ईस्टर संडे: प्रभु यीशु मसीह को क्यों याद करते हैं आज के दिन

ईसाई धर्मावलम्बियों का पर्व ईस्टर, आस्था और विश्वास का एक बेमिसाल पर्व है. यह ईसाई समुदाय का एक सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व भी है. बाइबिल के अनुसार, सूली पर लटकाए जाने के बाद जब यीशु मसीह की मृत्यु हो गई, तो उसके तीसरे दिन तीसरे दिन प्रभु यीशु फिर से जीवित हो उठे थे. इस […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 27, 2016 3:18 PM

ईसाई धर्मावलम्बियों का पर्व ईस्टर, आस्था और विश्वास का एक बेमिसाल पर्व है. यह ईसाई समुदाय का एक सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व भी है.

बाइबिल के अनुसार, सूली पर लटकाए जाने के बाद जब यीशु मसीह की मृत्यु हो गई, तो उसके तीसरे दिन तीसरे दिन प्रभु यीशु फिर से जीवित हो उठे थे. इस मृतोत्थान को ईस्टर डे या ईस्टर के रूप में मनाया जाता है.

क्यों खास है ईस्टर

इसे ईस्टर संडे या मृतोत्थान रविवार भी कहते हैं, क्योंकि यह अलौकिक घटना रविवार (गुड फ्राईडे के दो दिन बाद) को हुई थी.

प्रभु यीशु ने मानवता के कल्याण के लिए अपने प्राण का त्याग किया था. उनका फिर से जी उठना ईसाई धर्म के विश्वास की नींव है. यह सम्पूर्ण मानवता की आशा, नए जीवन और जीवन के बदलाव का प्रतीक भी है.

एक रोचक परंपरा- ईस्टर के अंडे

पारम्परिक रूप से जहां गुड फ्राइडे के दिन हॉट क्रॉस बन्स खाया जाता है, वहीं ईस्टर संडे को लोग एक-दूसरे को चॉकलेट से बने ईस्टर एग्स (ईस्टर के अंडे) गिफ्ट में देते हैं. वास्तव में बिना इन रंगीन ईस्टर एग्स के यह त्योहार पूरा आनंद नहीं देता है.

ईस्टर एग्स से जुड़ा एक रोचक रिवाज यह है कि ये एग्स माता-पिता छिपा देते हैं और फिर उसे बच्चों को ढूंढने के लिए कहा जाता है. पारंपरिक रूप से ईसाई धर्म में अंडे पुनरुत्थान के प्रतीक हैं.

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