UP Chunav: गांधी परिवार के मजबूत गढ़ में लगेगी सेंध! रायबरेली में कांग्रेस का पुराना साथी ही बना दुश्मन

UP Chunav 2022: अदिति सिंह ने हाल ही में कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा तो उनके निशाने पर गांधी परिवार आ गया. अब कांग्रेस की सबसे बड़ी चिंता गांधी परिवार के गढ़ रायबरेली में अपने वर्चस्व को बचाए रखने की भी है.

By Prabhat Khabar | February 22, 2022 7:24 AM

UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के चुनावी दंगल जारी है. पहले और दूसरे चरण के बाद रविवार को तीसरा चरण भी संपन्न हो गया. अब चौथे चरण के रण में अवध क्षेत्र में 23 फरवरी को मतदान होना है. इस चुनावी रण में अवध की कुछ सीटें बेहद अहम मानी जा रहीं, जिसमें कांग्रेस (Congress) की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी (Soniya Gandhi) के गढ़ रायबरेली की सदर विधानसभा सीट भी शामिल हैं. कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुईं अदिति सिंह (Aditi Singh) इस सीट पर प्रियंका गांधी के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है.

रायबरेली में कभी कांग्रेस की ही विधायक रहीं अदिति सिंह ने सोमवार को प्रियंका गांधी पर जोरदार हमला बोला. यूपी के बेरोजगारों का मुद्दा उठाने और योगी आदित्यानथ पर हमला करने पर अदिति सिंह ने प्रियंका गांधी पर निशाना साधा. अदिति ने प्रियंका गांधी से सवाल किया कि आप किस दुनिया में हैं. अदिति ने कहा कि पंजाब में कांग्रेस को अवसर मिला लेकिन नौकरियों को लेकर कुछ नहीं किया गया. एक तरफ वे (कांग्रेस) यूपी-बिहार के लोगों को गाली देते हैं और फिर यूपी के समर्थन की उम्मीद भी करते हैं. अदिति सिंह के ये तेवर कांग्रेस के लिए मुश्किल हालात पैदा कर रहे हैं.

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बता दें कि रायबरेली में अखिलेश सिंह के परिवार का बड़ा प्रभाव रहा है. अखिलेश निर्दलीय और पीस पार्टी से विधायक होने से पहले कांग्रेस के लाडले थे. लेकिन 2003 में उन्हें कांग्रेस से निकाल दिया गया था. वह कांग्रेस से अलग हुए लेकिन उन्होंने कभी गांधी परिवार की खिलाफत नहीं की. लेकिन उनकी बेटी अदिति सिंह ने हाल ही में कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा तो उनके निशाने पर गांधी परिवार आ गया. अब कांग्रेस की सबसे बड़ी चिंता गांधी परिवार के गढ़ रायबरेली में अपने वर्चस्व को बचाए रखने की भी है.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की भी सियासी कर्म भूमि रायबरेली रही है. यहां 2004 में हुए आम चुनाव से लेकर अब तक 18 साल से सीधे गांधी परिवार का कब्जा रहा है. 2019 में मोदी लहर में अमेठी तो कांग्रेस के हाथ से निकल गई पर रायबरेली ही प्रदेश की एक मात्र ऐसी सीट रही है जहां कांग्रेस को जनता का साथ मिला था. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी रायबरेली की छह सीटों में दो सीटों पर कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार जीते थे.

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