Solar Eclipse 2022: दिवाली पर सूर्य ग्रहण का कितना असर? सूर्य ग्रहण के दौरान कैसे करें शुभ अनुष्ठान

Solar Eclipse 2022: यह 2022 का दूसरा सूर्य ग्रहण होगा. ऐसे में दिवाली के त्योहार के साथ सूर्य ग्रहण को लेकर कई तरह के भ्रम भी पैदा हो रहे कि इस साल दीपावली पर लक्ष्मी और गणेश पूजन करना शुभ होगा या नहीं, या इस दौरान कैसे पूजा करें आदी ऐसे कई सवाल है. आइए जानें

By Bimla Kumari | October 18, 2022 12:04 PM

Solar Eclipse 2022, Diwali 2022: जैसे-जैसे दिवाली का 5 दिवसीय त्योहार नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे दुनिया में एक सूर्य ग्रहण का साया भी दिखाई देगा जो 25 अक्टूबर 2022 को पड़ने वाला है. यह 2022 का दूसरा सूर्य ग्रहण होगा. ऐसे में दिवाली के त्योहार के साथ सूर्य ग्रहण को लेकर कई तरह के भ्रम भी पैदा हो रहे कि इस साल दीपावली पर लक्ष्मी और गणेश पूजन करना शुभ होगा या नहीं, या इस दौरान कैसे पूजा करें आदी ऐसे कई सवाल है. आइए जानें

कहां दिखेगा सूर्य ग्रहण

सूर्य ग्रहण प्रकृति की सबसे शानदार घटना हैं. आंशिक सूर्य ग्रहण पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों में तब होता है जब चंद्रमा की छाया का केंद्र पृथ्वी से चूक जाता है. बताएं आपको कि सूर्य ग्रहण यूरोप, पश्चिमी साइबेरिया, पश्चिमी एशिया, दक्षिण एशिया और अफ्रीका के उत्तर पूर्व से दिखाई देगा. भारत में इसका असर नहीं रहेगा.

सूर्य ग्रहण 2022: तिथि और समय

पंचांग के अनुसार, आंशिक सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर को शाम 05:12 बजे शुरू होगा और शाम 05:56 बजे सूर्यास्त के साथ समाप्त होगा. सूर्य ग्रहण का अनुमानित समय लगभग 44 मिनट 12 सेकेंड का है.

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कब लगेगा सूतक

सूर्य ग्रहण (सूर्य ग्रहण) से पहले का एक विशेष समय अशुभ माना जाता है और इसे सूतक के नाम से जाना जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार सूतक के दौरान किसी भी हानिकारक दुष्प्रभाव से बचने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए. द्रिक पंचांग के अनुसार सूतक 25 अक्टूबर 2022 को प्रातः 03:08 बजे से सायं 05:56 बजे तक रहेगा.

क्या सूर्य ग्रहण के दौरान होगी लक्ष्मी पूजा

नरक चतुर्दशी और दिवाली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी. जबकि गोवर्धन पूजा 25 अक्टूबर 2022 को मनाई जाएगी. ज्योतिषियों के अनुसार दिवाली लक्ष्मी पूजन और गोवर्धन पूजा पर सूर्य ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं हो पड़ेगा.

सूर्य ग्रहण को ‘सिद्धिकाल’ नाम दिया गया

सूर्य ग्रहण सिद्धियों के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है और ऋषियों ने इसे ‘सिद्धिकाल’ नाम दिया. ग्रहण के बीच भगवान श्री राम ने गुरु वशिष्ठ से और श्री कृष्ण ने संदीपन गुरु से अभिषेक प्राप्त किया. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, सूर्यास्त के बाद होने वाले सूर्य ग्रहण का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है.

क्यों लगता है सूर्य ग्रहण

आमतौर पर पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और चंद्रमा, पृथ्वी की परिक्रमा करता है. लेकिन अगर चंद्रमा गलती से सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाए तो चंद्रमा का सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाने के कारण सूर्य का प्रकाश,पृथ्वी पर ठीक तरह से नहीं पड़ता. इस परिस्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं.

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