SHARDA Survey: स्कूल छोड़ने वालों पर सरकार की नजर, शारदा योजना के तहत हर बच्चा पढ़ेगा

SHARDA Survey: उत्तर प्रदेश सरकार ने 'शारदा योजना' के तहत स्कूल से वंचित बच्चों की पहचान और नामांकन के लिए सर्वे शुरू किया है. यह अभियान 6 से 14 वर्ष के बच्चों पर केंद्रित है. दो चरणों में चलने वाले इस सर्वे का उद्देश्य शिक्षा को हर बच्चे तक पहुंचाना है.

By Pushpanjali | July 1, 2025 5:37 PM
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SHARDA Survey: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के उन बच्चों को फिर से स्कूली शिक्षा से जोड़ने का बड़ा कदम उठाया है, जो किसी कारणवश पढ़ाई से दूर हो गए हैं. ‘स्कूल हर दिन आएं अभियान (SHARDA)’ के तहत अब राज्यव्यापी घर-घर सर्वेक्षण शुरू किया गया है, जिसका मकसद है 6 से 14 वर्ष की उम्र के उन बच्चों की पहचान करना, जो या तो कभी स्कूल नहीं गए या बीच में पढ़ाई छोड़ चुके हैं. सरकार का मानना है कि हर बच्चे को शिक्षा का समान अधिकार मिलना चाहिए और कोई भी परिवार या बच्चा इस अधिकार से वंचित न रहे. इस अभियान को चरणबद्ध तरीके से पूरे राज्य में लागू किया जा रहा है और इसकी सख्ती से निगरानी की जाएगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह पहल शिक्षा को घर-घर तक पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास मानी जा रही है.

दो चरणों में होगा सर्वे

यह सर्वेक्षण दो चरणों में आयोजित किया जाएगा.

सर्वे में 6 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों की पहचान की जाएगी. इसके लिए झुग्गी-झोपड़ियों, ईंट भट्टों, खदानों, होटलों, आदिवासी क्षेत्रों और प्रवासी समुदायों को भी शामिल किया जाएगा.

कौन माने जाएंगे ड्रॉपआउट?

ड्रॉपआउट बच्चों में वे शामिल हैं:

इन बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार उचित कक्षा में नामांकित किया जाएगा और विशेष पाठ्यक्रम आधारित प्रशिक्षण दिया जाएगा.

सर्वे की जिम्मेदारी स्कूल टीम पर

सर्वेक्षण की जिम्मेदारी स्कूल-स्तरीय टीमों को दी गई है, जिसमें प्रधानाध्यापक, शिक्षक, शिक्षा मित्र, बीटीसी प्रशिक्षु और स्वयंसेवक शामिल हैं. हर स्कूल अपने इलाके के मोहल्लों और बस्तियों को कवर करेगा ताकि कोई भी परिवार छूटे नहीं.

नामांकन के 15 दिन बाद बच्चों का ज्ञान स्तर ‘शारदा ऐप’ के जरिए आंका जाएगा. इसके बाद अक्टूबर, जनवरी और मार्च में तिमाही मूल्यांकन किए जाएंगे.

सर्वे की जिम्मेदारी स्कूल टीम पर

सर्वेक्षण की जिम्मेदारी स्कूल-स्तरीय टीमों को दी गई है, जिसमें प्रधानाध्यापक, शिक्षक, शिक्षा मित्र, बीटीसी प्रशिक्षु और स्वयंसेवक शामिल हैं. हर स्कूल अपने इलाके के मोहल्लों और बस्तियों को कवर करेगा ताकि कोई भी परिवार छूटे नहीं.

नामांकन के 15 दिन बाद बच्चों का ज्ञान स्तर ‘शारदा ऐप’ के जरिए आंका जाएगा. इसके बाद अक्टूबर, जनवरी और मार्च में तिमाही मूल्यांकन किए जाएंगे.

बच्चों को मिलेंगी सहायक योजनाएं

अत्यंत गरीब परिवारों के बच्चों को समाज कल्याण और श्रम विभाग की योजनाओं से जोड़ा जाएगा ताकि उनकी शिक्षा में कोई बाधा न आए. प्रवासी बच्चों को नए स्थान पर नामांकन में सहायता के लिए प्रवास प्रमाण पत्र भी दिए जाएंगे.

शिक्षा ही है भविष्य की गारंटी: मंत्री

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि, “अगर कोई बच्चा स्कूल नहीं पहुंच सकता, तो शिक्षा उसके दरवाजे तक जानी चाहिए. शारदा जैसे अभियान इसी सोच को दर्शाते हैं.” उन्होंने इसे ड्रॉपआउट कम करने और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम बताया.

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