जाने, क्‍यों कंगना के जन्‍म से खुश नहीं थे घरवाले, ”क्‍वीन” ने खोले राज ?

मुंबई : हिन्दी फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत भले ही लाखों दिलों पर राज कर रही हों और उन्होंने अनेकों पुरस्कार जीते हों लेकिन उनका कहना है कि वे एक अवांछित बच्ची थीं जिसे लगातार उनके ‘अवांछित अस्तित्व’ के बारे में याद दिलाया गया.... अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर 28 साल की अभिनेत्री ने आह्वान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 9, 2016 11:21 AM

मुंबई : हिन्दी फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत भले ही लाखों दिलों पर राज कर रही हों और उन्होंने अनेकों पुरस्कार जीते हों लेकिन उनका कहना है कि वे एक अवांछित बच्ची थीं जिसे लगातार उनके ‘अवांछित अस्तित्व’ के बारे में याद दिलाया गया.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर 28 साल की अभिनेत्री ने आह्वान किया कि केवल अपने जिंदगी में शामिल पुरुषों की खुशी की परवाह करने वाली महिलाओं को ‘निस्वार्थ’ भारतीय महिलाओं के तौर पर पेश करना बंद होना चाहिए क्योंकि यह प्रतिगामी कदम है.

‘कट्टी बट्टी’ अभिनेत्री ने कहा, ‘मेरे माता पिता का रंगोली (बहन) से पहले एक बच्चा था जिसकी जन्म के दस दिन के भीतर मौत हो गयी. उसका नाम हीरो था. मेरे माता पिता उस बच्चे की मौत से उबर नहीं पाए. लेकिन फिर रंगोली हुई और उसका ध्यान रखा गया, खूब खुशियां मनायी गयीं.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन जब मेरा जन्म हुआ तो मेरे माता पिता खासकर मेरी मां इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रही थीं कि घर में एक और लडकी पैदी हुई. मुझे ये कहानियां विस्तार से पता हैं क्योंकि जब भी घर में कोई मेहमान आता था या लोग जुटते थे, मेरे सामने यह कहानी दोहरायी जाती थी कि मैं किस तरह एक अवांछित बच्ची थी.’

कंगना की एक बडी बहन रंगोली और एक छोटा भाई अक्षत है. अभिनेत्री ने कहा कि उनके लिए बार बार यह सुनना पीडादायक था. उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी लडकों के लडकियों से ज्यादा महत्वपूर्ण होने की घिसीपीटी सोच को स्वीकार नहीं किया जिसने उनके बडे होने के दौरान ‘असहजता’ पैदा की.

कंगना ने फेमिना पत्रिका के नये कवर जारी करने मौके पर कहा, ‘बहनों, मांओं का निस्वार्थ भारतीय महिलाओं के तौर यशगान बंद होना चाहिए जिनके बारे में कहा जाता है कि वह ‘अग्निपरीक्षा’ देंगी और जो अपने पतियों और पिताओं की बेहतरी में ही अपनी बेहतरी देखती हैं. यह बहुत ही प्रतिगामी है.’