कोरोना के डर से काढ़े के अधिक सेवन नुकसान कर सकता है

कोरोना वायरस के इस दौर में लोग अपनी इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए नए नए उपाय कर रहे हैं. आयुष मंत्रालय और भारत सरकार ने भी कहा है कि काढ़े के सेवन से रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है. काढ़ा महज खांसी, जुकाम और गले में हो रहे दर्द से ही राहत नहीं दिलाता बल्कि ये आपकी इम्यूनिटी को भी स्ट्रॉन्ग बनाने का काम करता है.जिससे बीमारियों के होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है.

By Shaurya Punj | June 23, 2020 9:38 PM

कोरोना वायरस के इस दौर में लोग अपनी इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए नए नए उपाय कर रहे हैं. आयुष मंत्रालय और भारत सरकार ने भी कहा है कि काढ़े के सेवन से रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है. काढ़ा महज खांसी, जुकाम और गले में हो रहे दर्द से ही राहत नहीं दिलाता बल्कि ये आपकी इम्यूनिटी को भी स्ट्रॉन्ग बनाने का काम करता है.जिससे बीमारियों के होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है.

काढ़ा डाइजेशन सुधारने का काम भी करता है. अगर आपका पेट खराब रहता है या कब्ज वगैरह की प्रॉब्लम से परेशान रहते हैं तो चाय-कॉफी की जगह काढ़ा पीना शुरू करें. इन दिनों लोग काढ़े के सेवन को लेकर सजग होते दिख रहे हैं, लोग काढ़े के प्रयोग को अपने दिनचर्या में ले आए हैं. इसके अलावा कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले मरीजों के अस्पताल में तुलसी, काली मिर्च, लौंग आदि से युक्त काढ़े का सेवन कराया जा रहा है और इसके सकारात्मक परिणाम भी देखे गए है.

कैसे मदद करता है ये काढ़ा ?

यह पाचन ठीक करने के साथ-साथ शरीर से गंदगी भी निकालता है. काली मिर्च कफ निकालने का काम करती है. वहीं, तुलसी-अदरक और इलाइची पाउडर में एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं. तुलसी में एंटी-माइक्रोबल प्रॉपर्टीज होती हैं जो सांस से जुड़े इन्फेक्शन्स को मारने का काम करती है.

नुकसानदेह हो सकता है काढ़े का अधिक सेवन

पर ऐसा नहीं है कि काढा का उपयोग फायदेमंद ही है, काढ़े का अत्याधिक सेवन से शरीर को नुकसान भी पहुंचता है. काढ़े में अदरक का उपयोग होता है, और अदरक का ज्यादा प्रयोग करने से सीने में जलन की शिकायत हो सकती है. काढ़े में घी का प्रयोग कम मात्रा में करना चाहिए. घी के अधिक उपयोग से अपच, पेट फूलने की शिकायत हो सकती है.

इसके अलावा उपवास के दौरान काढ़ा पीने के लिए मना किया जाता है, क्योंकि इससे पेट में जलन की शिकायत हो सकती है. काढ़ा बनाते समय इसमे शहद का प्रयोग भी कम करना चाहिए क्योकि शहद की तासीर गर्म होती है और इससे बेचैनी पैदा हो सकती है. डायबिटीज के मरीजों को चीनी का इस्तेमाल सोच समझ कर करना चाहिए.

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