेक्शन (CME) हुए हैं. एक की रफ्तार तेज और दूसरे की धीमी है. दोनों के मिलने पर रफ्तार बढ़ने का अनुमान है. सूरज से निकले पार्टिकल धरती पर पहुंच सकते हैं. पार्टिकल छह जनवरी तक धरती पर आ सकते हैं.


धरती पर दिखेगा सूरज के धमाके का असर 

बड़ा सवाल यह है कि सूरज से निकले पार्टिकल के धरती पर आने से क्या असर होगा? इससे हमें किस तरह के नुकसान होगा? अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की मानें तो सूरज से निकले पार्टिकल के धरती से टकराने पर खूबसूरत नजारा दिखाई देगा. जिस तरह से उत्तरी या दक्षिणी ध्रुव पर लाइट्स मतलब ऑरोरा (Aurora) देखने को मिलती है, ठीक उसी की तरह. कई रिसर्चर्स की मानें तो दूसरे असर भी दिख सकते हैं.

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मोबाइल सिग्नल, सैटेलाइट टीवी पर भी प्रभाव 

धरती का चुबंकीय सिस्टम इंसानों को सूरज से आने वाली खतरनाक किरणों से बचाता है. सौर्य तूफानों का असर सैटेलाइट पर पड़ता है. इससे धरती की बाहरी वायुमंडल गर्म हो सकता है. जीपीएस, मोबाइल सिग्नल, सैटेलाइट टीवी पर भी असर पड़ सकता है. पावर ब्रेकडाउंस जैसी समस्या भी होगी. आखिरी बार सौर्य तूफान साल 1859 में आया था, जिसके कारण यूरोप का टेलीग्राफ सिस्टम प्रभावित हुआ था.

Posted : Abhishek.

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