Rajendra Prasad Jayanti 2022: राजेंद्र प्रसाद की जयंती आज, कुछ ऐसा जीवन जीते थे देश के प्रथम राष्ट्रपति

Dr. Rajendra Prasad Jayanti 2022: देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के सीवान जिला के जीरादेई गांव में हुआ था. 26 जनवरी 1950 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को पहली बार संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति बनने का अवसर मिला यह वह दिन था जब उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई.

By Shaurya Punj | December 3, 2022 6:35 AM

Dr. Rajendra Prasad Jayanti 2022: देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज जयंती है. वह भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के मुख्य नेताओं में से एक थे. सम्पूर्ण भारत में डॉ राजेंद्र प्रसाद काफी लोकप्रिय थे जिसके बाद से उन्हें राजेंद्र बाबू एवं देश रत्न कहकर बुलाया जाता था. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के सीवान जिला के जीरादेई गांव में हुआ था.

राष्‍ट्रपति के रूप में छिपाया बहन की मौत का गम

राष्‍ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद की बड़ी बहन भगवती देवी (Bhagawati Devi) का निधन 25 जनवरी 1960 की देर शाम में हो गया था. बहन के निधन का उन्‍हें गहरा सदमा लगा. वे पूरी रात शव के पास ही बैठे रहे. रात के अंतिम चरण में परिवार के लोगों ने उन्हें अगली सुबह बतौर राष्‍ट्रपति गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने की याद दिलाई. इसके बाद आंसू पोंछ कर वे तैयार हुए और सुबह में गणतंत्र दिवस समारोह में परेड की सलामी लेने पहुंचे. समारोह के दौरान वे पूरे संयम में रहे. देश ने तब राष्‍ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद को देखा, भाई राजेंद्र प्रसाद ने अपना गम छिपा लिया.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डॉ. प्रसाद को याद करते हुए कहा, ‘भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी की जयंती के अवसर पर मैं उन्हें स्मरण एवं नमन करता हूं. देश को स्वाधीन कराने के लिए संघर्ष करने के साथ-साथ उन्होंने भारत की संवैधानिक परंपराओं के निर्माण में भी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यह देश उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा.’

राजेंद्र प्रसाद की प्रारंभिक शिक्षा बिहार के छपरा जिला स्कूल से हुई थीं. केवल 18 साल की उम्र में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा प्रथम स्थान से पास की और फिर कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लेकर लॉ के क्षेत्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की. वे हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, बंगाली एवं फारसी भाषा से पूरी तरह परिचित थे.

1962 में जब उन्होंने राष्ट्रपति के पद से अवकाश लिया तो भारत सरकार ने उन्हें ‘भारत रत्न’ की उपाधि से सम्मानित किया था. 28 फरवरी 1963 को उनका निधन हो गया. उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनी रहती थी, जो हर किसी को मोहित कर लेती थी. डॉ. प्रसाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक से अधिक बार अध्यक्ष रहे.

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