सौर ऊर्जा के साथ बढ़ेगी खेती की ताकत, PM KUSUM Scheme की डेडलाइन बढ़ाने की तैयारी में सरकार
PM Kusum Scheme: केंद्र सरकार पीएम-कुसुम योजना की समयसीमा एक बार फिर बढ़ाने की तैयारी में है, क्योंकि इसके कई घटक अभी अपने निर्धारित लक्ष्यों से पीछे हैं. 2019 में शुरू हुई इस योजना का उद्देश्य किसानों को सौर ऊर्जा आधारित गारंटीड बिजली उपलब्ध कराना है. अब तक घटक ‘ख’ ने सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है, जबकि अन्य घटक पिछड़ रहे हैं. नई डेडलाइन से किसानों को सस्ती, स्वच्छ और स्थायी ऊर्जा के इस्तेमाल में बढ़ावा मिलेगा.
PM KUSUM Scheme: किसानों को ऊर्जा सुरक्षा और उनकी आमदनी को बढ़ाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार पीएम-कुसुम योजना की समयसीमा एक बार फिर बढ़ाने की तैयारी में जुट गई है. आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि सरकार के इस पहल के दो प्रमुख घटक अपने लक्ष्य का 50% भी हासिल नहीं कर पाए हैं. यही वजह है कि सरकार इसकी समयसीमा को बढ़ाना चाहती है.
पीएम कुसुम योजना कब शुरू की गई थी?
प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना वर्ष 2019 में शुरू की गई थी. इस योजना का उद्देश्य किसानों को सौर ऊर्जा के माध्यम से सस्ती और सतत बिजली उपलब्ध कराना तथा कृषि क्षेत्र में डीजल पर निर्भरता को कम करना था. शुरुआती लक्ष्य 2022 तक 30,800 मेगावाट सौर क्षमता जोड़ने का था. इसके लिए केंद्र सरकार ने 34,422 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया था.
पीएम-कुसुम योजना का उद्देश्य क्या है?
पीएम-कुसुम योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करना और उनकी आय बढ़ाना है.
- कृषि क्षेत्र को डील मुक्त करना: किसानों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले डील पंपों को सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों से बदलना है, जिससे लागत कम हो और प्रदूषण घटे.
- किसानों की आय बढ़ाना: किसानों को अपनी बंजर या कृषि योग्य भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की सुविधा देना है. इससे वे न केवल अपनी सिंचाई की जरूरतें पूरी कर सकते हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली को डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनियों) को बेचकर अतिरिक्त आय भी कमा सकते हैं.
- जल और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना: किसानों को सिंचाई के लिए दिन के समय विश्वसनीय और सस्ती बिजली प्रदान करना और पानी के इस्तेमाल को कम करने के लिए माइक्रो-इरीगेशन (टपक सिंचाई) को प्रोत्साहित करना है.
- हरित ऊर्जा को बढ़ावा देना: नवीकरणीय ऊर्जा (सौर ऊर्जा) के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर देश की कुल सौर क्षमता में वृद्धि करना और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना है.
पीएम-कुसुम योजना का लक्ष्य और समयसीमा क्या है?
कोविड-19 महामारी के कारण पीएम-कुसुम योजना के कार्यान्वयन पर व्यापक असर पड़ा, जिसके चलते सरकार ने इसकी समयसीमा मार्च 2026 तक बढ़ा दी. इसके साथ ही, लक्ष्य को बढ़ाकर 34,800 मेगावाट कर दिया गया. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सरकार एक बार फिर योजना की समयसीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है, क्योंकि अब तक कई प्रमुख घटक अपने निर्धारित लक्ष्यों का आधा भी हासिल नहीं कर पाए हैं. यह दूसरा विस्तार होगा.
तीन प्रमुख घटक और उनकी प्रगति
पीएम-कुसुम योजना को तीन मुख्य घटकों में बांटा गया है.
- घटक ‘क’: छोटे सौर ऊर्जा संयंत्रों के माध्यम से 10,000 मेगावाट क्षमता की स्थापना
- घटक ‘ख’: 14 लाख ऑफ-ग्रिड सौर पंपों की स्थापना
- घटक ‘ग’: 35 लाख ग्रिड से जुड़े पंपों का सौरीकरण करना
हालांकि, उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार अब तक किसी भी घटक ने 100% लक्ष्य हासिल नहीं किया है. घटक ‘क’ के तहत केवल 6.5% यानी 650.49 मेगावाट क्षमता स्थापित हुई है. घटक ‘ख’ ने बेहतर प्रदर्शन किया है, जहां 9.03 लाख ऑफ-ग्रिड पंप पहले ही लगाए जा चुके हैं, जो 71% प्रगति को दर्शाता है. वहीं, घटक ‘ग’ के तहत आईपीएस (16.5%) और एफएलएस (25.5%) की वृद्धि दर्ज की गई है.
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सरकार की तैयारी और किसानों को लाभ
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) इस योजना को ग्रामीण ऊर्जा परिवर्तन का अहम माध्यम मानता है. सरकार का मानना है कि यदि इसे और समय दिया गया, तो लाखों किसान सौर ऊर्जा से जुड़ सकेंगे और उन्हें गारंटीड बिजली मिलेगी. इससे न केवल कृषि लागत घटेगी, बल्कि कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, समयसीमा बढ़ाने का प्रस्ताव जल्द कैबिनेट के समक्ष लाया जा सकता है, जिससे राज्यों को लंबित परियोजनाओं को पूरा करने का पर्याप्त समय मिल सके. यदि यह विस्तार होता है, तो पीएम-कुसुम योजना भारत में सौर आधारित कृषि क्रांति को नई दिशा दे सकती है.
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भाषा इनपुट के साथ
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