Film Review: रोमांस-थ्रिलर का डोज़ है देव दास, बस यहां हो गई चूक

II उर्मिला कोरी II फ़िल्म- दासदेव निर्देशक- सुधीर मिश्रा कलाकार- राहुल भट्ट,रिचा चड्ढा,अदिति राव हैदरी, सौरभ शुक्ला,अनुराग कश्यप रेटिंग- ढाई सुधीर मिश्रा की फ़िल्म ‘दासदेव’ शरदचंद्र की देवदास का मॉडर्न वर्जन है इसके साथ ही कहानी में शेक्सपियर की हेमलेट का भी प्रभाव है. जिससे यह सिर्फ लव ही नही लस्ट औऱ पॉवर के नशे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 27, 2018 4:24 PM

II उर्मिला कोरी II

फ़िल्म- दासदेव

निर्देशक- सुधीर मिश्रा

कलाकार- राहुल भट्ट,रिचा चड्ढा,अदिति राव हैदरी, सौरभ शुक्ला,अनुराग कश्यप

रेटिंग- ढाई

सुधीर मिश्रा की फ़िल्म ‘दासदेव’ शरदचंद्र की देवदास का मॉडर्न वर्जन है इसके साथ ही कहानी में शेक्सपियर की हेमलेट का भी प्रभाव है. जिससे यह सिर्फ लव ही नही लस्ट औऱ पॉवर के नशे की भी कहानी बन जाती है.

फ़िल्म की कहानी की बात करें तो राजनीति पर आधारित थ्रिलर फिल्म है. जिसमें लव स्टोरी भी अहम पात्र है. फ़िल्म की कहानी देव (राहुल भट्ट)की है जो शराब और ड्रग्स में डूबा हुआ है. वह उत्तरप्रदेश के सत्ताधारी पार्टी का उत्तराधिकारी है. उसे पारो (रिचा चड्ढा) से प्यार है. उसके चाचा (सौरभ शुक्ला) चाहते हैं कि वह राजनीति की बागडोर को संभाले जिससे उसकी जिंदगी में चांदनी(अदिति राव हैदरी)आती है.

वह ऐसे हालात बनाती है जिससे देव शराब को छोड़ सक्रिय राजनीति से जुड़ जाता है लेकिन यही हालात उसे पारो से दूर कर देते हैं. पारो अपने सम्मान के लिए किसी और रसूख वाले नेता (विपिन शर्मा) से शादी कर लेती है.

पारो राजनीति में देव के खिलाफ आ खड़ी होती है लेकिन इस राजनीति उथल पुथल में उन्हें रिश्तों की एक अलग सच्चाई रूबरू करवाती है जो उनके सभी रिश्तों को बदल देती है.

कहानी में कई तरह की परतें देने के लिए हर किरदार के चरित्र को काफी तोड़ा मरोड़ा गया है. हर किरदार ग्रे है. कहानी के यही ढेर सारी परतें इस फ़िल्म की कमज़ोरी है जो इसे न तो कहानी में लव ट्रायंगल को दर्शा पाया न ही राजनीति परिपेक्ष्य को ही फ़िल्म का स्क्रीनप्ले और कसा हुआ होने की ज़रूरत थी. सुधीर मिश्रा इस बार चूक गए हैं.

अभिनय की बात करें तो राहुल भट्ट को फ़िल्म में अच्छा मौका मिला है और वह अपने अभिनय से इस मौके पर पूरी तरह से खरे उतरे हैं. रिचा चड्ढा और अदिति हमेशा की तरह बेहतरीन रहीं हैं. दोंनो ने अपने किरदार ग्रे हो या वाइट दोनों ही पहलुओं को अलग अलग दृश्यों के ज़रिए बखूबी दर्शाया है.

अनुराग कश्यप छोटी भूमिका में भी दमदार रहे हैं. सौरभ शुक्ला,अनिल जॉर्ज, विपिन शर्मा और दिलीप ताहिल अपनी अपनी भूमिका से प्रभावित करने में कामयाब रहे हैं.

फ़िल्म का गीत संगीत अलहदा है. फ़िल्म से गीत संगीत के कई नाम जुड़े हैंजो फ़िल्म के दृश्य और कहानी के सिचुएशन के साथ बखूबी न्याय करते हैं. फ़िल्म के संवाद अच्छे बन पड़े हैं. फ़िल्म का लुक पूरी तरह से कहानी के साथ न्याय करता है. कुलमिलाकर कमज़ोर स्क्रीनप्ले की वजह से यह फ़िल्म इन खूबियों के बावजूद एक औसत फ़िल्म बनकर रह गयी है.

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