बजट 2022 को लेकर झारखंड के लोगों की क्या है आस, जानें किस वर्ग के लोगों ने क्या कहा

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण आज दसन में बजट पेश करेगी, इसे लेकर झारखंड के लोगों को कई तरह की उम्मीदें हैं. लोग टैक्स में राहत, गैस की कीमत जैसी कई मुद्दों पर राहत की आस लिए बैठे हैं

By Prabhat Khabar | February 1, 2022 10:03 AM

Indian Budget 2022 रांची : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्र सरकार की बजट पेश करेंगी. इस बजट से झारखंड सरकार से लेकर आम लोगों की भी काफी उम्मीदें हैं. जहां अामलोग टैक्स में राहत, गैस की कीमत और इएमआइ की दरों में कमी की आस लगाये बैठे हैं, वहीं राज्य सरकार को जीएसटी कंपनशेसन को पांच वर्षों तक बढ़ाने की उम्मीद है़ साथ ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन में केंद्र की हिस्सेदारी बढ़ाने की भी उम्मीद है.

एसटी-एससी, ओबीसी छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति में भी केंद्र की हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग भी रखी गयी है. खान विभाग लगातार खनिज रॉयल्टी दर 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने की मांग कर रहा है़ साथ ही रेल और रेल यात्री संघ को गुमला, सिमडेगा, खूंटी और चतरा जैसे जिलों में रेल सेवा की उम्मीद रख रहे हैं. हर किसी को राजधानी एक्सप्रेस, एलटीटी एक्सप्रेस, हटिया-पुणे एक्सप्रेस, हटिया-यशवंतपुर एक्सप्रेस का फेरा बढ़ाने का भी विश्वास है़

दूसरे ओर राज्य की अाम गृहिणी महंगाई पर नियंत्रण करने और गैस में सब्सिडी बढ़ाने की मांग कर रही है. महिलाओं का मानना है कि महंगाई काफी बढ़ गयी है. तेल से लेकर राशन तक महंगे हो गये हैं. ऐसे में वित्त मंत्री से उम्मीद है कि महंगाई से राहत मिलेगी. कोरोना ने पहले कमर तोड़ दी है. इसलिए अब किसी भी वस्तु पर कीमत बढ़ने से घर का बजट बिगड़ सकता है.

वहीं किसानों को ऋण माफी की उम्मीद है. फर्टीलाइजर में छूट और बीज की दर में भी छूट की उम्मीद है. कृषि उपकरणों को कर के दायरे से पूरी तरह मुक्त करने की उम्मीद किसानों को है. ट्रांसपोर्टर टोल व टैक्स में छूट की आस है़ दूसरी ओर राज्य के प्रोफेशनल्स भी टैक्स में छूट की उम्मीद रख रहे हैं. पांच लाख सालाना आय वाले टैक्स में राहत की उम्मीद रखे हुए हैं.

व्यावसायिक संगठन

निर्यातकों और खासकर एमएसएमइ के लिए विदेशी बाजार बड़ी चुनौती बना हुआ है़ अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए दोहरी कर कटौती की योजना लाने की जरूरत है. इसमें पांच लाख रुपये की आय सीमा तय करने की जरूरत है. महामारी के कारण मेडिकल खर्च और वर्क फ्रॉम होम के कारण अन्य खर्च बढ़े हैं. इसलिए सरकार को इस बार के बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए.

– धीरज तनेजा, अध्यक्ष, चैंबर ऑफ कॉमर्स

पारंपरिक उद्योग के बढ़ावा की नीति बने

सरकार छोटे पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा देने की नीति बनाये. इस बजट में समस्या उत्पन्न करनेवाले कानून में संशोधन के साथ ही जीएसटी की दरों को सीमित किया जाये और आयकर दाता व्यापारियों को पेंशन का लाभ मिले. साथ ही व्यापारियों को अनावश्यक कंपलायन्स (अनुपालन) से भी मुक्ति मिलेगी. पंजीकृत व्यापारियों को आसानी से मुद्रा लोन हासिल हो और छोटे कस्बों में भी राष्ट्रीकृत बैंक खुले.

– संजय अखौरी, अध्यक्ष, जेसीपीडीए

एमएसएमइ पर केंद्रित हो बजट

केंद्रीय बजट को इस बार एमएसएमइ पर केंद्रित रखना होगा. पिछले चार-पांच वर्षों से एमएसएमइ के लिए केंद्रीय सब्सिडी उपलब्ध नहीं करायी जा रही है. कोरोना काल के बाद कई इनवेस्टर एमएसएमइ को बढ़ावा देने के लिए तैयार हैं. पूर्व में क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी स्कीम का लाभ दिया जाता था. इससे छोटे उद्योग को तकनीकी रूप से अपग्रेड करने में मदद मिलती थी. सरकार इसपर 15 फीसदी तक की सब्सिडी मुहैया कराती थी. यह राज्य में उद्योग को बढ़ावा देने में सहायक होगा.

– फिलिप मैथ्यू, अध्यक्ष, जेसिया

इनकम टैक्स में राहत की उम्मीद है
1. चार्टर्ड एकाउंटेंट

इस बार जीएसटी का सरलीकरण किया जाये

सरकार से इस बार के बजट में टैक्स दरों में राहत की उम्मीद की जा रही है. इससे सैलेरी क्लास के लोगों में स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ावा मिलेगा. सेक्सन 80-सी में राहत की उम्मीद की है. इनकम टैक्स के विभिन्न स्लैब में राहत मिलनी चाहिए. साथ ही जीएसटी के सरलीकरण की जरूरत है.

– मनीष जैन, सीए

2. बड़े करदाताओं को राहत देने की जरूरत

बड़े करदाताओं को 43 फीसदी तक का टैक्स चुकाना पड़ रहा है. इससे बड़े उद्यमी और व्यवसायी अब पलायन कर रहे हैं. सरकार को इस वर्ष ग्रीन एनर्जी सेक्टर पर फोकस कर बजट उपलब्ध कराने की जरूरत है.अतिरिक्त रियायत देने की जरूरत है. सरकार इन्हें सब्सिडी और रियायत दे, कंपनियों को लाभ मिलेगा.

– रंजीत गाड़ोदिया, सीए

कॉरपोरेट जगत

1.केंद्र और राज्य में समन्वय हो

बजट में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर लगने वाले कर से निवेशकों को नुकसान हो रहा है. उम्मीद की जा रही है कि सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों की बिक्री पर इस कर में छूट दी जाये. इससे शेयर बाजार के जरिये निवेश बढ़ेगा. वेतनभोगियों को टैक्स में राहत की आस है. केंद्र और राज्य सरकार में समन्वय हो ताकि विकास के लिए बेहतर काम हो सके.

-संजय श्रीवास्तव, वीपी(कॉरपोरेट अफेयर्स), हिंडाल्को इंडस्ट्रीज

2.सोलर उपकरण पर ज्यादा छूट हो

पावर सेक्टर में नन फॉसिल फ्यूल पर केंद्र सरकार अनुदान दे. वितरण कंपनियों में सुधार के लिए कदम उठाने की जरूरत है. जो उद्योग कैप्टिव पावर जनरेट कर रहे हैं, उन्हें करों में छूट मिलनी चाहिए़ सरकार सोलर उपकरणों पर ज्यादा छूट देकर इसे आम लोगों तक पहुंचा सकती है. इससे ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा मिलेगा. पेट्रोल-डीजल महंगे हो रहे हैं. इसलिए ई-व्हीकल में सरकार ज्यादा से ज्यादा छूट दे.

-संजय सिंह, सीनियर डीजीएम, इनलैंड पावर लिमिटेड, रांची

फैमिली

1.लोन इंटरेस्ट व टैक्स में मिले छूट

अरगोड़ा की समिता बोस पेशे से शिक्षिका हैं. उनके ऊपर पूरे घर की जिम्मेदारी है. वह कहती हैं : इस महंगाई में घर चलाना बहुत मुश्किल है. बजट में मध्यम वर्गीय परिवार पर खास ध्यान नहीं दिया जाता. इधर, बच्चों की स्कूल फीस, घर का लोन जैसे लोन परेशानी ज्यादा बढ़ा देते हैं. इसलिए लोन इंटरेस्ट, टैक्स में छूट सहित महंगाई पर ध्यान रखना जरूरी है.

आम लोगों की तरह हमारी आय भी बहुत सीमित है़ ज्यादातर पैसे परिवार की जरूरत पूरी करने में ही खत्म हो जाते हैं. बचत के नाम पर कुछ नहीं बचता. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई का खर्च चलाना बहुत बड़ी चुनौती बन जाती है. घर की मासिक आमदनी 30,000 के करीब है, जबकि होम और एजुकेशन लोन मिलाकर कुल 40 लाख का लोन है. उम्मीद करते हैं बजट हमारे लिए कुछ खुशियां लेकर आये.

2.कृषि संस्थाओं को मजबूत किया जाये

किसान अपनी समृद्धि चाहते हैं. इसलिए कृषि में परिवर्तन के लिए नीतिगत मामलों में भी बदलाव जरूरी है. किसानी तभी आगे जायेगी, जब इसमें नये-नये प्रयोग होंगे. प्रयोग करने वाली संस्थाएं मजबूत होंगी. आज कृषि से जुड़ी संस्थाओं की हालत खराब है. आधे से भी कम मैन पावर में कृषि विवि चल रहे हैं. अनुसंधान पर जोर नहीं है. विभागों में काम करनेवाले नहीं हैं. किसानों के लिए पीएम आपदा फंड का गठन करना चाहिए. किसानों के हर उत्पाद का इंश्योरेंस होना चाहिए.

-आनंद कोठारी, छोटानागपुर एग्रो

3.सब्जी के लिए कोल्ड स्टोरेज बने

झारखंड के किसान मेहनती हैं. यह सब्जी उत्पादक राज्य है. यदि किसानों को सुविधा मिलेगी, तो हम पूरे देश को सालों भर सब्जी उत्पादन कर दे सकते हैं. सालों भर सब्जी उपजाने के लिए खेत को पानी मिलना जरूरी है़ इसके लिए बड़े स्तर पर प्लानिंग होनी चाहिए. साथ ही सब्जी रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज और छंटनी के लिए एक यूनिट होनी चाहिए, जहां किसान कुछ समय के लिए अपने उत्पाद रख सकेंगे. यहां के किसान मेहनत से नहीं भागते हैं, उनको सुविधा चाहिए.

-विनोद केसरी, नगड़ी

महिलाएं

1.उम्मीद है बजट खुशी लेकर आयेगा

इस बजट से उम्मीद है कि महंगाई कम होगी. खासकर घरेलू सामान के अलावा गैस, पेट्रोल, डीजल की कीमत में कमी आ सकती है. इससे तेल, दाल और सब्जियां की कीमत सब कम हो सकती है़ ये चीजें आम आदमी की सबसे पहली जरूरत हैं. वहीं बिजली की दर भी कम होनी चाहिए. इस बार का बजट खुशियां लेकर आये.

-शोभा देवी, गृहिणी, बूटी

2.महंगाई कम हो

गृहिणी हों या वर्किंग हर महिला को बजट से काफी उम्मीदें होती हैं. पिछले वर्ष के बजट में भी वर्किंग महिलाओं को कोई छूट नहीं दी गयी थी. इस बार उम्मीद करती हूं कि टैक्स में छूट मिले और महंगाई कम हो. साथ ही सीनियर सिटीजन को भी योजनाओं में और छूट मिलनी चाहिए.

-मिताली डे, बैंक अधिकारी

3.टैक्स में मिले राहत

इस बार केंद्रीय बजट से बहुत उम्मीदें हैं. टैक्स में थोड़ी राहत मिले़ महंगाई काफी बढ़ गयी है. यही उम्मीद रहती हैं कि जो घरेलू बजट होता है, उसमें आसानी हो. किचन का खर्च महिलाओं को ही चलाना पड़ता है.

-वंदना सिन्हा, प्राचार्य, मोहन मेमोरियल पब्लिक स्कूल बोडिया

4.पेट्रोल डीजल को लाए जीएसटी के दायरे में

कोरोना महामारी के कारण यात्री ट्रांसपोर्ट से जुड़े कारोबारियों की कमर टूट गयी है. सरकार को चाहिए कि बजट में डीजल को भी जीएसटी के दायरे में लाये. वर्ष 2020 से अब तक का टैक्स माफ करे. बैंकों द्वारा लगातार इएमआइ की मांग की जा रही है. इससे कारोबारी परेशान हैं. इससे भी सरकार को राहत देने की जरूरत है़

रेल यात्री

1.किराया कम हो और सुविधा बढ़ायी जाये

कोरोना काल में ट्रेनों को स्पेशल के नाम पर चलाया गया और किराया बढ़ा दिया गया. दूसरी तरफ रेल सुविधा में कटौती की गयी. महंगाई को देखते हुए रेल किराया कम होना चाहिए. ट्रेन से देश के आम लोग सफर करते हैं. टिकट महंगा होने से इसका असर आम यात्रियों पर पड़ता है. ट्रेनों का समय पर परिचालन जरूरी है.

-धीरज पांडेय, रेल यात्री

2.सिमडेगा, गुमला में ट्रेन संचालन हो

ट्रेनों में भीड़ को देखते हुए दूसरे राज्य के लिए ट्रेन चलाने की जरूरत है. झारखंड बने 21 वर्ष हो गये, लेकिन आज भी राज्य के कई जिलों में लोगों को ट्रेन सुविधा नहीं मिल रही है. इसमें सिमडेगा, गुमला जैसे जिले शामिल हैं. रेल बजट से आस है कि सुविधा बढ़े और किराया नहीं.

-मुंशी महतो, रेल यात्री

Posted By : Sameer Oraon

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