Union Budget 2023 : केंद्र और राज्य सरकार बाजार से अधिक उधारी का कर सकती हैं प्रावधान, घटेगा राजकोषीय घाटा

इक्रा रेटिंग्स का अनुमान है कि पुराने कर्ज को अधिक मात्रा में चुकता करने से केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की सकल बाजार उधारी भी बढ़ेगी. एजेंसी की रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि केंद्र और राज्यों का कुल कर्ज 2022-23 के 22.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 24.4 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा.

By KumarVishwat Sen | January 17, 2023 4:47 PM

मुंबई : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी एक फरवरी को भारतीय संसद की लोकसभा में केंद्रीय बजट 2023 पेश करेंगी. आम आदमी, उद्योग जगत और रियल एस्टेट समेत कई क्षेत्रों की ओर से मांग और उम्मीद की जा रही है. लेकिन, संसद में पेश होने वाले केंद्रीय बजट को लेकर रेटिंग एजेंसियां भी अपना अनुमान जाहिर कर रही हैं. इक्रा रेटिंग्स ने केंद्रीय बजट को लेकर अनुमान जाहिर किया है कि केंद्र और राज्य सरकारें अगले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बाजार से अधिक उधारी उठाने का प्रावधान कर सकती हैं. हालांकि, रेटिंग निर्धारित करने वाली वित्तीय एजेंसी का अनुमान यह भी है कि केंद्रीय बजट में राजकोषीय घाटा अनुमान से कम होकर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 5.8 फीसदी रह सकता है.

केंद्र और राज्य की बढ़ेगी सकल बाजार उधारी

इक्रा रेटिंग्स ने अनुमान जाहिर किया है कि पुराने कर्ज को अधिक मात्रा में चुकता करने से केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की सकल बाजार उधारी भी बढ़ेगी. एजेंसी की रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि केंद्र और राज्यों का कुल कर्ज 2022-23 के 22.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 24.4 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा. एजेंसी ने यह भी कहा कि केंद्र 2023-24 के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.8 फीसदी करने का लक्ष्य लेकर चल सकता है, जो चालू वित्त वर्ष के अनुमानित जीडीपी के 6.4 फीसदी घाटे से कहीं बेहतर है.

वैश्विक वृद्धि पर मंदी का खतरा

एजेंसी की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वैश्विक वृद्धि पर मंदी के असर की आशंका बढ़ती जा रही है. ऐसे में 2023-24 के बजट में घरेलू वृद्धि की गति को बनाए रखने पर ध्यान देना चाहिए और इसके साथ ही वित्तीय समावेशन के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता दिखानी होगी और बाजार उधारी में बढ़ोतरी को सीमित करने पर ध्यान देना होगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि आगामी बजट में केंद्रीय पूंजीगत व्यय को बढ़ाकर 8.5-9 लाख करोड़ रुपये किया जा सकता है और सब्सिडी घटाने के रास्ते राजकोषीय घाटे को कम करके जीडीपी का 5.8 फीसदी पर लाने का लक्ष्य रखा जाएगा. इसके बावजूद, ऋणों को चुकता करने के बाद केंद्र की सकल बाजार उधारी 2022-23 के 14.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 14.8 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी.

राजस्व घाटा घटने का अनुमान

अदिति नायर ने कहा कि राजस्व घाटा 10.5 लाख करोड़ रुपये से घटकर 2023-24 में 9.5 लाख करोड़ रुपये और राजकोषीय घाटा 17.5 लाख करोड़ रुपये से मामूली रूप से घटकर 17.3 लाख करोड़ रुपये का अनुमान है. इस तरह जीडीपी के हिस्से के रूप में राजकोषीय घाटा 6.4 फीसदी से घटकर 5.8 फीसदी हो सकता है. उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष कर और जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी के बूते शुद्ध कर प्राप्तियां 2022-23 में बजट लक्ष्य से 2.1 लाख करोड़ रुपये अधिक रह सकती हैं. प्रत्यक्ष कर संग्रह चालू वित्त वर्ष में दस जनवरी तक 24.58 फीसदी बढ़कर 14.71 लाख करोड़ रुपये रहा है जो बजट अनुमान का 86 फीसदी से भी अधिक है.

Also Read: Union Budget 2023: बजट में कर्मचारियों के 18 महीने के बकाया DA पर फैसला करेगी सरकार ? पढ़ें रिपोर्ट
बढ़ सकती है सरकार की सकल बाजार उधारी

अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि 2023-24 में सरकार की शुद्ध उधारी 10.4 लाख करोड़ रुपये हो सकती है, जो 2022-23 की 10.9 लाख करोड़ रुपये से कम है. फिर भी अधिक कर्ज चुकता करने से सकल बाजार उधारी 14.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 14.8 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी.

Next Article

Exit mobile version