महिलाओं के लिए वरदान साबित होंगी नई श्रम संहिताएं, एआईओई का श्वेत पत्र जारी
New Labour Codes: अखिल भारतीय नियोक्ता संगठन (एआईओई) के श्वेत पत्र में नए श्रम कानूनों को महिलाओं के लिए बड़ा बदलाव बताया गया है. 21 नवंबर 2025 से लागू होने वाली चार श्रम संहिताएं कार्यस्थल सुरक्षा, मातृत्व लाभ, सामाजिक सुरक्षा और रात्रि शिफ्ट जैसे प्रावधानों के जरिए महिला श्रम भागीदारी बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएंगी. रिपोर्ट के अनुसार, ये सुधार गिग वर्कर्स, ईएसआई कवरेज और लचीले कार्य विकल्पों के माध्यम से महिलाओं के लिए रोजगार को अधिक सुरक्षित और सुलभ बनाएंगे.
New Labour Codes: केंद्र सरकार की ओर से लागू नई श्रम संहिताएं महिलाओं के लिए वरदान साबित हो सकती हैं. अखिल भारतीय नियोक्ता संगठन (एआईओई) ने कानूनी फर्म शार्दुल अमरचंद मंगलदास के सहयोग से ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग: हाउ द लेबर कोड्स बूस्ट विमेंस पार्टिसिपेशन इन इंडियाज वर्कफोर्स शीर्षक से एक महत्वपूर्ण श्वेत पत्र जारी किया है. इसमें कहा गया है कि हाल ही में अधिसूचित चार श्रम संहिताएं, जो 21 नवंबर 2025 से प्रभावी होंगी, भारतीय कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को सुरक्षित, संरक्षित और अधिक सुलभ बनाकर बढ़ाने में निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं.
महिला श्रम बल भागीदारी में बढ़ोतरी का संदर्भ
श्वेत पत्र के अनुसार, भारत में महिला श्रम बल भागीदारी दर 2017-18 में 23.3% थी, जो 2023-24 में बढ़कर 41.7% हो गई है. भारत का कानूनी और नीतिगत ढांचा सामाजिक परिवर्तन के साथ विकसित हो रहा है. इसमें मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 और कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संरक्षण अधिनियम, 2013 जैसे कानूनों की अहम भूमिका रही है.
सरकारी पहलों का सहयोग
रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि मिशन शक्ति, नव्या और वाइज-किरण जैसी सरकारी पहलों ने महिलाओं को कौशल, सुरक्षा और रोजगार के नए अवसर प्रदान किए हैं. इन पहलों ने श्रम कानूनों के साथ मिलकर महिलाओं को औपचारिक अर्थव्यवस्था से जोड़ने में मदद की है.
श्रम संहिताएं: पुराने कानूनों का आधुनिकीकरण
श्वेत पत्र के अनुसार, चारों श्रम संहिताएं कई पुराने और जटिल कानूनों को एक सरल और सुसंगत ढांचे में समेकित करती हैं. इससे अनुपालन आसान होता है और नियोक्ताओं के लिए नियम अधिक स्पष्ट बनते हैं. महिलाओं के संदर्भ में यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सुधारों का उद्देश्य कार्यस्थलों को अधिक सुरक्षित बनाना और सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाना है.
मातृत्व और सामाजिक सुरक्षा का सशक्त ढांचा
सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के तहत मातृत्व सुरक्षा को और मजबूत किया गया है. पात्र महिला कर्मचारियों के लिए 26 सप्ताह का सवेतन मातृत्व अवकाश जारी रखा गया है, जबकि गोद लेने वाली और कमीशनिंग माताओं को 12 सप्ताह का सवेतन अवकाश मिलेगा. इसके अलावा, स्तनपान अवकाश, चिकित्सा सहायता और गर्भावस्था से जुड़े प्रमाणों की सरलीकृत प्रक्रिया महिलाओं को कार्यबल से बाहर होने से रोकने में सहायक मानी गई है.
ईएसआई और गिग वर्कर्स को लाभ
श्वेत पत्र में बागानों सहित सभी उद्योगों और जिलों में कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) कवरेज के विस्तार को एक बड़ा कदम बताया गया है, जहां बड़ी संख्या में महिलाएं कार्यरत हैं. इसके साथ ही, गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा ढांचे में शामिल करना एक प्रगतिशील बदलाव माना गया है. यह विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए उपयोगी है जो पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण लचीली कार्य व्यवस्था पर निर्भर रहती हैं.
रात्रि शिफ्ट और नए क्षेत्रों में अवसर
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य परिस्थितियां संहिता के तहत महिलाओं को सहमति और पर्याप्त सुरक्षा के साथ रात्रि शिफ्टों और परंपरागत रूप से प्रतिबंधित क्षेत्रों में काम करने की अनुमति दी गई है. सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, विमानन और रसद जैसे क्षेत्रों में इसे महिलाओं की आय और करियर उन्नति पर लगी अदृश्य सीमा को तोड़ने वाला कदम बताया गया है.
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केवल कानून नहीं, प्रभावी क्रियान्वयन जरूरी
श्वेत पत्र में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि केवल कानून बना देने से वास्तविक बदलाव नहीं आएगा. इसका वास्तविक प्रभाव नियोक्ताओं द्वारा ईमानदार क्रियान्वयन, बाजार की प्रतिक्रियाशीलता और सहायक संस्थानों की प्रभावशीलता पर निर्भर करेगा. यदि इन सभी पहलुओं पर गंभीरता से काम किया गया, तो नए श्रम कानून वास्तव में महिलाओं के लिए वरदान साबित हो सकते हैं.
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