Bihar Board Topper: पेपर के दौरान पिता का निधन, फिर भी रजनीश 10वीं में टॉपर, बिहार बोर्ड वाला ने दो भाइयों को बनाया अव्वल

Bihar Board Topper: गम को ताकत बनाकर रजनीश ने बिहार बोर्ड में 468 अंक हासिल किए. समस्तीपुर के इस छात्र ने पिता की मौत के दिन भी परीक्षा दी. ‘बिहार बोर्ड वाला’ की मदद से आशुतोष और अभिषेक ने भी रचा इतिहास. यह सफलता गांव के छात्रों की उम्मीद जगाती है.

By Govind Jee | May 21, 2025 5:55 PM
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Bihar Board Topper: समस्तीपुर का एक बेटा रजनीश आज पूरे जिले के लिए मिसाल बन गया है. साल 2025 में जब बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा चल रही थी, तभी रजनीश के जीवन में सबसे बड़ा तूफान आया. इंग्लिश का पेपर देने जा रहे रजनीश को उसी सुबह खबर मिली,”तुम्हारे पापा अब नहीं रहे. “

लीवर कैंसर से जूझ रहे रजनीश के पिता ने उस सुबह अंतिम सांस ली थी. एक पल को रजनीश सब कुछ छोड़ देना चाहता था. लेकिन बड़े भाई ने कहा, “अगर आज का पेपर नहीं दोगे, तो पापा का सपना अधूरा रह जाएगा.” आंखों में आंसू और दिल में बवंडर लिए रजनीश परीक्षा देने बैठ गया और नतीजा आया तो उसने सबको चौंका दिया, बिहार बोर्ड में 468 अंक हासिल कर समस्तीपुर में तीसरा स्थान प्राप्त किया. 

रिक्शा चलाते थे पिता, अब भाई ने थामी कमान

रजनीश के पिता समस्तीपुर में रिक्शा चलाते थे. बीमारी ने उन्हें तोड़ दिया. रजनीश कहता है, “पापा कहा करते थे, अच्छा मार्क्स आएगा तो मिठाई खिलाएंगे. वो मिठाई अधूरी रह गई.”

अब उनके बड़े भाई वही रिक्शा चलाते हैं और रजनीश घर में बनी एक छोटी सी हार्डवेयर की दुकान भी पढ़ाई के साथ संभालता है. दुकान के बगल में ही उसका स्टडी टेबल है, जहां ‘फिजिक्स वाला’ का लैपटॉप और JEE की किताबें बिखरी रहती हैं. 

आठवीं से जुड़ा ‘बिहार बोर्ड वाला’ से, अब है AIR-1 का सपना

रजनीश ने आठवीं कक्षा से ही ‘बिहार बोर्ड वाला’ चैनल से पढ़ाई शुरू की थी. यह फिजिक्स वाला द्वारा चलाया गया एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो खास बिहार बोर्ड के छात्रों के लिए बना है. वह बताता है, “हम हर दिन का टारगेट कॉपी में लिखते थे और जब तक पूरा नहीं होता था, तब तक पढ़ते थे. 10 घंटे से ज्यादा पढ़ाई हो जाती थी. हम यह नहीं सोचते कि कौन-सा IIT मिलेगा, हम सिर्फ यह सोचते हैं कि देश में नंबर 1 बनना है.”

Bihar Board Topper: डिजिटल दोस्त बना ‘बिहार बोर्ड वाला’

‘बिहार बोर्ड वाला’ ने रजनीश को न सिर्फ पढ़ाई दी, बल्कि AI आधारित डाउट क्लियरिंग टूल, लैपटॉप और गाइडेंस भी दिया. “हम गांव के बच्चों के लिए यह प्लेटफॉर्म वरदान है. यहां की भाषा सरल होती है, और पढ़ाई इतनी समझ में आती है कि वही सवाल एग्जाम में आ जाते हैं,” रजनीश बताता है. 

घर में मां, भाई, भाभी और भतीजा हैं. मां पढ़ी-लिखी नहीं हैं, लेकिन बेटे की पढ़ाई के वक्त पास में बैठती हैं. रजनीश कहता है, “कई बार खाना भूल जाते हैं, तो मम्मी आवाज देती हैं, खाना खा लो बेटा.”

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समस्तीपुर के दो और सितारे: आशुतोष और अभिषेक की सफलता की कहानी

रजनीश की तरह ही समस्तीपुर के दो भाई आशुतोष और अभिषेक, ने भी ‘बिहार बोर्ड वाला’ से पढ़ाई कर बोर्ड परीक्षा में शानदार सफलता पाई है. आशुतोष ने मैट्रिक में 467 अंक प्राप्त कर टॉप 10 में जगह बनाई. उन्होंने बताया, “हमने 9वीं से ही PW से पढ़ाई शुरू की. डाउट क्लियरिंग से लेकर पढ़ाई की भाषा तक, सब कुछ इतना सहज था कि कभी लगा ही नहीं कि ऑनलाइन पढ़ रहे हैं. “बड़े भाई अभिषेक, जिन्होंने इंटर में 454 अंक लाए, कहते हैं, “PW पर पढ़ाई ऐसे होती है जैसे कोई दोस्त समझा रहा हो.  कंटेंट क्वालिटी शानदार है.”

Bihar Board Wallah Topper 2025: गांव में नहीं कोचिंग, लेकिन PW ने दी नई राह

गांव में अच्छे कोचिंग सेंटर नहीं हैं, इसलिए इन भाइयों ने यूट्यूब और PW ऐप के जरिए ऑनलाइन पढ़ाई की. आशुतोष कहते हैं, “हमने distractions से खुद को अलग रखा और हर दिन 4-6 घंटे नियमित पढ़ाई की.” दोनों भाइयों ने PW के शिक्षकों की भी खूब तारीफ की. अभिषेक कहते हैं, “PW के टीचर्स लेक्चर में ही बताते हैं कि डाउट कहां आएगा और वहीं उसे क्लियर कर देते हैं.”

पिता संजीव कुमार और मां आशा कुमारी ने सीमित संसाधनों के बीच भी दोनों बेटों को पढ़ने का पूरा अवसर दिया. अंत में दोनों कहते हैं, “अगर ऑनलाइन पढ़ाई को ईमानदारी से करें, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं. PW को एक बार जरूर आजमाएं, खुद समझ में आ जाएगा कि यह क्यों सबसे बेहतर है.”

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