जेएएल को खरीदने के मामले में वेदांता ने अदाणी ग्रुप को छोड़ा पीछे, लगाई 17,000 करोड़ की बोली

Vedanta Group: वेदांता ने जयप्रकाश एसोसिएट्स (जेएएल) को खरीदने की दौड़ में अदाणी ग्रुप को पछाड़ते हुए 17,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई है. इस सौदे से कंपनी का शुद्ध वर्तमान मूल्य 12,505 करोड़ रुपये बनता है. एनसीएलटी द्वारा सीआईआरपी में भेजे गए जेएएल पर 57,185 करोड़ रुपये का कर्ज है. इसकी परिसंपत्तियों में नोएडा का जेपी ग्रीन्स, विशटाउन, जेवर एयरपोर्ट के पास स्पोर्ट्स सिटी, होटल्स और सीमेंट इकाइयां शामिल हैं. यह अधिग्रहण वेदांता की रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूदगी को मजबूत करेगा.

By KumarVishwat Sen | September 5, 2025 8:53 PM

Vedanta Group: खनन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांता ने दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) के अधिग्रहण के लिए 17,000 करोड़ रुपये की सफल बोली लगाकर अदाणी समूह को पीछे छोड़ दिया है. सूत्रों के मुताबिक, यह बोली 12,505 करोड़ रुपये के शुद्ध वर्तमान मूल्य (एनपीवी) के रूप में परिलक्षित होती है, जिससे जेएएल के ऋण समाधान की प्रक्रिया को बल मिला है.

जेएएल की स्थिति और दिवाला प्रक्रिया

जेपी एसोसिएट्स का कारोबार रियल एस्टेट, सीमेंट, ऊर्जा, होटल और सड़क परियोजनाओं तक फैला रहा है. हालांकि, भारी कर्ज के बोझ और समय पर ऋण अदायगी में असफलता ने कंपनी को वित्तीय संकट में डाल दिया. इसके चलते राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की इलाहाबाद पीठ ने तीन जून 2024 को इसे कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के तहत भेज दिया. इसके बाद ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) ने कंपनी की बिक्री के लिए चुनौती प्रक्रिया अपनाई.

बोली प्रक्रिया और वेदांता की जीत

जेएएल की बिक्री प्रक्रिया में शुरुआती चरण में कई दिग्गज कंपनियां जैसे अदाणी समूह, वेदांता समूह, डालमिया भारत, जिंदल पावर और पीएनसी इन्फ्राटेक शामिल हुईं. लेकिन, अंतिम दौर की ठोस बोली केवल अदाणी और वेदांता ने पेश की. पांच सितंबर को हुई सीओसी की बैठक में चुनौती प्रक्रिया पूरी की गई, जिसमें वेदांता ने 17,000 करोड़ रुपये की बोली लगाकर अदाणी को पीछे छोड़ दिया. इस बोली ने कंपनी के एनपीवी को 12,505 करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया.

जेएएल पर बकाया ऋण और प्रमुख दावेदार

वित्तीय ऋणदाताओं ने जेएएल पर कुल 57,185 करोड़ रुपये का दावा किया हुआ है. इनमें सबसे बड़ा दावा ‘नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड’ (एनएआरसीएल) का है, जिसने भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले समूह से कंपनी का कर्ज खरीदा था. इस बड़े वित्तीय बोझ ने कंपनी को लंबे समय से दबा रखा था और अब वेदांता की बोली से इसके समाधान की राह खुल सकती है.

जेएएल की संपत्तियां और निवेश

जेएएल के पास दिल्ली-एनसीआर में कई महत्वपूर्ण रियल एस्टेट परियोजनाएं हैं. इनमें ग्रेटर नोएडा का जेपी ग्रीन्स, नोएडा का जेपी ग्रीन्स विशटाउन और जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास स्थित जेपी इंटरनेशनल स्पोर्ट्स सिटी प्रमुख हैं. इसके अलावा कंपनी के पोर्टफोलियो में मसूरी, आगरा और दिल्ली-एनसीआर में पांच बड़े होटल भी शामिल हैं. कंपनी की मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में चार सीमेंट इकाइयां और कुछ पट्टे पर ली गई चूना पत्थर की खदानें भी हैं. हालांकि, वर्तमान में इन संयंत्रों में उत्पादन बंद है. साथ ही, जेएएल ने जयप्रकाश पावर वेंचर्स लिमिटेड, यमुना एक्सप्रेसवे टोलिंग लिमिटेड और जेपी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड समेत कई अनुषंगी इकाइयों में निवेश किया हुआ है.

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ऋणदाताओं के लिए बड़ी राहत

वेदांता की 17,000 करोड़ रुपये की सफल बोली जेएएल की दिवाला प्रक्रिया में बड़ा मोड़ साबित हुई है. यह न केवल ऋणदाताओं के लिए राहत लाएगी, बल्कि कंपनी की मूल्यवान संपत्तियों के नए उपयोग की संभावना भी बढ़ाएगी. वहीं, अदाणी समूह को इस सौदे में पीछे हटना पड़ा, जिससे प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया का समापन वेदांता के पक्ष में हुआ.

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