Chanakya Niti: हमेशा दुख भोगते हैं ऐसे इंसान, सुख के लिए तरसते रहते है जिंदगी भर

Chanakya Niti: चाणक्य ने इस ग्रंथ में व्यक्ति को कुछ बातों के लिए पहले से ही सतर्क रहने के लिए कहा है. फिर भी वह इंसान अगर उन बातों को करता है, तो उसका नुकसान होना तय होता है.

By Shashank Baranwal | February 17, 2025 3:03 PM

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने जीवन के अनुभव और शिक्षा के आधार पर एक ग्रंथ की रचना की थी, जो कि आज चाणक्य नीति के नाम से प्रसिद्ध है. सिद्धांतों पर आधारित ये नीतियां जीवन के विभिन्न पहलुओं पर मार्गदर्शन करती है. चाणक्य नीति में राजनीति, राज्य व्यवस्था, समाज की भलाई और व्यक्तिगत विकास के लिए कई महत्वपूर्ण उपदेश दिए गए हैं. ये नीतियां जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और इंसान को बेहतर बनाने में अत्यंत उपयोगी साबित होती है. चाणक्य ने इस ग्रंथ में व्यक्ति को कुछ बातों के लिए पहले से ही सतर्क रहने के लिए कहा है. फिर भी वह इंसान अगर उन बातों को करता है, तो उसका नुकसान होना तय होता है. ऐसे में जो भी व्यक्ति चाणक्य नीति में बताई इन बातों को नजरअंदाज करता है, वह हमेशा दुख उठाता है.

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सुख के लिए तरसते हैं ऐसे लोग

अक्सर लोग अपने स्वभाव के कारण विद्वानों और ज्ञानियों की निंदा करते हैं. उनकी विद्वता का मजाक बनाते हैं. साथ ही उनके ज्ञान को व्यर्थ बताकर उनकी आलोचना करते हैं. चाणक्य नीति के अनुसार, ऐसे लोग हमेशा अपने जीवन में दुख भोगते हैं. वह हमेशा सुख के लिए तरसते रहते हैं. ऐसे में व्यक्ति को अपने इस स्वभाव में बदलाव करना चाहिए, क्योंकि दूसरों की बुराई करने से व्यक्ति को कोई लाभ नहीं होता है.

जीवन में हमेशा रहते हैं परेशान

कई लोग शास्त्रों में लिखी गई बातों की आलोचना करते हैं. शास्त्रों में बताए नियमों के अनुसार चलने वाले लोगों को पाखंडी, ढोंगी बताने लगते हैं. चाणक्य नीति में ऐसे ही लोगों के लिए लिखा है कि ये लोग अपने जीवन में कभी सुखी नहीं रहते हैं. इन लोगों को कदम-कदम पर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा, जो लोग शांत स्वभाव और गंभीर प्रकृति के लोगों का मजाक बनाते हैं, वे भी जीवन में हमेशा परेशान ही रहते हैं.

चाणक्य ने इस बात से की पुष्टि

चाणक्य नीति में लिखा है कि मूर्खों की भाषा में शांत और चुप रहने वाले लोगों को कमजोर कहा जाता है. विद्वान यानी श्रेष्ठ आचरण करने वाले, शास्त्र में बताए नियमों का पालन करने वाले और शांत रहने वाले लोगों की आलोचना से कुछ नहीं बिगड़ता है. लेकिन जो लोग आलोचना करते हैं वे हमेशा दुखी रहते हैं, क्योंकि नदी का जल न पीने से नदी का कुछ नहीं घटता है.

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