Coal India की 8 सहायक कंपनियों की लिस्टिंग की तैयारी, 2030 तक पूरा होगा रोडमैप
Coal India Subsidiary: Coal India की आठ सहायक कंपनियों में से Bharat Coking Coal Limited (BCCL) और Central Mine Planning and Design Institute Limited (CMPDIL) की लिस्टिंग मार्च 2026 तक पूरी होने की संभावना है.
Coal India Subsidiary: कोयला क्षेत्र में गवर्नेंस और जवाबदेही को मजबूत करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने कोयला मंत्रालय को निर्देश दिया है कि Coal India Limited (CIL) की सभी सहायक कंपनियों की पहचान, मैपिंग और लिस्टिंग की स्पष्ट योजना 2030 तक तैयार की जाए. सूत्रों के अनुसार, यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने, संचालन को अधिक प्रभावी बनाने और सार्वजनिक क्षेत्र की इस महारत्न कंपनी की परिसंपत्तियों से अधिक मूल्य निकालने की रणनीति का हिस्सा है. Coal India देश के कुल घरेलू कोयला उत्पादन का 80 प्रतिशत से अधिक योगदान देती है और इसकी भूमिका ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम मानी जाती है.
IPO की तैयारी तेज, 2026 तक दो कंपनियों की लिस्टिंग संभव
Coal India की आठ सहायक कंपनियों में से Bharat Coking Coal Limited (BCCL) और Central Mine Planning and Design Institute Limited (CMPDIL) की लिस्टिंग मार्च 2026 तक पूरी होने की संभावना है. BCCL ने अपने प्रस्तावित आईपीओ के लिए सेबी के पास ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल कर दिया है, जो ऑफर-फॉर-सेल (OFS) के जरिए लाया जाएगा. इसके तहत Coal India लगभग 46.57 करोड़ इक्विटी शेयरों की बिक्री करेगी. सूत्रों का कहना है कि BCCL के लिए देश और विदेश में निवेशक रोडशो पूरे हो चुके हैं और लिस्टिंग प्रक्रिया बिना किसी बड़ी अड़चन के आगे बढ़ रही है. CMPDIL ने भी अपने आईपीओ के लिए DRHP दाखिल कर दिया है.
SECL और MCL को मिली मंजूरी, उत्पादन लक्ष्य पर भी नजर
Coal India ने हाल ही में शेयर बाजार को दी गई सूचना में बताया कि उसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने South Eastern Coalfields Limited (SECL) और Mahanadi Coalfields Limited (MCL) को भी स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध करने की मंजूरी दे दी है. यह फैसला कोयला मंत्रालय के स्पष्ट निर्देश के बाद लिया गया है, जिसके तहत अगले वित्त वर्ष में इन दोनों कंपनियों की लिस्टिंग प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इस बीच Coal India चालू वित्त वर्ष में 875 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य लेकर चल रही है. सरकार और कंपनी दोनों का मानना है कि सहायक कंपनियों की लिस्टिंग से गवर्नेंस सुधरेगी, वित्तीय अनुशासन मजबूत होगा और निवेशकों का भरोसा और बढ़ेगा.
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