अब डिजिटल पेमेंट पर RBI की पैनी नजर, Paytm और PhonePe जैसी कंपनियों को मानने होंगे नए नियम
Rules Change: आरबीआई ने डिजिटल पेमेंट को सुरक्षित बनाने के लिए नए नियम लागू किए हैं. अब पेमेंट एग्रीगेटर कंपनियों जैसे Paytm और PhonePe को कड़े गाइडलाइंस का पालन करना होगा. इससे ग्राहकों को बेहतर सुरक्षा, पारदर्शी रिफंड प्रक्रिया और धोखाधड़ी से बचाव का लाभ मिलेगा.
Rules Change: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए पेमेंट एग्रीगेटर्स (Payment Aggregators) के लिए नए नियम लागू कर दिए हैं. ये नियम आज से प्रभावी हो गए हैं और इनका उद्देश्य धोखाधड़ी के मामलों को कम करना और ग्राहकों का भरोसा बढ़ाना है.
पेमेंट एग्रीगेटर क्या होते हैं?
पेमेंट एग्रीगेटर ऐसी कंपनियां होती हैं जो ग्राहकों से विभिन्न बैंकों के जरिए भुगतान स्वीकार करती हैं और फिर वह राशि व्यापारी (Merchant) को पहुंचाती हैं.
उदाहरण के लिए जब आप क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या नेट बैंकिंग से ऑनलाइन पेमेंट करते हैं, तो यह प्रक्रिया पेमेंट एग्रीगेटर के जरिए पूरी होती है. ये कंपनियां ग्राहकों, बैंकों और व्यापारियों के बीच सेतु का काम करती हैं.
RBI ने नये नियम क्यों बनाए?
डिजिटल पेमेंट्स के तेजी से बढ़ने के साथ-साथ साइबर धोखाधड़ी और शिकायतों में भी वृद्धि हुई है. इन्हें ध्यान में रखते हुए RBI ने नए नियम लागू किए हैं. इनका उद्देश्य है:
- ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को सुरक्षित बनाना
- ग्राहकों को बेहतर सुरक्षा देना
- पेमेंट एग्रीगेटर कंपनियों में पारदर्शिता लाना
- अब अनिवार्य होगी डिस्प्यूट रेजॉल्यूशन पॉलिसी
अब अनिवार्य होगी डिस्प्यूट रेजॉल्यूशन पॉलिसी
सभी पेमेंट एग्रीगेटर्स को अब एक Dispute Resolution Policy बनानी होगी, जिसे उनकी कंपनी के बोर्ड से मंजूरी मिलेगी. इस पॉलिसी में यह साफ-साफ लिखा होगा कि रिफंड कैसे और कितने समय में किया जाएगा और विवाद की स्थिति में ग्राहक को क्या सुविधा मिलेगी.यह नियम ग्राहकों का भरोसा मजबूत करेगा और रिफंड प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगा.
नई कंपनियों के लिए कड़े नियम
- जो कंपनियां पेमेंट एग्रीगेटर बनना चाहती हैं, उनके पास आवेदन करते समय कम से कम 15 करोड़ रुपये की नेटवर्थ होनी चाहिए.
- लाइसेंस मिलने और 3 साल संचालन के बाद यह नेटवर्थ 25 करोड़ रुपये तक बढ़ानी होगी.
- इससे केवल आर्थिक रूप से मजबूत और स्थिर कंपनियां ही इस क्षेत्र में काम कर पाएंगी.
- गैर-बैंकिंग कंपनियों को RBI से मंजूरी जरूरी
- बैंकों को पेमेंट एग्रीगेटर बनने के लिए RBI से अलग अनुमति की जरूरत नहीं है लेकिन गैर-बैंकिंग संस्थानों को RBI से लाइसेंस लेना होगा.
- यदि कोई कंपनी SEBI या IRDAI जैसी किसी अन्य नियामक संस्था द्वारा नियंत्रित है, तो पहले उन्हें अपने रेगुलेटर से NOC (No Objection Certificate) लेना होगा और 45 दिनों के भीतर RBI को जमा करना होगा.
ट्रांजैक्शन लिमिट तय करने का अधिकार सिर्फ बैंकों को
नए नियम के तहत पेमेंट एग्रीगेटर्स अपने स्तर पर ट्रांजैक्शन लिमिट तय नहीं कर सकेंगे. सिर्फ बैंक ही यह निर्धारित करेंगे कि एक बार में अधिकतम कितनी राशि का भुगतान किया जा सकता है.
ग्राहकों के लिए क्या फायदे होंगे?
- डिजिटल पेमेंट्स पर बढ़ेगा भरोसा
- धोखाधड़ी और विवादों में कमी आएगी
- रिफंड प्रक्रिया होगी पारदर्शी और तेज
- केवल मजबूत और भरोसेमंद कंपनियां ही इस सेक्टर में काम कर पाएंगी
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