Crude Oil Outlook 2026: तेल बाजार की चेतावनी! 2026 में और फिसल सकती हैं क्रूड ऑयल की कीमतें
Crude Oil Outlook 2026: SMC Global Securities की कमोडिटी रिसर्च टीम के मुताबिक, 2026 में कच्चा तेल बाजार “क्रॉनिक ओवरसप्लाई” की स्थिति में बना रह सकता है. कंपनी की AVP (Commodities Research) वंदना भारती का कहना है कि ग्लोबल स्तर पर उत्पादन की रफ्तार मांग से तेज बनी हुई है.
Crude Oil Outlook 2026: वैश्विक कच्चे तेल (Crude Oil) बाजार के लिए साल 2026 भी आसान नहीं रहने वाला है. कमोडिटी बाजार के जानकारों का मानना है कि जरूरत से ज्यादा सप्लाई, बढ़ते स्टॉक और मांग की सुस्त रफ्तार के चलते तेल की कीमतों में बड़ी तेजी की संभावना कम है. भले ही OPEC+ कीमतों को संभालने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन उसका असर पहले जैसा मजबूत नजर नहीं आ रहा.
ओवरसप्लाई बनी रहेगी बड़ी चुनौती
SMC Global Securities की कमोडिटी रिसर्च टीम के मुताबिक, 2026 में कच्चा तेल बाजार “क्रॉनिक ओवरसप्लाई” की स्थिति में बना रह सकता है. कंपनी की AVP (Commodities Research) वंदना भारती का कहना है कि ग्लोबल स्तर पर उत्पादन की रफ्तार मांग से तेज बनी हुई है. उनका अनुमान है कि बाजार में रोजाना 20 से 40 लाख बैरल तक अतिरिक्त सप्लाई आ सकती है. इस असंतुलन की सबसे बड़ी वजह नॉन-OPEC देशों का बढ़ता उत्पादन है. अमेरिका, ब्राजील और गुयाना जैसे देश रिकॉर्ड स्तर पर तेल निकाल रहे हैं. दूसरी ओर, इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती हिस्सेदारी, ट्रेड पॉलिसी में बदलाव और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की कमजोरी के चलते तेल की मांग उम्मीद से कम बढ़ रही है.
बढ़ते स्टॉक और कमजोर होता OPEC+ का प्रभाव
तेल के बढ़ते भंडार भी कीमतों पर दबाव बना रहे हैं. 2025 के अंत तक ग्लोबल ऑयल इन्वेंट्री चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी थी और 2026 में इसमें और इजाफा होने की संभावना है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इतना बड़ा स्टॉक ओवरहैंग कीमतों को लंबे समय तक ऊपर जाने से रोकेगा. हालांकि OPEC+ ने फिलहाल उत्पादन बढ़ाने पर ब्रेक लगाया है, लेकिन बाजार पर उसका कंट्रोल कमजोर पड़ता दिख रहा है. जियोपॉलिटिकल तनाव से मिलने वाला प्रीमियम भी धीरे-धीरे कम हो रहा है. जानकारों का मानना है कि आगे चलकर मार्केट शेयर को लेकर बड़े तेल उत्पादक देशों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है.
कीमतों का अनुमान और भारत पर असर
साल 2025 में ही ब्रेंट और WTI क्रूड में अच्छी-खासी गिरावट देखी गई थी. ब्रेंट कुछ समय के लिए 60 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ गया था और यही कमजोरी 2026 में भी जारी रह सकती है. Angel One के प्रथामेश माल्या के अनुसार, OPEC+ द्वारा पहले किए गए उत्पादन कट्स को वापस लेने से सप्लाई और बढ़ गई है, जबकि चीन जैसे बड़े बाजारों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के बढ़ते इस्तेमाल से ईंधन की मांग पर असर पड़ा है.
अमेरिकी ऊर्जा एजेंसी EIA का अनुमान है कि 2026 में ग्लोबल ऑयल सप्लाई करीब 14 लाख बैरल प्रतिदिन बढ़ेगी, जबकि मांग सिर्फ 11 लाख बैरल प्रतिदिन तक ही बढ़ पाएगी. Kotak Securities की कायनात चेनवाला के मुताबिक, रूस और वेनेजुएला से जुड़े तनाव की वजह से शॉर्ट टर्म में कीमतों में उछाल आ सकता है, लेकिन अगर रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर शांति की दिशा में कोई ठोस पहल होती है तो तेल पर और दबाव बढ़ेगा.
कुल मिलाकर, एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि 2026 में ब्रेंट क्रूड 55–60 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रह सकता है, जबकि WTI क्रूड 50–65 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में कारोबार कर सकता है. भारत के घरेलू बाजार में MCX पर क्रूड ऑयल में तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है और कीमतें लगभग 3500 से 6500 रुपये प्रति बैरल के बीच रह सकती हैं.
फिलहाल MCX पर क्रूड ऑयल करीब 5200 रुपये प्रति बैरल के आसपास ट्रेड कर रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत अपनी कुल तेल जरूरतों का करीब 88 फीसदी आयात के जरिए पूरा करता है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में होने वाला हर उतार-चढ़ाव घरेलू बाजार और महंगाई पर सीधा असर डालता रहेगा.
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